Reliance's 46th AGM today : Reliance Industries (RIL) की सालाना आम बैठक (AGM) आज दोपहर बाद होगी। पिछले साल की एजीएम से इस साल के एजीएम तक म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियों और रिटेल इनवेस्टर्स ने RIL के शेयरों में अपना निवेश बढ़ाया है। RIL की पब्लिक शेयरहोल्डिंग के एनालिसिस से पता चलता है कि बीते एक साल में RIL में रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या 1.90,270 बढ़ी है। जून 2020 में रिटेल इनवेस्टर्स ने स्टॉक मार्केट में निवेश में काफी दिलचस्पी दिखाई थी। रिटेल इनवेस्टर ऐसे निवेशक को कहा जाता है जो एक स्टॉक में 2 लाख रुपये तक इनवेस्ट करता है।
RIL के स्टॉक्स में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स की संख्या 86 से घटकर 84 हो गई है। लेकिन, कुल निवेश के लिहाज से उनके निवेश में 0.81 फीसदी इजाफा हुआ है। पिछले एक साल में जिन म्यूचअल फंड्स ने RIL में अपना निवेश बढ़ाया है, उनमें Kotak Equity Arbitrage Fund, SBI Flexicap Fund और Axis Bluechip Fund शामिल हैं।
पिछले साल RIL में इंश्योरेंस कंपनियों के निवेश में सबसे ज्यादा उछाल दिखा है। इस स्टॉक में निवेश करने वाली बीमा कंपनियों की संख्या 6 से बढ़कर 41 हो गई है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इसकी वजह शेयरहोल्डिंग रिपोर्टिंग फॉरमैट में संशोधन हो सकता है। SEBI ने जून 2022 में यह संशोधन किया था। इंश्योरेंस कंपनियों में RIL में सबसे ज्यादा निवेश LIC ने किया है। उसका RIL में 6.5 फीसदी हिस्सेदारी है। RIL में निवेश के जरिए Jio Financial Services में भी एलआईसी की 6.66 फीसदी हिस्सेदारी है। दरअसल, डीमर्जर में RIL के शेयरधारकों को हर एक शेयर पर जियो फाइनेंशियल का एक शेयर जारी किया गया है।
RIL के स्टॉक को लेकर घरेलू इनवेस्टर्स की सोच पॉजिटिव है। हालांकि, कंपनी के ऑयल-टू-केमिकल (O2C) बिजनेस में कमजोरी देखने को मिली है। इसकी वजह यह है कि कंपनी ने जियो टेलीकॉम और अपने रिटेल बिजनेस पर फोकस बढ़ाया है। CLSA के विकास कुमार जैन का कहना है कि RIL अपने एफएमसीजी बिजनेस का विस्तार कर रही है। वायरलेस ब्रॉडबैंड की पहुंच बढ़ाने के लिए उसने Airfiber लॉन्च किया है। कंपनी ने देशभर में अपने 5जी नेटवर्क का फायदा उठाने के लिए नया सस्ता 5जी स्मार्टफोन लॉन्च किया है। इसके अलावा इस साल के अंत तक कंपनी अपने रिटेल बिजनेस या जियो का आईपीओ पेश कर सकती है। इनका असर इस फाइनेंशियल की दूसरी छमाही में RIL के शेयरों पर पड़ेगा।
जहां तक O2C बिजनेस का सवाल है तो जेपी मॉर्गन का मानना है कि कंपनी का हिस्टोरिकल एवरेज EV/EBITDA का 7-9 गुना रहा है। लेकिन, यह इससे ज्यादा होना चाहिए। इसकी वजह कंपनी का बेस्ट इन क्लास एसेट, स्केल और इंटिग्रेशन है।
विदेशी निवेशकों (FPI) ने RIL में अपनी हिस्सेदारी घटाई है। जून 2020 के मुकाबले कंपनी में उनकी हिस्सेदारी में 2.2 फीसदी कमी आई है। लेकिन, पिछले दो साल में रिलायंस रिटेल वेंचर्स और जियो प्लेटफॉर्म्स में विदेशी निवेशकों ने काफी निवेश किया है। एनालिस्ट्स का कहना है कि यह निवेश RIL की शेयरहोल्डिंग में नहीं दिखता है। निवेशकों को RIL की AGM से बहुत उम्मीदें हैं। मार्केट का मानना है कि एजीएम में कंपनी कई बड़े ऐलान कर सकती है। इसमें सब्सिडयरी कंपनियों के आईपीओ से लेकर एनर्जी बिजनेस का फ्यूचर प्लान शामिल हो सकता है।