Rupee Vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया आज 21 पैसे कमजोर होकर 85.59 के स्तर पर बंद हुआ। हालांकि 3 जून यानी मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपये की शुरुआत कमजोर रही। इसकी मुख्य वजह डॉलर में मामूली सुधार, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त और फॉरेन फंड के निकासी रही। सुबह 10.12 बजे के आसपास डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे गिरकर 85.49 के स्तर पर कारोबार करता नजर आया।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति घोषणाओं से पहले अस्थिर घरेलू शेयर बाजारों ने भी भारतीय मुद्रा पर दबाव डाला। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 4 जून को अपनी अगली द्विमासिक नीति पर विचार-विमर्श शुरू करेगी और परिणाम 6 जून को घोषित किए जाएंगे।
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज बाजार में घरेलू मुद्रा कमजोर रुख के साथ खुली और सीमित दायरे में रही। शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 15 पैसे कमजोर होकर 85.53 रुपये पर खुला। सोमवार (2 जून) को रुपया डॉलर के मुकाबले 16 पैसे बढ़कर 85.39 पर बंद हुआ। इस बीच डॉलर इंडेक्स 0.17% बढ़कर 98.87 पर कारोबार कर रहा था।
OPEC+ के उत्पादन बढ़ोतरी जारी रखने के ऐलान के बाद कच्चे तेल में तेजी है। ब्रेंट 65 डॉलर के पार निकल गया है। WTI क्रूड में भी 63 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। US में उत्पादन घटने और ग्लोबल टेंशन से तेजी आई है।
इस बीच 2 जून को आए प्राइवेट सेक्टर के एक सर्वेक्षण के परिणामों से पता चला कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि पिछले महीने के 58.2 की तुलना में घटकर तीन महीने के निचले स्तर 57.6 पर आ गई है। जब से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पारस्परिक टैरिफ लगाए हैं,मई में एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स में पहली गिरावट आई है। ट्रंप टैरिफ से अमेरिका में आयात लागत लगभग एक सदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
जनवरी-मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया तथा विकास दर चार तिमाहियों के उच्चतम स्तर 7.4 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि पिछले महीने यह 6.4 फीसदी रही थी। हाई ग्रोथ के चलते भारत की जीडीपी ग्रोथ को आरबीआई द्वारा तय लक्ष्य के मुताबिक 6.5 फीसकी तक पहुंच गई है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में भी 6.5 फीसकी की ग्रोथ का लक्ष्य रखा है।