SEBI news : सेबी कड़ी निगरानी के साथ 1 अक्टूबर से फिर लागू करेगा इंडेक्स ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए हायर इंट्राडे लिमिट

SEBI news : सेबी का लक्ष्य यह तय करना है कि भारत का डेरिवेटिव बाजार एक मजबूत रिस्क मैनेजमेंट और पारदर्शी नियमों की नींव पर ग्रोथ करता रहे। भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे एक्टिव बाजारों में से एक है

अपडेटेड Sep 02, 2025 पर 9:59 AM
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सेबी के सर्कुलर में कहा गया है कि नेट इंट्राडे पोजीशन की लिमिट प्रति इकाई 5,000 करोड़ रुपये होगी। इसकी गणना फ्यूचर्स इक्विवेलेंट बेसिस पर होगी। फ्यूचर्स इक्विवेलेंट बेसिस पर आधारित कुल इंट्राडे पोजीशन 10,000 करोड़ रुपये तक सीमित होगी

SEBI news : सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में इंट्राडे पोजीशन की निगरानी के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार किया है। इसका लक्ष्य बाजार में नकदी की स्थिति और व्यवस्थित कार्यप्रणाली को बनाए रखते हुए बड़े स्तर के जोखिमों को कम करना है। सोमवार को देर रात जारी सेबी के सर्कुलर में कहा गया है कि सेबी ने इंडेक्स ऑप्शंस में कारोबार करने वाली प्रत्येक यूनिट के लिए एक स्पष्ट इंट्राडे पोजीशन लिमिट लागू करने का फैसला लिया है।

इस सर्कुलर में आगे कहा गया है कि नेट इंट्राडे पोजीशन की लिमिट प्रति इकाई 5,000 करोड़ रुपये होगी। इसकी गणना फ्यूचर्स इक्विवेलेंट बेसिस पर होगी। फ्यूचर्स इक्विवेलेंट बेसिस पर आधारित कुल इंट्राडे पोजीशन 10,000 करोड़ रुपये तक सीमित होगी,जो मौजूदा दिन के अंत की ग्रॉस लिमिट के समान है। ये लिमिट्स वर्तमान दिन के अंत की नेट लिमिट 1,500 करोड़ रुपये से काफी अधिक हैं। इस बाजार में भाग लेने वालों को दिन के दौरान फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगीऔर यह सुनिश्चित होगा कि कोई बड़ा जोखिम न हो।

मनीकंट्रोल ने 19 अगस्त को ही बताया था कि सेबी बढ़ी हुई इंट्राडे लिमिट को फिर से लागू करने पर विचार कर रहा है।


ये नए नियम, 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होंगे। गौरतलब है कि कुछ लोग (विशेष रूप से ऑप्शन एक्सपायरी के दिनों में) अनुपातहीन रूप से बड़ी पोजीशन ले लेते हैं, जिससे बाजार में वोलैटिलिटी पैदा होती है। इससे बाजार में अव्यवस्था पैदा होती और कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। सेबी इसी गड़बड़ी को रोकने के लिए ये नए नियम ला रहा है। जेन स्ट्रीट ग्रुप द्वारा की गई हेराफेरी से जुड़ी घटना के बाद सेबी काफी सतर्क है।

इन नियमो को लागू करने के लिए, स्टॉक एक्सचेंजों को ट्रेडिंग सेशन के दौरान कम से कम चार रैंडम स्नैपशॉट का इस्तेमाल करके पोजीशन की निगरानी करनी होगी। इनमें से एक जांच दोपहर 2:45 से 3:30 बजे के बीच होनी चाहिए,यह वही समय है जब अक्सर ट्रेडिंग में तेज़ी देखने को मिलती है क्योंकि क्लोजिंग से पहले पोजीशन को स्क्वेयर ऑफ किया जाता है।

सेबी ने स्पष्ट किया है कि इन लिमिट्स का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं की कड़ी जांच की जाएगी। स्टॉक एक्सचेंज ऐसे ट्रेडरों के ट्रेडिंग पैटर्न की जांच करेंगे। जांच में दोषी पाए जाने पर अतिरिक्त पेनाल्टी या सर्विलांस डिपॉजिट भी लगाया जाएगा,इसका निर्धारण एक्सचेंजों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। सेबी ने यह भी कहा है कि ये प्रावधान केवल इंडेक्स ऑप्शन तक ही सीमित रहेंगे, जो डेरिवेटिव मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं।

इंट्राडे निगरानी के ये नए नियम 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होंगे, जबकि एक्सपायरी डे के नियमों के उल्लंघन से संबंधित दंड प्रावधान 6 दिसंबर, 2025 से लागू होंगे।

 

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