डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। मंगलवार (5 जुलाई) को यह 79.37 के स्तर पर बंद हुआ। पहली बार रुपया इस स्तर पर पहुंचा है। डॉलर में मजबूती, विदेशी फंडों (Foreign Portfolio Investors) की शेयर बाजार में बिकवाली और बढ़ते करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है।
डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी इंडियन इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं है। इसका सीधा असर सरकार की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा। आपके लिए भी रुपया का कमजोर होना अच्छा नहीं है। कमजोर रुपया पहले से महंगाई से परेशान लोगों की मुसीबत बढ़ाएगा। जब महंगाई की दर पहले से ज्यादा हो तो करेंसी में कमजोरी उसके असर को बहुत ज्यादा बढ़ा देता है। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया 6 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है।
रुपया के कमजोर होने से आयात पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा। हर वह चीज महंगी हो जाएगी, जिसका हम आयात करते हैं। इंडिया क्रूड ऑयल, खाद्य तेल, प्रेसियस मेटल्स, केमिकल, इलेक्टॉनिक प्रोडक्ट्स सहित कई चीजों का काफी आयात करता है। इनका पेमेंट डॉलर में होता है। इसलिए इनके आयात के लिए अब पहले से ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
देश में क्रूड की जरूरत का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा होता है। रुपया के कमजोर होने से हमें हर बैरल क्रूड के लिए पहले से ज्यादा कीमत चुकानी होगी। घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत वैश्विक कीमत से जुड़ी है। ऐसे में वैश्विक बाजार में क्रूड की कीमत बढ़ने पर घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल का प्राइस बढ़ना तय है।
इंडिया खाद्य तेल का भी काफी आयात करता है। मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों से इसका आयात होता है। इनका आयात खर्च भी बढ़ जाएगा। इसकी वजह यह है कि हर टन खाद्य तेल के आयात के लिए पहले से ज्यादा कीमत चुकानी होगी। कपनियां इसका बोझ ग्राहकों पर डालेंगी। इससे खाने के तेल की खुदरा कीमतें बढ़ जाएंगी।
विदेश में पढ़ाई करना महंगा हो जाएगा। इंडिया से हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा जैसे देशों में जाते हैं। कॉलेज की फीस चुकाने के साथ ही विदेश में रहने और खाने पर हर महीने काफी खर्च आता है। रुपया के कमजोर होने से विदेश में पढ़ाई के लिए पहले से ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इसी तरह विदेश की सैर और विदेश में इलाज कराना भी महंगा हो जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट सहित कई चीजों के उत्पादन में आयातित पुर्जों का इस्तेमाल होता है। रुपया के कमजोर होने से इन पुर्जों को आयात करना महंगा हो जाएगा। इसका बोझ कंपनियां ग्राहकों पर डालेंगी। इस वजह से मोबाइल फोन, एसी, फ्रिज जैसी आम इस्तेमाल में आने वाली कई चीजें महंगी हो सकती हैं।