SEBI ने सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका पर की कार्रवाई, डायरेक्टर या मैनेजमेंट में किसी भी पद में रहने पर लगी रोक

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 12 जून को एक अंतरिम आदेश में कहा, "नोटिस पाने वाले (चन्द्रा और गोयनका) अगले आदेश तक किसी भी लिस्टेड कंपनी या उसकी सब्सिडियरी कंपनियों में डायरेक्टर या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर नहीं रहेंगे। सेबी ने यह रोक 1 साल के लिए लगाई है

अपडेटेड Jun 12, 2023 पर 10:02 PM
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Essel ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के CEO पुनीत गोयनका पर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बड़ी कार्रवाई की है।

Essel ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) के CEO पुनीत गोयनका पर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने बड़ी कार्रवाई की है। सेबी ने 1 साल के लिए दोनों पर किसी भी डायरेक्टोरियल या मैनेजमेंट में प्रमुख पद में रहने पर रोक लगा दी है। चंद्रा और गोयनका पर जी एंटरटेनमेंट से कथित तौर पर धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 12 जून को एक अंतरिम आदेश में कहा, "नोटिस पाने वाले (चन्द्रा और गोयनका) अगले आदेश तक किसी भी लिस्टेड कंपनी या उसकी सब्सिडियरी कंपनियों में डायरेक्टोरियल या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर नहीं रहेंगे।"

सेबी की जांच में क्या मिला?

जांच में पता चला है कि चंद्रा और पुनीत गोयनका ने 2019 में जी एंटरटेनमेंट के डायरेक्टर के रूप में अपने फायदे के लिए धन की हेराफेरी करके अपने पद का दुरुपयोग किया। इस नतीजे पर पहुंचने के बाद सेबी ने अब दोनों पर यह कार्रवाई की है। सेबी ने आदेश में कहा है कि धन की हेराफेरी एक योजना के तहत की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रशासन की खराब स्थिति के लिए ZEEL के अंदर कोई प्रक्रिया और संरचना नहीं थी।


इन्वेस्टिगेटर्स ने ZEEL के शेयरों की कीमत पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा FY19 से FY23 के दौरान ZEEL के शेयर की कीमत 600 रुपये से गिरकर 200 रुपये हो गई, जबकि इस दौरान कंपनी मुनाफे में थी। इसका मतलब है कि कंपनी में सब ठीक नहीं था। इन्वेस्टिगेटर्स ने आगे बताया कि इस अवधि के दौरान प्रमोटर शेयरहोल्डिंग 41.62 फीसदी से घटकर 3.99 फीसदी के वर्तमान स्तर पर आ गई।

क्या है मामला

नवंबर 2019 में जी एंटरटेनमेंट के दो इंडिपेंडेंट डायरेक्टर सुनील कुमार और निहारिका वोहरा के इस्तीफे के बाद दोनों पक्षों की जांच शुरू हुई थी। उन्होंने कई मुद्दों को उठाया था, जिसमें यह तथ्य भी शामिल था कि Zee की फिक्स्ड डिपॉजिट को यस बैंक द्वारा कंपनी से संबंधित एंटिटी द्वारा लिए गए लोन का निपटान करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, ऋण गारंटी ZEEL के बोर्ड की मंजूरी के बिना दी गई है।

सेबी की जांच के अनुसार चंद्रा ने 4 सितंबर 2018 को एस्सेल ग्रुप मोबिलिटी पर 200 करोड़ रुपये लोन बकाया के लिए "लेटर ऑफ कम्फर्ट" (LoC) जारी किया। LoC में कहा गया कि जी एंटरटेनमेंट सहित एस्सेल ग्रुप की किसी भी कंपनी से यस बैंक के पास उपलब्ध 200 करोड़ रुपये की एफडी को इसे निपटाने के लिए लिया जा सकता है। ZEEL के इस 200 करोड़ रुपए से यस बैंक ने सात सहयोगी कंपनियों के कर्ज का निपटान किया है।

सेबी के आदेश से पता चला कि इन सात कंपनियों के मालिक सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका के परिवार के सदस्य थे। सेबी की जांच के अनुसार ZEEL ने बताया कि सहयोगी कंपनियों ने ZEEL को 200 करोड़ रुपये लौटा दिए थे। हालांकि, चंद्रा और गोयनका दोनों ने बोर्ड की मंजूरी के बिना LoC पर हस्ताक्षर किए।

Zee Entertainment ने SEBI को दिए अपने जवाब में दावा किया कि 26 सितंबर 2019 से 10 अक्टूबर 2019 के बीच पूरी रकम लौटा दी गई है। आगे की जांच में सेबी ने पाया कि लौटाया गया पैसा Zee का था। इसे कई अन्य कंपनियों के माध्यम से यह दिखाने के लिए भेजा गया था कि सहयोगी कंपनियों द्वारा इसे वापस किया जा रहा है।

Shubham Thakur

Shubham Thakur

Tags: #SEBI

First Published: Jun 12, 2023 9:17 PM

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