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डॉलर से मुकाबले के लिए RBI की नई पहल, विदेशी बाजार में कॉन्ट्रैक्ट्स आगे नहीं बढ़ाने का फैसला

रिजर्व बैंक (RBI) ने मजबूत डॉलर से मुकाबले के लिए नया फॉर्मूला निकाला है। मामले वाकिफ सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि देश केंद्रीय बैंक ने हाल में विदेशी बाजार में शॉर्ट डॉलर पोजिशन को एक्सपायर होने दिया है और कॉन्ट्रैक्ट्स को आगे नहीं बढ़ा रहे है। इन कॉन्ट्रैक्ट्स की मैच्योरिटी 1 से 3 महीने के बीच है

अपडेटेड Dec 18, 2024 पर 3:47 PM
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रुपये की कमजोरी को रोकने के लिए रिजर्व बैंक कई वर्षों से करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करता रहा है।

रिजर्व बैंक (RBI) ने मजबूत डॉलर से मुकाबले के लिए नया फॉर्मूला निकाला है। मामले वाकिफ सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि देश केंद्रीय बैंक ने हाल में विदेशी बाजार में शॉर्ट डॉलर पोजिशन को एक्सपायर होने दिया है और कॉन्ट्रैक्ट्स को आगे नहीं बढ़ा रहे है। इन कॉन्ट्रैक्ट्स की मैच्योरिटी 1 से 3 महीने के बीच है।

इस कदम से साफ है कि रिजर्व बैंक डॉलर की मजबूती से बचाने के लिए बारीक तौर-तरीकों पर विचार कर रहा है। NDF मार्केट में रिजर्व बैंक की नेट शॉर्ट पोजिशन 60 अरब डॉलर की थी। इससे केंद्रीय बैंक की संतुलन साधने की जटिल कार्रवाई के बारे में भी पता चलता है। सूत्रों के मुताबिक, बैंकों द्वारा अपने फॉरवर्ड ट्रेड को सेटल करने की वजह से भारत के घरेलू बाजार में रुपये पर दबाव बढ़ रहा है।

इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में 2 पर्सेंट की कमजोरी देखने को मिली है और ऑल टाइम लो के आसपास ट्रेड कर रहा है। हालांकि, अभी भी रुपया एशिया में सबसे बेहतर परफॉर्मेंस करने वाली करेंसी में शामिल है और एशियाई देशों की कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये की स्थिति बेहतर है। अपनी NDF पोजिशन को खत्म करने का फैसला रिजर्व बैंक के नए गवर्नर के तौर पर संजय मल्होत्रा द्वारा पदभार संभालने से पहले का है। संजय मल्होत्रा ने 11 दिसंबर को रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद संभाला था।


करेंसी ट्रेडर्स की नजर अब इस बात पर है कि केंद्रीय बैंक के निजाम में हुए बदलाव से क्या बैंक की रणनीति में कोई बदलाव होगा या नहीं। रिजर्व बैंक ने इस सिलसिले में किसी भी तरह की टिप्पणी करने से मना कर दिया। रुपये की कमजोरी को रोकने के लिए रिजर्व बैंक कई वर्षों से करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप करता रहा है। इस वजह से उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की आलोचना भी झेलनी पड़ी है।

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