रुपया गिरकर 80 के दहलीज पर, आम आदमी की टूटी कमर, जानिए RBI ने रुपए को बचाने के लिए क्या किया

कारोबार के अंत में रुपया आज 25 पैसे कमजोर होकर 79.88 के स्तर पर बंद हुआ है। जुलाई में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 1.76 पैसे कमजोर हुआ है। ये इस साल करीब 7 फीसदी टूटा है

अपडेटेड Jul 14, 2022 पर 6:54 PM
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एक्सपोर्टर्स की तरफ से भी लगातार डॉलर की मांग हो रही है। इसके आलावा मंदी की आशंका के चलते डॉलर की सेफ हेवन अपील बढ़ती नजर आ रही है

रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी का सिलसिला आज भी जारी रहा। आज लगातार चौथे दिन रुपया टूटा और फिसलकर 80 की दहलीज पर पहुंच गया है। इंट्राडे में डॉलर के मुकाबले रुपये ने आज 79.92 का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ। कारोबार के अंत में रुपया आज 25 पैसे कमजोर होकर 79.88 के स्तर पर बंद हुआ है। जुलाई में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 1.76 पैसे कमजोर हुआ है। ये इस साल करीब 7 फीसदी टूटा है।

क्यों टूट रहा है रुपया

US में महंगाई बढ़ने से फेड की तरफ से अपनी ब्याज दरों में 1 फीसदी बढ़ोतरी का डर है। डॉलर इंडेक्स में तेज उछाल देखने को मिला है। डॉलर इंडेक्स 20 सालों की ऊंचाई पर चला गया है। इस बीच FII की तरफ से शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ी है। जिसका निगेटिव असर रुपए पर देखने को मिल है। कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों से भी डॉलर की मांग बढ़ी है। एक्सपोर्टर्स की तरफ से भी लगातार डॉलर की मांग हो रही है। इसके आलावा मंदी की आशंका के चलते डॉलर की सेफ हेवन अपील बढ़ती नजर आ रही है। इन सभी कारणों से डॉलर के मुकाबले दुनिया की तमाम बड़ी करेंसीज कमजोर हुई हैं जिसमें रुपया भी शामिल है।


दूसरी करेंसियों के मुकाबले रुपया बेहतर

डॉलर के मुकाबले दुनिया की दूसरी करेंसीज में 2022 में आई अब तक की गिरावट पर नजर डालें तो इस अवधि में डॉलर के मुकाबले रुपया 7 फीसदी टूटा है। वहीं, यूरो में 15 फीसदी की कमजोरी आई है। इस अवधि में डॉलर के मुकाबले पाउंड 14 फीसदी तो येन 26 फीसदी टूटा है। इन आंकड़ो पर नजर डालें तो इस साल अब तक आई 7 फीसदी की गिरावट के बावजूद रुपए की स्थिति दूसरी बड़ी करेंसियों की तुलना में बेहतर रही है।

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रुपये को संभालने के लिए RBI के कदम

रुपये को संभालने के लिए RBI ने FCNR,NRE डिपॉजिट पर ब्याज लिमिट हटाई है। इनमें 31 अक्टूबर तक ब्याज पर कोई लिमिट नहीं होगी। इसके अलावा NRIs के फॉरेक्स डिपॉजिट CRR और SLR के दायरे में नहीं आएंगे। 1 जुलाई से 4 नवंबर तक के लिए ये छूट दी गई है। FPIs के निवेश के लिए सरकारी बॉन्ड बढ़ा दिए गए हैं। अब 7 और 14 साल के बॉन्ड में भी FPIs के निवेश संभव हैं। अब तक FPIs सिर्फ 5 और 10 साल के बॉन्ड में ही पैसे लगा सकते थे। अभी 30 साल के बॉन्ड में भी FPIs पैसे लगा सकते हैं। FPIs 1 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड भी खरीद सकेंगे। ऑटोमैटिक रूट से ECB लिमिट दोगुनी करके 1.5 अरब डॉलर कर दी गई है। इसके अलावा रुपये में इंपोर्ट-एक्सपोर्ट सेटलमेंट को मंजूरी भी दे दी गई है। इसके लिए Vostro अकाउंट के जरिए लेन-देन होगा।

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