HNI को एक्रेडिटेड इनवेस्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ सकता है, जानिए क्या है सेबी का प्लान

एक्रेडिटेट इनवेस्टर्स को निवेश के ऐसे मौके मिलते हैं जो रिटेल इनवेस्टर्स को नहीं मिलते हैं। वे प्राइवेट प्लेसमेंट, AIF, वेंचर कैपिटल, पीई और हेज फंडों जैसे मौकों का फायदा उठा सकते हैं। उन्हें AIF और PMS में कम अमाउंट से निवेश करने की भी इजाजत होती है

अपडेटेड Jun 05, 2025 पर 5:09 PM
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अभी करीब 200 एक्रेडिटेड इनवेस्टर्स हैं। यह संख्या काफी कम है।

सेबी हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) को एक्रेडिटेड इनवेस्टर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराने को कह सकता है। रेगुलेटर इसके तरीके पर विचार कर रहा है। मामले से जुड़े लोगों ने मनीकंट्रोल को यह बताया। सेबी एक्रेडिशन के फायदों के बारे में बताने की कोशिश करेगा। एक्रेडिशन के प्रोसेस को भी आसान बनाया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर संबंधित एजेंसियों को रजिस्ट्रेशन की फीस घटाने को भी कहा जा सकता है।

अभी एक्रेडिटेड इनवेस्टर्स की संख्या सिर्फ 200 

इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए SEBI को भेजे ईमेल का जवाब नहीं मिला। अभी करीब 200 एक्रेडिटेड इनवेस्टर्स हैं। यह संख्या काफी कम है। कैपिटल मार्केट में HNI इनवेस्टर्स की संख्या से तुलना करने पर भी यह संख्या बहुत कम लगती है। करीब चार साल पहले एक्रेडिशन से जुड़े नियम बनाए गए थे। लेकिन, अब तक एक्रेडिशन में ज्यादा इनवेस्टर्स ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। पहले सेबी ने अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फर्म (AIF) के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया था। इसने इनवेस्टर्स के एक्रेडिशन के लिए नियमों को आसान बनाने के कई सुझाव दिए थे।


सेबी ग्रुप के सुझावों को लागू करने के लिए प्लान पेश कर सकता है

सेबी इस ग्रुप के कुछ सुझावों को लागू करने के लिए इम्प्लीमेंटेशन प्लान पेश कर सकता है। सूत्रों ने बताया कि सेबी एकाउंट एग्रीगेट मोड के जरिए भी रजिस्ट्रेशन की इजाजत देने पर विचार कर सकता है। इससे किसी इनवेस्टर्स के लिए जल्द वेरिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन कराना आसान हो जाएगा। डिजिटल ऑनबोर्डिंग तरीके के इस्तेमाल के बारे में भी सुझाव मिले हैं। सेबी का मकसद ज्यादा से ज्यादा एक्रेडिशन एजेंसियों को इस प्रोसेस में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है।

एक्रेडिटेड इनवेस्टर्स को मिलते हैं कई तरह के फायदें

एक्रेडिटेट इनवेस्टर्स को निवेश के ऐसे मौके मिलते हैं जो रिटेल इनवेस्टर्स को नहीं मिलते हैं। वे प्राइवेट प्लेसमेंट, AIF, वेंचर कैपिटल, पीई और हेज फंडों जैसे मौकों का फायदा उठा सकते हैं। उन्हें AIF और PMS में कम अमाउंट से निवेश करने की भी इजाजत होती है। अभी AIF में मिनिमम इनवेस्टमेंट अमाउंट 1 करोड़ रुपये है। PMS के लिए यह 50 लाख रुपये है। इंडिविजुअल्स, HUF, फैमिली ट्रस्ट्स और सोल प्रॉपरायटरशिप्स एक्रेडिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए दो शर्तों हैं। पहला, सालाना इनकम 2 करोड़ रुपये से ज्यादा होनी चाहिए। दूसरा, नेटवर्थ 7.5 करोड़ रुपये होना चाहिए। दोनों में से किसी एक शर्त का पालन करना जरूरी है।

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