कैपिटल मार्केट रेग्युलेट सेबी (Sebi) ने मार्च 2022 के अंत में 67,228 करोड़ रुपये के बकाया राशि को "difficult to recover (वसूली मुश्किल है ) " कैटेगरी के तहत अलग कर दिया है। कुल मिलाकर रेग्युलेटर के पास 96,609 करोड़ रुपये का बकाया है। इस राशि को संस्थाओं से वसूल करने की आवश्यकता है। इसमें वे कंपनियां भी शामिल हैं जो उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने में असफल रही हैं। मार्केट वॉचडॉग के बकाया शुल्क का भुगतान करने में विफल रही हैं। इसमें वे कंपनियां या संस्थाएं भी शामिल हैं जिन्होंने निवेशकों के पैसे वापस करने के रेग्युलेटर के निर्देश का पालन नहीं किया है। रेग्युलेटर ने कहा कि 96,609 करोड़ रुपये में से 65 प्रतिशत रकम यानी कि 63,206 करोड़ रुपये सामूहिक निवेश योजना (Collective Investment Scheme (CIS) से संबंधित है। इसमें पीएसीएल लिमिटेड (PACL Ltd) और सहारा समूह की कंपनी सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Sahara India Commercial Corporation Ltd) के पब्लिक इश्यू से संबंधित राशि भी शामिल है।
सेबी के मुताबिक कुल बकाया का 70 प्रतिशत 68,109 करोड़ रुपये विभिन्न अदालतों और अदालत द्वारा नियुक्त समितियों के समक्ष समानांतर कार्यवाही के अधीन है। इन मामलों में सेबी की वसूली की कार्यवाही संबंधित अदालतों या समितियों के निर्देशों के अधीन है।
सेबी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में 67,228 करोड़ रुपये के बकाया को डिफिकल्ट टू रिकर (Difficult To Recover (DTR) के रूप में वर्गीकृत किया है।
डीटीआर के बारे में सेबी का स्पष्टीकरण
DTR को परिभाषित करते हुए सेबी ने कहा कि ये बकाया वह रकम है जो वसूली के सभी तरीकों को अपनाने के बाद भी वसूल नहीं की जा सकती है।
मार्केट रेग्युलेटर ने स्पष्ट किया कि इस तरह के डीटीआर बकाया को अलग करना विशुद्ध रूप से एक प्रशासनिक अधिनियम है। यह अधिनियम वसूली अधिकारियों को डीटीआर के रूप में अलग की गई राशि को वसूल करने से नहीं रोकेगा।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India (Sebi) को न्यायिक अधिकारी द्वारा लगाए गए दंड की वसूली करने का अधिकार है। हथियाई हुई राशि को लौटाने का निर्देश मिलने पर और रकम को रेग्युलेट को वापस करने का आदेश मिलने पर ऐसी रकम को वसूलने का भी सेबी के पास अधिकार है।
इसके अलावा मार्केट वॉचडॉग ने 2021-22 के दौरान जांच के लिए प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से संबंधित 59 नए मामलों को उठाया। ये मामले पिछले वित्तीय वर्ष में उठाए गए 94 मामलों से काफी कम है।