NSE की मंगलवार को होगी वीकली एक्सपायरी, BSE को मिला गुरुवार; सेबी ने दी मंजूरी

Weekly Derivatives Expiry: मार्केट रेगुलेटर SEBI ने वीकली डेरिवेटिव्स एक्सपायरी के लिए NSE को मंगलवार और BSE को गुरुवार का दिन दिया है। Goldman Sachs के अनुसार, इससे BSE को नुकसान हो सकता है और उसकी कमाई पर असर पड़ सकता है। जानिए पूरी डिटेल।

अपडेटेड Jun 17, 2025 पर 4:46 PM
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गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, सेबी के फैसले से BSE को नुकसान हो सकता है।

Weekly Derivatives Expiry: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को पूंजी बाजार नियामक SEBI से मंगलवार को डेरिवेटिव्स एक्सपायरी की मंजूरी मिल गई है, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को गुरुवार के दिन के लिए मंजूरी दी गई है। CNBC-TV18 ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।

'NSE के लिए बड़ा पॉजिटिव'

NSE के चीफ बिजनेस ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा, "अगर आप इसे उलटकर देखें और कहें कि NSE की एक्सपायरी अब मंगलवार को तय हो गई है, तो यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा पॉजिटिव है। मार्केट इकोसिस्टम की यही डिमांड थी। हमें पहले से ही इस दिशा में पॉजिटिव फीडबैक मिल चुका था।"


उन्होंने बताया, "हमने कभी अपना एक्सपायरी दिन नहीं बदला, जबकि हमारे पास मौका था। जब दूसरे एक्सचेंज ने शुक्रवार से मंगलवार पर शिफ्ट किया। उस समय हमने कोई बदलाव नहीं किया। पहले हमने सोमवार पर विचार किया था, लेकिन परामर्श पत्र और बाद के घटनाक्रमों को देखते हुए हमने मंगलवार को चुना, जो एक संतुलित सुझाव था और अब उसे मंजूरी मिल चुकी है।"

BSE को नुकसान का खतरा: Goldman Sachs

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि SEBI का यह फैसला BSE के लिए एक 'बाइनरी इवेंट' हो सकता है, जिसमें फायदा सीमित लेकिन नुकसान काफी बड़ा हो सकता है। ब्रोकरेज ने BSE पर 'न्यूट्रल' रेटिंग बरकरार रखी है और शेयर का टारगेट प्राइस ₹2,490 तय किया है।

गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, "अगर BSE अपनी मंगलवार एक्सपायरी बनाए रखता, तो उसकी मार्केट हिस्सेदारी लगभग स्थिर रहती। लेकिन अब गुरुवार को शिफ्ट होने के कारण उसे लगभग 3 प्रतिशत मार्केट शेयर गंवाना पड़ सकता है। इससे इंडेक्स ऑप्शन के औसत डेली वॉल्यूम (ADP) में 13% की गिरावट आ सकती है और कंपनी की प्रति शेयर कमाई (EPS) पर 8% का नेगेटिव असर पड़ सकता है।"

मार्च से चल रही थी SEBI की प्रक्रिया

यह फैसला उस परामर्श प्रक्रिया के बाद लिया गया है, जो मार्च 2025 में शुरू हुई थी। इसका मकसद था एक्सपायरी शेड्यूल को व्यवस्थित करना और बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को कम करना।

रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI ने सुझाव दिया था कि सभी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी या तो मंगलवार या गुरुवार को होनी चाहिए, ताकि हफ्तेभर अलग-अलग दिन एक्सपायरी से पैदा हो रही हद से ज्यादा स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग पर लगाम लगाई जा सके।

एक्सपायरी क्या होती है?

एक्सपायरी (Expiry) शेयर बाजार में उस तारीख को कहते हैं जब किसी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट (जैसे ऑप्शन या फ्यूचर्स- F&O) की वैधता खत्म हो जाती है। उस दिन तक ट्रेडर्स को या तो उस कॉन्ट्रैक्ट को बेचना होता है, या उसका सेटलमेंट करना होता है।

एक्सपायरी के दिन इन कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखा जाता है क्योंकि कई निवेशक अपनी पोजिशन क्लोज करते हैं या रोलओवर करते हैं। इंडेक्स ऑप्शन जैसे साप्ताहिक डेरिवेटिव्स में यह एक्सपायरी हर हफ्ते तय दिन (जैसे मंगलवार या गुरुवार) को होती है।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jun 17, 2025 4:46 PM

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