Share Market Rally: इन 5 कारणों से शेयर बाजार में बंपर तेजी, सेंसेक्स 659 अंक उछला, निफ्टी 18,250 के पार
Share Markets: बैंकिंग और कंज्यूमर शेयरों में तेजी के चलते भारतीय शेयर बाजार सोमवार को 1 फीसदी से अधिक चढ़ गए। ब्याज दरों में बढ़ोतरी रुकने और बैलेंस ऑफ पेमेंट्स के हिसाब से बेहतर एक्सटर्नल पोजिशन जैसे आर्थिक संकेतकों को बाजार ने हाथों-हाथ लिया है। आइए जानते हैं कि आज शेयर बाजार में किन कारणों से तेजी आई
Share Markets: पिछले 5 कारोबारी दिनों में FII ने 2 अरब डॉलर से अधिक की खरीदारी की है
Share Market Rally: बैंकिंग और कंज्यूमर शेयरों में तेजी के चलते भारतीय शेयर बाजार सोमवार को 1 फीसदी से अधिक चढ़ गए। अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच शेयर बाजार में अप्रैल की शुरुआत से ही तेजी देखी जा रही है। अब सभी की नजरें अमेरिकी महंगाई के आंकड़ों पर टिकी, जिसके बुधवार को आने की उम्मीद है। दोपहर 2 बजे खबर लिखे जाने के समय, बेंचमार्क सेंसेक्स 659 अंक या 1 फीसदी की उछाल के साथ 61,714 अंक पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी 183 अंक या करीब 1 फीसदी की तेजी के साथ 18,252 के स्तर पर पहुंच गया था।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities)ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा, "देश की आर्थिक स्थिति को लेकर हाल में संकेत बेहतर हुए हैं। इसमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी रुकने और बैलेंस ऑफ पेमेंट्स के हिसाब से बेहतर एक्सटर्नल पोजिशन जैसी चीजें भी शामिल है। बाजार ने इन संकेतकों को हाथों-हाथ लिया है। माना जा रहा है कि आर्थिक स्थिति में सुधार से आने वाले महीनों में कंपनियां का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है और उनकी ग्रोथ में तेजी आ सकती है।"
आइए जानते हैं कि आज शेयर बाजार में किन कारणों से तेजी आई
1. विदेशी निवेशकों की ओर से खरीदारी
विदेशी निवेशकों (FII) की ओर से हाल में लगातार खरीदारी करने से बाजार को सपोर्ट मिला है। इससे पहले विदेशी निवेशक लगातार 18 महीनों तक बाजार में सेलर्स बने रहने थे। हालांकि अब उन्होंने फिर से निवेश करना शुरू किया है। पिछले 5 कारोबारी दिनों में FII ने 2 अरब डॉलर से अधिक की खरीदारी की है, जबकि 28 मार्च के बाद से उन्होंने भारतीय इक्विटी में 3.1 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी रोकने के बाद, अब निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी उसी रास्ते पर चल सकता है। हाल ही में, फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 0.25% प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। हालांकि, बैंक ने अपने नीतिगत बयान से उस भाषा को हटा दिया है जो पहले संकेत देती थी कि वह आगे भी दरों में बढ़ोतरी जारी रख सकती है।
हालांकि इसके बावजूद अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी जून में होने वाली बैठक में ब्याज दरों में एक और बढ़ोतरी की संभावना पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। फेडरल रिजर्व के जेरोम पॉवेल ने कहा कि एक और बढ़ोतरी की जरूरत होगी या नहीं, अभी इस पर कुछ पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है। अमेरिकी जनता अभी भी महंगाई के उच्च दर का सामना कर रही है। हालांकि इकोनॉमी में मंदी के संकेत और मौजूदा बैंकिंग संकट जैसी चिंताएं भी खड़ी हैं।
3. भारतीय फैक्ट्री और सर्विस PMI
अप्रैल में देश की फैक्ट्री गतिविधियां पिछले 4 महीनों में सबसे तेजी से बढ़ी है। नए ऑर्डर और उत्पादन में मजबूत उछाल के चलते यह देखने को मिली। एक निजी सर्वे ने सोमवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी। ये आंकड़े मांग के लचीला बने रहे और भविष्य में खपत को लेकर उत्साहजनक संकेत देते हैं।
S&P ग्लोबल की ओर 3 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत के सर्विस सेक्टर में अप्रैल में बढ़ोतरी हुई। इस सेक्टर का परचेडिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) बढ़कर 62.0 पर पहुंच गया, जो इससे पहले मार्च में 57.8 था। 62.0 अंक पर, यह सर्विस PMI के पिछले 13 सालों का सबसे उच्च स्तर है।
सरकार ने अप्रैल में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के रूप में 1.87 लाख करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि कलेक्ट की। यह किसी एक महीने में अबतक का सबसे अधिक GST कलेक्शन है। इससे पहले सबसे अधिक जीएसटी कलेक्शन का रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये का था, जो अप्रैल 2022 में इकठ्ठा हुआ था।
5. वाजिब वैल्यूएशन
पिछले 18-20 महीनों में कमजोर रिटर्न के बाद, भारतीय शेयर बाजार अब इस समय वाजिब वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं। हालिया गिरावट से भारतीय इक्विटी के वैल्यूएशन में कमी आई, जिससे वे अपने ग्लोबल समकक्षों के मुकाबले अधिक आकर्षक हो गए हैं। इसके चलते, भारतीय इंडेक्सों ने अप्रैल में अधिकतर ग्लोबल इंडेक्सों से बेहतर प्रदर्शन किया है।