भारतीय शेयर बाजार आज यानी शुक्रवार 6 जनवरी को लगातार तीसरे दिन बिकवाली के दबाव में रहे। 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 453 अंक या 0.75 प्रतिशत की गिरावट के साथ 59,900 पर, वहीं निफ्टी 133 अंक या 0.74 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,859 पर बंद हुआ। शेयर बाजार अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बयानों से अभी भी तालमेल बिठा रहा है। इस बीच रूस-यूक्रेन जंग को लेकर नकारात्मक खबर और दक्षिण एशिया में महंगाई पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर की टिप्पणियों ने इस पर दबाव और बढ़ा दिया। ग्लोबल बाजारों से भी राहत के संकेत नहीं दिख रहे हैं। इन सब वजहों से भारतीय शेयर बाजार आज सपाट खुले और जल्द ही लाल निशान में चले गए।
आइए जानते हैं हफ्ते के आखिरी दिन शेयर बाजार में किन वजहों से गिरावट आई-
1. यूक्रेन ने रूस के संघर्षविराम प्रस्ताव को ठुकराया
2. आरबीआई गवर्नर की टिप्पणियां
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नई दिल्ली में आयोजित IMF के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दक्षिण एशिया में महंगाई की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसके चलते इस क्षेत्र की ग्रोथ संभावनाएं कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था को कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के दबाव का सामना करना पड़ रहा है और महंगाई को नियंत्रित किया जाना चाहिए। दास ने कहा कि ग्लोबल ट्रेड और इकोनॉमी में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है और बाहरी कर्ज इस इलाके की व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। दास के बयानों ने निवेशकों के विश्वास को और डगमगाया है।
3. अमेरिकी फेडरल रिजर्व का आक्रामक रुख
ग्लोबल बाजारों को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पॉलिसी रेट तय करने वाली कमेटी से कुछ सकारात्मक बयानों की उम्मीद थी। हालांकि, यूएस फेड ने ऐसा कुछ नहीं कहा। बल्कि इसके उलट महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रखने के अपने रुख को बनाए रखा। बाजार ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर लगाम की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन फेड ने ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहने का संकेत देकर उन्हें झटका दिया।
4. विदेशी निवेशकों की तरफ से बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने पिछले कुछ दिनों से लगातार भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे है। पिछले नौ कारोबारी सत्रों में उन्हें भारतीय शेयर बाजार से 10,500 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। मेहता इक्विटीज के सीनियर वीपी (रिसर्च) प्रशांत तापसे ने कहा, 'ब्याज दरों में बढ़ोतरी और गिरती मांग की वजह से ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती आने की चिंता बनी हुई है। वहीं FII भी पिछले एक हफ्ते से स्थानीय बाजारों को छोड़ रहे हैं। FII ने 5 जनवरी को शुद्ध रूप से 1,450 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 194 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे।'
भारतीय शेयरों का महंगा वैल्यूएशन भी चिंता का एक कारण था। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, वीके विजयकुमार ने कहा, "जाहिर तौर पर, विदेशी निवेशक भारत जैसे अधिक वैल्यूएशन वाले बाजारों से पैसा निकालकर सस्ते वैल्यूएशन वाले बाजारों की तरफ जा रहे हैं। उनका यह रुख भारतीय बाजार में कमजोरी जारी रख सकता है।"
भारत और अमेरिका दोनों अगले हफ्ते महंगाई से जुड़े आंकड़े जारी करने वाले हैं। ऐसे में निवेशक इन आंकड़ों से पहले सतर्कता बरतते दिखे। महंगाई दरों में उम्मीदों के मुताबिक गिरावट नहीं आना, केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी जारी करने के लिए मजबूत कर सकती है, जिसका शेयर बाजारों पर नकारात्मक असर दिखेगा। इसके अलावा अगले हफ्ते से टीसीएस सहित कई कंपनियां अपनी तीसरी तिमाही के नतीजे जारी करेंगे। निवेश से पहले निवेशक इन आंकड़ों पर भी एक नजर डालना चाहते हैं।