ITR Filing 2025: F&O ट्रेडिंग पर कैसे लगता है टैक्स? ITR फॉर्म से लेकर ऑडिट तक, जानें हर सवाल का जवाब

ITR Filing 2025: F&O ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम माना जाता है। ऐसे में इससे होने वाले मुनाफे और नुकसान को ITR फाइल करते समय सावधानी से दिखाना जरूरी है। जरा सी भी गलती से आपका बड़ा नुकसान हो सकता है और इनकम टैक्स का नोटिस आने का भी खतरा रहता है।

अपडेटेड Jun 17, 2025 पर 3:32 PM
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F&O ट्रेडिंग में मुनाफे के साथ नुकसान को दिखाना भी बेहद जरूरी है।

ITR Filing 2025: मार्केट रेगुलेटर SEBI की एक रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में लगभग 93% फ्यूचर्स और ऑप्शन्स (F&O) ट्रेडर्स को औसतन ₹2 लाख का नुकसान हुआ। ऐसे में कई ट्रेडर्स यह मान लेते हैं कि चूंकि उन्हें घाटा हुआ है, इसलिए F&O लेनदेन को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में दिखाना जरूरी नहीं है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो यह बड़ी गलतफहमी है।

आइए जानते हैं कि F&O ट्रेडिंग का इनकम टैक्स में कैसा ट्रीटमेंट होता है, कौन सा ITR फॉर्म भरना होता है, टर्नओवर की कैलकुलेशन कैसे होती है और टैक्स ऑडिट कब जरूरी होता है।

F&O ट्रेडिंग पर कैसे लगता है टैक्स?


इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 43(5) के अनुसार, F&O ट्रेडिंग को 'गैर-सट्टा व्यवसायिक आय (non-speculative business income)' माना जाता है। इसका मतलब यह है कि ITR 2025 भरते समय आपको इस आय को 'व्यवसाय और पेशे से लाभ और हानि' के तहत दिखाना जरूरी है। F&O से हुआ प्रॉफिट आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और उस पर स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है।

F&O में नुकसान को दिखाना जरूरी

कई लोग सोचते हैं कि सिर्फ मुनाफे की जानकारी देनी जरूरी है, लेकिन नुकसान दिखाना भी उतना ही जरूरी है। इसका बड़ा फायदा यह है कि आप इन नुकसान को दूसरी कमाई के खिलाफ सेट-ऑफ करके अपनी टैक्स देनदारी घटा सकते हैं। इतना ही नहीं, अगर आप नुकसान को पूरी तरह सेट-ऑफ नहीं कर पाते, तो अगले 8 साल तक इसे आगे बढ़ाकर फ्यूचर प्रॉफिट्स के खिलाफ एडजस्ट कर सकते हैं।

इसे उदाहरण से भी समझ लेते हैं। मान लीजिए आपकी FY 2024-25 में ₹8 लाख की सैलरी इनकम है, ₹2 लाख की ब्याज आय और ₹3 लाख की किराया आय है। इसी साल आपको ₹6 लाख का F&O ट्रेडिंग में नुकसान हुआ। अब इनकम टैक्स नियमों के अनुसार आप यह नुकसान ब्याज और किराया आय के खिलाफ सेट-ऑफ कर सकते हैं, लेकिन सैलरी इनकम के खिलाफ नहीं।

यानी ₹2 लाख ब्याज और ₹3 लाख किराया - कुल ₹5 लाख तक का नुकसान आप इसी साल एडजस्ट कर सकते हैं। इसके बाद बचा हुआ ₹1 लाख नुकसान आप अगले आठ साल तक आगे ले जा सकते हैं। इस तरह आपकी टैक्सेबल इनकम ₹8 लाख रहेगी, क्योंकि सैलरी इनकम के खिलाफ कोई सेट-ऑफ नहीं हो सकती। अगर आपने अपने ITR में F&O प्रॉफिट या नुकसान नहीं दिखाया, तो इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज सकता है।

F&O आय दिखाने के लिए कौन सा ITR फॉर्म भरें?

