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जून में व्यापार घाटा बढ़कर 26.1 अरब डॉलर पर पहुंचा, सालाना आधार पर दिखी 172% की बढ़त

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जून महीने में देश का एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 23.5 फीसदी की बढ़त के साथ 40.13 अरब डॉलर पर रहा है

अपडेटेड Jul 14, 2022 पर 6:02 PM
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सोने के इंपोर्ट में जून महीने में सालाना आधार पर 182 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है और यह जून 2021 के 96.9 लाख डॉलर से बढ़कर 2.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है

जून 2022 में भारत का व्यापार घाटा (Trade deficit)बढ़कर 26.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस अवधि में कंपनी के व्यापार घाटे में सालाना आधार पर 172 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। ग्लोबल बाजार में कमोडिटी की कीमतों में आई जोरदार तेजी के चलते देश को एनर्जी और मेटल इंपोर्ट पर भारी खर्च करना पड़ा है। जिसके चलते जून महीने में व्यापार घाटे में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जून महीने में देश का एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 23.5 फीसदी की बढ़त के साथ 40.13 अरब डॉलर पर रहा है। वहीं इंपोर्ट 57.5 फीसदी की बढ़त के साथ 66.31 डॉलर पर रहा है। जिसके चलते देश को 26.1 अरब डॉलर का व्यापार घाटा उठाना पड़ा है। बताते चलें कि कुल एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के बीच के अंतर को ही व्यापार घाटा कहा जाता है।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि देश का बढ़ता व्यापार घाटा वाणिज्य मंत्रालय के लिए नया सरदर्द बन सकता है। बता दें कि पिछले कुछ महीनों से मासिक व्यापार घाटे में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। देश का व्यापार घाटा अप्रैल के 20.4 अरब डॉलर से बढ़कर मई में 23.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।


मनीकंट्रोल ने आपको पहले ही जानकारी दी थी कि यह मुद्दा पीएमओ के संज्ञान में भी आया है और बढ़ते व्यापार घाटे की समस्या से निपटने के लिए कोशिश भी शुरु हो गई है। भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी आने के साथ ही अमेरिकी डॉलर और कमोडिटी की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार का अनुमान है कि नियर टर्म में व्यापार घाटे में और बढ़ोतरी होती नजर आ सकती है। क्रूड की कीमतों में तेजी का असर यह रहा कि जून महीने में रिफाइन्ड पेट्रोलियम का इंपोर्ट लगभग दोगुना होकर 21.3 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया जो कि पिछले साल के जून में 10.6 अरब डॉलर पर था।

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गौरतलब है कि भारत के इंपोर्ट बिल में पेट्रोलियम इंपोर्ट का सबसे बड़ा योगदान है। रूस से कम भाव पर कच्चा तेल मिलने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण कच्चे तेल में हुई भारी बढ़ोतरी का असर भारत के बढ़ते इंपोर्ट बिल के रूप में सामने आया है। इसके अलावा कोयला और कोक जैसे दूसरे ईंधनों के इंपोर्ट में भी जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली है जिसके कारण व्यापार घाटा बढ़ा है।

आज आए इन आंकड़ों के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक गुड्स जून महीने में सबसे ज्यादा इंपोर्ट होने वाले मदों में तीसरे नंबर रहा है। जून में इलेक्ट्रॉनिक गुड्स के इंपोर्ट में सालाना आधार पर 26.8 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है और यह जून 2021 से 4.6 अरब डॉलर से बढ़कर 6.1 अरब डॉलर पर आ गया है। इसी तरह सोने के इंपोर्ट में जून महीने में सालाना आधार पर 182 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है और यह जून 2021 के 96.9 लाख डॉलर से बढ़कर 2.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।

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