मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मिष्ठान फूड्स लिमिटेड (MFL) को तकरीबन 100 करोड़ रुपये वापस करने कहा है, जो उसने ग्रुप की इकाइयों के जरिये गलत तरीके से जुटाए और कंपनी के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स को डायवर्ट कर दिया। सेबी ने 5 दिसंबर को जारी अंतरिम ऑर्डर में कंपनी को 49.12 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू और 47.10 करोड़ रुपये के उन फंडों को वापस करने को कहा है, जो ग्रुप की इकाइयों के साथ फर्जी खरीद/बिक्री क जरिये MFL के प्रमोटर्स/डायरेक्टर्स और उनके रिश्तेदारों को डायवर्ट की गई।
सेबी ने कंपनी और अन्य 12 इकाइयों पर अगले आदेश तक पब्लिक, प्रमोटर्स और सीनियर मैनेजमेंट के जरिये फंड जुटाने पर रोक लगा दी है। सेबी के होल-टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने अपने आदेश में कहा कि पहली नजर में यह मामला MFL द्वारा फाइनेंशियल स्टेटमेंट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का है, जिसके तहत फर्जी ट्रांजैक्शंस के जरिये खरीद और बिक्री के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का है।
उनका कहना था कि इन इकाइयों के बैंक खातों में 90 पर्सेंट से ज्यादा क्रेडिट और डेबिट एंट्री से MFL के फ्रॉड का पता चलता है, जिसके तहत MFL ने फर्जी कंपनियों के जरिये मनी ट्रांसफर स्कीम को अंजाम दिया। इन इकाइयों का अपना कोई बिजनेस ऑपरेशन नहीं था और ये फंड ट्रांसफर के माध्यम के तौर पर काम रही थीं। अश्विनी भाटिया का कहना था कि इन हरकतों की वजह से निवेशकों के अधिकारों का हनन हुआ और शेयर बाजार को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा।
उन्होंने यह भी कहा कि किस तरह से कंपनी और 4.2 लाख से भी ज्यादा शेयरहोल्डर्स की 'किस्मत' एक व्यक्ति यानी मैनेजिंग डायरेक्टर हितेशकुमार गौरीशंकर पटेल (HGP) के हाथों में हैं और वह कंपनी के एकमात्र प्रमोटर भी हैं, जिनकी कंपनी के शेयरों में तकरीबन 43 पर्सेंट हिस्सेदारी है। भाटिया का कहना था, 'वह अपने रिश्तेदारों के जरिये MFL के फर्जी बायर्स/सेलर्स को कंट्रोल करते हैं।'