चूंकि F&O से हुई कमाई बिजनेस इनकम मानी जाती है, इसलिए आपको ITR-3 या ITR-4 फॉर्म भरना होता है:

  • ITR-3: उन इंडिविजुअल्स के लिए है, जो व्यवसाय या पेशे से ₹50 लाख से अधिक की आय प्राप्त करते हैं।
  • ITR-4: उन इंडिविजुअल्स के लिए है, जो presumptive taxation स्कीम चुनते हैं और उनकी आय ₹50 लाख तक है।

इन फॉर्म्स में सही तरीके से प्रॉफिट, लॉस, टर्नओवर, खर्च आदि की जानकारी भरनी होती है।

क्या F&O ट्रेडर्स खर्चों का दावा कर सकते हैं?

हां। चूंकि F&O इनकम को बिजनेस की तरह ट्रीट किया जाता है, तो आप ट्रेडिंग से जुड़े खर्चों को कुल आय से घटा सकते हैं, जैसे:

  • ब्रोकरेज फीस
  • इंटरनेट और फोन बिल
  • ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर/जर्नल की सब्सक्रिप्शन
  • फाइनेंशियल कंसल्टेंट की फीस
  • व्यापार सहायक की सैलरी

हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं। जैसे कि खर्चे सीधे तौर पर ट्रेडिंग से संबंधित होने चाहिए। सभी खर्च का बिल/रसीद रखना जरूरी होता है। अगर आप ₹10,000 से अधिक का नकद खर्च करते हैं, तो टैक्स में छूट नहीं मिलेगी। नुकसान होने पर भी आप खर्चों का दावा कर सकते हैं।

क्या F&O ट्रेडर्स को अकाउंटिंग रिकॉर्ड रखना होता है?

अगर आपकी इनकम ₹2.5 लाख से अधिक है, या आपका टर्नओवर किसी भी पिछली 3 सालों में ₹25 लाख से अधिक है, तो आपको अकाउंटिंग रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है। जैसे कि ट्रेडिंग स्टेटमेंट, बैंक स्टेटमेंट, खर्चों की रसीदें आदि।

क्या F&O ट्रेडर्स को टैक्स ऑडिट कराना जरूरी है?

इस सवाल का जवाब कुछ खास परिस्थितियों पर निर्भर करता है। उसी के हिसाब से ऑडिट जरूरी भी हो सकता है और नहीं भी।

स्थिति
टैक्स ऑडिट जरूरी
टर्नओवर ₹10 करोड़ से अधिक हो
हां (धारा 44AB(a))
टर्नओवर ₹2 करोड़ से ₹10 करोड़ के बीच और प्रॉफिट 6% से कम हो
हां, अगर presumptive taxation नहीं लिया
टर्नओवर ₹2 करोड़ से कम और प्रॉफिट 6% या उससे अधिक हो नहीं (धारा 44AD)
टर्नओवर ₹2-10 करोड़ और 95% से अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शन हो
नहीं, चाहे प्रॉफिट हो या नुकसान

F&O में 'एब्सोल्यूट प्रॉफिट और लॉस' को जोड़कर टर्नओवर निकाला जाता है, न कि कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू से। मान लीजिए आपने 100 फ्यूचर लॉट ₹200 में खरीदे और ₹210 में बेचे, जिससे ₹1000 का प्रॉफिट हुआ। वहीं, आपने 200 ऑप्शन लॉट ₹300 में खरीदे और ₹290 में बेचे, जिससे ₹2000 का नुकसान हुआ। अब टर्नओवर की गणना करते समय प्रॉफिट और लॉस दोनों की एब्सोल्यूट वैल्यू ली जाती है, यानी ₹1000 + ₹2000 = ₹3,000। यही आपका F&O टर्नओवर माना जाएगा।

F&O ट्रेडर्स के लिए एडवांस टैक्स नियम

अगर आपकी कुल टैक्स देनदारी ₹10,000 से अधिक है, तो आपको एडवांस टैक्स चार किस्तों में जमा करना होगा:

टैक्स प्रतिशत डेडलाइन
15% 15 जून
45% 15 सितंबर
75% 15 दिसंबर
100% 15 मार्च

अगर आप presumptive taxation चुनते हैं, तो आपको एक ही बार में 100% एडवांस टैक्स 15 मार्च तक देना होगा। देरी करने पर धारा 234B और 234C के तहत ब्याज लगेगा।

यह भी पढें : SIP Tax Rules: म्यूचुअल फंड से मुनाफे पर कितना और कैसे लगता है टैक्स, समझिए पूरा कैलकुलेशन

Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jun 17, 2025 3:17 PM

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