BSE का 30 शेयरों वाला Sensex 12 सितंबर (सोमवार) को 60,000 अंक के पार निकल गया। NSE का 50 शेयरों वाला NIFTY भी 18,000 अंक के करीब पहुंच गया। सोमवार को लगातार तीसरा सत्र रहा, जब बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिली। सुबह में प्रमुख सूचकांक 0.8 फीसदी तेजी के साथ खुले। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 0.54% यानि 322 अंक बढ़कर 60,115 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 0.58% यानि 103 अंकों की तेजी के साथ 17,936 पर बंद हुआ।
पीएमआई के डेटा, शानदार जीएसटी कलेक्शन और ऑटो सेल्स के उम्मीद से बेहतर नतीजों से मार्केट का सेंटिमेंट मजबूत हुआ है। रिलायंस सिक्योरिटीज में रिसर्च हेड मितुल शाह ने कहा, "RBI आने वाले महीनों में इंटरेस्ट रेट में अनुमान से कम वृद्धि कर सकता है।
पिछले कुछ महीनों में पीक (सबसे ऊंचे स्तर) पर पहुंचने के बाद इनफ्लेशन में नरमी आने की उम्मीद है। हमें इकोनॉमी में अच्छी तेजी और कमोडिटीज की कीमतों मे नरमी रहने की उम्मीद है। इससे छोटी अवधि में विजिबिलिटी रहेगी।" विदेशी फंडों की खरीदारी से भी मार्केट के रुख पर पॉजिटिव असर पड़ा है।
इन वजहों से मार्केट में आई तेजी:
इकोनॉमी से जुड़े पॉजिटिव डेटा
सरकार 12 सितंबर की शाम इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और कंज्यूमर प्राइस इनफ्लेशन के डेटा जारी करेगी। मनीकंट्रोल के पोल के नतीजों के मुताबिक, पिछले चार महीनों में पहली बार अगस्त में रिटेल इनफ्लेशन बढ़कर 6.9 फीसदी रह सकता है। इंडस्ट्रियल ग्रोथ जून के 12.3 फीसदी से घटकर जुलाई में 4.1 फीसदी रह सकता है।
क्रूड की कीमतों में अच्छी नरमी आई है। इससे फिस्कल डेफिसिट कम रहने की उम्मीद बढ़ी है। सितंबर की शुरुआत से ब्रेंट क्रूड का प्राइस 13 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है। लेकिन, इस साल यह अब भी 18 फीसदी ज्यादा है।
इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अगस्त में 56.2 फीसदी रहा। जुलाई में यह 56.4 फीसदी था। इसमें मजबूत घरेलू मांग और एक्सपोर्ट डिमांग में उछाल का हाथ है। बार्कलेज के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट राहुल बजोरिया ने कहा कि अगस्त में इंडिया में पीएमआई में मजबूती दिखी।
जीएसटी और डायरेक्ट कलेक्श
जीएसटी कलेक्श की ग्रोथ अच्छी बनी हुई है। इसमें लगातार दूसरे महीने वृ्द्धि देखने को मिली। इकोनॉमिक रिकवरी और बेहतर कंप्लायंस की वजह से यह साल दर साल आधार पर 28 फीसदी बढ़ा।
अगस्त में ऑटो सेल्स के आंकड़े मजबूत रहे हैं। कोविड की महामारी कमजोर पड़ने और त्योहारों का सीजन शुरू होने की वजह से गाड़ियों की बिक्री बढ़ रही है। इससे ऑटो कंपनियों का भरोसा बढ़ा है। कोरोना की महामारी का काफी असर ऑटो सेल्स पर पड़ा था।
विदेशी फंडों की अच्छी खरीदारी से भी बाजार को सपोर्ट मिला है। अगस्त से वे अब तक इंडियन मार्केट में 6,76 अरब डॉलर की खरीदारी कर चुके हैं। एनालिस्ट्स का मानना है कि फेस्टिव सीजन को देखते हुए यह खरीदारी जारी रह सकती है।