सरकार कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ाने के फैसले को वापस नहीं लेगी। रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने यह संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि लिस्टेड शेयरों के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स में मामूली वृद्धि सही है। उन्होंने लिस्टेड शेयरों से होने वाली इनकम को पैसिव इनकम बताया। रियल एस्टेट के एलटीसीजी पर इंडेक्सेशन बेनेफिट्स खत्म करने के फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि शेयर, इंटरेस्ट और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे दूसरे एसेट क्लास से होने वाली इनकम को यह बेनेफिट नहीं मिलता है। उन्होंने इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म करने के फैसले को टैक्स नियमों को आसान बनाने की कोशिश बताया।
टैक्स बढ़ाने का असर सिर्फ ज्यादा इनकम वालों पर
मल्होत्रा ने मनीकंट्रोल से एक इंटरव्यू में बताया, "सैलरी इनकम, बिजनेस इनकम और रेंटल इनकम पर इनकम टैक्स के रेट्स ज्यादा हैं। इस पैसिव इनकम (शेयरों से इनकम) पर एलटीसीजी सिर्फ 10 फीसदी था, क्या यह सही है? यह सिर्फ एक छोटी वृद्धि है जिसका असर हमारी स्टडी के अनुसार सिर्फ ज्यादा इनकम वाले लोगों पर पड़ेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि एलटीसीजी (LTCG) पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है। यह एक छोटी वृद्धि है, जिसे कैपिटल मार्केट ने बर्दाश्त (absorb) कर लिया है।
बजट में शेयरों पर एलटीसीजी टैक्स बढ़ाने का ऐलान
23 जुलाई को पेश यूनियन बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने का ऐलान किया। इससे लिस्टेड शेयरों पर टैक्स रेट 10 फीसदी से 2.5 फीसदी बढ़कर 12.5 फीसदी हो गया है। रियल एस्टेट पर यह 7.5 फीसदी घट गया है। लेकिन, रियल एस्टेट पर सरकार ने इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म कर दिया है। इंडेक्सेशन में प्रॉपर्टी की खरीद कीमत को इनफ्लेशन के साथ एडजस्ट किया जाता था। इससे कैपिटल गेंस कम हो जाता था।
एलटीसीजी की एग्जेम्प्शन लिमिट भी बढ़ाई गई
मल्होत्रा ने कहा कि करीब 61 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स ऐसे लोगों से आता है, जिनकी इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है। 88 फीसदी एलटीसीजी ऐसे लोगों से आता है जिनकी इनकम 15 लाख रुपये से ज्यादा है। यह ट्रेंड शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स में भी देखने को मिला है। उन्होंने कहा, "इसलिए टैक्स के रेट को बढ़ाया गया है तो कम इनकम वाले लोगों के लिए एग्जेम्प्शन लिमिट भी बढ़ाई गई है। इसका 15 लाख रुपये से कम इनकम वाले लोगों पर असर नहीं पड़ेगा।"
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पहले एग्जेम्प्शन लिमिट 1 लाख रुपये थी
23 जुलाई को पेश बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की स्कीमों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस को 2.5 फीसदी बढ़ाया। साथ ही उन्होंने एलटीसीजी टैक्स से एग्जेम्पशन लिमिट भी 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दी। इसका मतलब है कि शेयरों और म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों से अब 1.25 लाख रुपये तक के गेंस पर टैक्स नहीं लगेगा।