Share Market Fall: शेयर बाजार इन 6 कारणों से धड़ाम, रिकॉर्ड बनाने के बाद सेंसेक्स 600 अंक लुढ़का

Share Market Falls: भारतीय शेयर बाजार सोमवार 1 दिसंबर को नया रिकॉर्ड बनाने के बाद तेजी से फिसल गए। शुरुआती कारोबार में बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद मुनाफावसूली की। ग्लोबल बाजारों से कमजोर संकेत और ब्याज दरों को लेकर चिंताओं ने भी इस मुनाफावसूली को मजबूती दी।

अपडेटेड Dec 01, 2025 पर 1:35 PM
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Share Market Falls: विदेशी निवेशकों (FIIs) ने नवंबर महीने में 17,500.31 करोड़ रुपये की बिकवाली की

Share Market Falls: भारतीय शेयर बाजार सोमवार 1 दिसंबर को नया रिकॉर्ड बनाने के बाद तेजी से फिसल गए। शुरुआती कारोबार में बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद मुनाफावसूली की। ग्लोबल बाजारों से कमजोर संकेत और ब्याज दरों को लेकर चिंताओं ने भी इस मुनाफावसूली को मजबूती दी। इसके साथ ही रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने से भी निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ।

सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 452.35 अंक उछलकर 86,159.02 के नए शिखर पर पहुंच गया था। वहीं, निफ्टी 122.85 अंक चढ़कर 26,325.80 के अपने नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। दोनों इंडेक्सों ने 27 नवंबर को बनाए गए अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर लिया।

लेकिन दोपहर 12:30 बजे तक बाजार की तस्वीर बदल चुकी थी। सेंसेक्स दिन के उच्च स्तर से 600 अंक गिरकर 85,556.80 तक फिसल गया। वहीं निफ्टी 26,200 के नीचे गिरकर 26,148.95 पर आ गया।


शेयर बाजार में आज की इस गिरावट के पीछे 6 बड़े कारण रहे-

1. रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर

सितंबर तिमाही के मजबूत GDP आंकड़ों के बावजूद भारतीय रुपया सोमवार को ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। शुरुआती कारोबार में रुपया गिरकर 89.76 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जो लगभग दो हफ्ते पहले दर्ज 89.49 के पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर से भी नीचे है। 3 नवंबर के बाद से रुपये में लगभग 1 रुपये की गिरावट आ चुकी है।

2. RBI से ब्याज दर कटौती की उम्मीदें कमजोर

सितंबर तिमाही के मजबूत GDP आंकड़ों के बाद RBI की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम हो गई हैं। शुक्रवार को 10-साल की अवधि वाला सरकारी बॉन्ड यील्ड 6.47% से बढ़कर 6.52% हो गया। यह बताता कि बाजार फिलहाल मॉनिटरी पॉलिसी में ढील की उम्मीद नहीं कर रहा है।

बार्कलेज ने भी कहा कि उसे अब 5 दिसंबर को होने वाली RBI की बैठक में रेट कट की उम्मीद नहीं है। ब्रोकरेज ने कहा कि अक्टूबर महीने के दौरान महंगाई दर भी काफी कम थी। ऐसे में उम्मीद है कि RBI ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखेगा। हालांकि उसका रुख नरम हो सकता है और वह अपने ग्रोथ अनुमानों को बढ़ा सकता है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि भारतीय इकोनॉमी “पूरा दमखम दिखा रही है, ऐसे में उसे मॉनिटरी पॉलिसी की जरूरत नहीं है” और यह बात बाजार के सेंटीमेंट को थोड़ा कमजोर कर रही है।

3. कमजोर ग्लोबल संकेत

एशियाई शेयर बााजरों से भी आज भारतीय शेयर बाजारों को सपोर्ट नहीं मिला। साउथ कोरिया का कोस्पी इंडेक्स, जापान का निक्केई 225 गिरावट में कारोबार कर रहे थे। वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स भी लगभग 1% तक नीचे थे, जो अमेरिकी बाजार के कमजोरी के साथ खुलने का संकेत दे रहा था।

4. विदेशी निवेशकों की बिकवाली

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने नवंबर महीने में भारतीय शेयर बाजारों से 17,500.31 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। पिछले 5 महीनों से विदेशी निवेशक शुद्ध बिकवाली बने हुए हैं। शुक्रवार को भी FII ने 3,795.72 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। FII की लगातार घटती हिस्सेदारी ने शेयर मार्केट के सेंटीमेंट पर दबाव डाला है।

5. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी

क्रूड ऑयल की कीमतों में सोमवार को उछाल देखने को मिली। दरअसल OPEC+ देशों ने 2026 की पहली तिमाही में उत्पादन स्तर को स्थिर रखने का फैसला किया है। इसके बाद ब्रेंट क्रूड का भाव 1.62% बढ़कर 63.39 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। क्रूड ऑयल के महंगा होने से भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ता है और महंगाई के मोर्चे पर भी दबाव आता है।

6. नवंबर में PMI 9 महीने के निचले स्तर पर

सितंबर तिमाही में GDP की तेज ग्रोथ के बावजूद, नवंबर महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सुस्त रहा। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक गतिविधियां नौ महीने के अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गईं है। HSBC के एनालिस्ट ने कहा कि मार्च तिमाही में GDP ग्रोथ काफी धीमी हो सकती है क्योंकि GST से जुड़े कंजम्पशन से मिली टेम्पररी बढ़त कम हो रही है, फिस्कल खर्च कम हो रहा है और एक्सपोर्ट की रफ्तार कमजोर हो रही है।

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