Share Markets: भारतीय शेयर बाजारों में मंगलवार 11 नवंबर को शुरुआती गिरावट के बाद जोरदार रिकवरी देखने को मिली। विदेशी संकेतों में सुधार और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को मजबूत किया। सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 411 अंकों की गिरावट के साथ 83,124.03 के निचले स्तर पर चला गया था, लेकिन फिर यहां से इसमें 750 अंकों की उछाल देखने को मिली। कारोबार के अंत में, सेंसेक्स 335.97 अंक या 0.40 फीसदी बढ़कर 83,871.32 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी, जो कारोबार की शुरुआत में 25,450 के नीचे फिसल गया था, बाद में 131.25 अंक या 0.51 फीसदी चढ़कर 25,705.60 के स्तर पर बंद हुआ।
शेयर बाजार में आज की इस तेजी रिकवरी के पीछे 5 बड़ी वजहें रही-
1. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदों ने बढ़ाया विश्वास
2. अमेरिकी शटडाउन के अंत की उम्मीद
अमेरिकी सीनेट ने सोमवार को सरकारी फंडिंग बहाल करने वाला बिल पारित किया, जिससे अमेरिका के इतिहास के सबसे लंबा सरकारी शटडाउन के खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई। शटडाउन खत्म होने से नॉन-फार्म पेरोल रिपोर्ट जैसे अमेरिकी इकोनॉमी के कई रुके हुए अहम आंकड़ों के जारी होने की संभावना है। इससे फेडरल रिजर्व की पॉलिसी रुख पर भी संकेत मिल सकते हैं।
3. फेड की ब्याज दरों में कटौती की संभावना
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से दिसंबर में ब्याज दर घटाए जाने की उम्मीदों ने भी बाजार को सपोर्ट दिया। फेडरल रिजर्व के गवर्नर स्टीफन मिरान ने कहा कि ब्याज दरों में 0.5 फीसदी की कटौती “उचित” हो सकती है क्योंकि महंगाई दर घट रही है और बेरोजगारी धीरे-धीरे बढ़ रही है।
4. ग्लोबल बाजारों से मजबूत संकेत
एशियाई शेयर बाजारों में पॉजिटिव रुख देखने का मिला। साउथ कोरिया कोरिया का कोस्पी, जापान का निक्केई 225 और चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स सभी हरे निशान में बंद हुए। अमेरिकी बाजारों में भी मजबूती रही, जहां S&P 500 में 1.54% और NASDAQ 100 में 2.20% की तेज बढ़त दर्ज की गई। यह मई के बाद इनका सबसे बड़ा सिंगल-डे गेन था।
HDFC सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च हेड, देवर्ष वकील ने बताया, "ग्लोबल इक्विटी में रिकवरी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी ने घरेलू बाजारों को सहारा दिया है।"
5. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से राहत
ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव मंगलवार को 0.19% गिरकर 63.94 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से भारत की इंपोर्ट लागत घटती है और महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है। यह घरेलू बाजारों के लिए एक बड़ा पॉजिटिव संकेत है।
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