डॉलर के मुकाबले रुपया आज शुरुआती कारोबार में अपने लाइफ टाइम लो पर जाता नजर आया। कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल के चलते महंगाई के बढ़ने का डर हावी हो गया है। इसके साथ ही देश के व्यापार और चालू खाते घाटे में बढ़ोतरी का डर बढ़ गया है। इसका असर आज रुपये पर देखने को मिला और डॉलर के मुकाबले यह औंधेंमुंह गिर गया।
रुपया आज इंट्राडे में डॉलर के मुकाबले लगभग 77 के स्तर पर जाता नजर आया जो इसकी पिछले दिन की क्लोजिंग से 1.05 फीसदी नीचे है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 76.96 पर खुला था।
एनालिस्ट का कहना है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और रशियन क्रूड ऑयल के एक्सपोर्ट में गिरावट की संभावना के चलते कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती है। ग्लोबल क्रूड मार्केट में भारी असंतुलन के चलते अगले 6-9 महीने में क्रूड की कीमतें हाई लेवल पर बने रहने की संभावना है।
बता दें कि आज ब्रेंट क्रूड का भाव अपने 14 साल के हाई यानी 140 डॉलर प्रति बैरल के आसपास जाता नजर आया है। कच्चा तेल अमेरिकी कारोबार में 2008 के बाद के अपने हाइएस्ट लेवल पर जाता नजर आया है । तेल के इस उबाल के अभी ठंडे पड़ने के कोई संकेत नहीं है।
कच्चे तेल में आए हालिया उबाल की वजह यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट Antony Blinken का वह बयान है जिसमें उन्होंने कहा है कि हम रशियन ऑयल के इंपोर्ट पर बैन की संभावना तलाशने के लिए अपने यूरोपियन और दूसरे सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। और हम इस प्रतिबंध के लिए आपसी सहयोग का रास्ता खोजने की कोशिश में हैं।
Kotak Institutional Equities की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर क्रूड ऑयल की औसत कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल रहती है तो भारतीय इकोनॉमी पर 70 अरब डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जो GDP का 1.9 फीसदी होगा। अगर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी बनी रहती है तो भारत में महंगाई बढ़ती नजर आएगी और देश की ग्रोथ पर नेगेटिव असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त के चलते देश के व्यापार और चालू खाते में घाटा देखने को मिल सकता है जिससे रुपये में और कमजोरी आने के साथ ही महंगाई बढ़ती नजर आ सकती है।