मार्केट की नजरें आज (22 अक्टूबर) हुंडई मोटर के शेयरों की लिस्टिंग पर थीं। यह इंडियन स्टॉक मार्केट का सबसे बड़ा आईपीओ था। हुंडई ब्रांड की पहचान इंडिया में घर-घर में है। इसके बावजूद इस आईपीओ को इनवेस्टर्स खासकर रिटेल इनवेस्टर्स का ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं मिला था। इसके शेयरों के लिस्टिंग उम्मीद के मुताबिक फ्लैट रही। शेयर 1.5 फीसदी डिस्काउंट पर लिस्ट हुए। इससे निवेशकों के लिए लिस्टिंग गेंस का कोई मौका नहीं मिला। शायद रिटेल इनवेस्टर्स को इसका अंदाजा पहले से था।
रिटेल इनवेस्टर्स के लिए शेयरों का रिजर्व कोटा सिर्फ 50 फीसदी सब्सक्राइब हो पाया था। क्वालिफायड इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (क्यूआईबी) ने इस आईपीओ को फ्लॉप होने से बचा लिया। क्यूआईबी कैटेगरी में यह आईपीओ 6.97 फीसदी सब्सक्राइब हुआ। इधर, मार्केट का सेटिमेंट कमजोर बना हुआ है। अक्टूबर में निफ्टी 5 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है।
इस बीच कुछ बड़े आईपीओ मार्केट में आने वाले हैं। इनमें एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर (Afcons Infrastructure) और स्विगी (Swiggy) जैसी कंपनियों के आईपीओ शामिल हैं। हुंडई के आईपीओ (Hyundai Motor) को मिले रिस्पॉन्स के बाद इन आईपीओ पर खास नजरें होंगी। उधर, चीन में राहत पैकेज के ऐलान से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का फोकस चीन के मार्केट पर बना हुआ है। इधर, इंडिया में दूसरी तिमाही में कंपनी की अर्निंग्स ग्रोथ बहुत अच्छी नहीं दिख रही। ऐसे में यह देखना होगा कि मार्केट में गिरावट कब तक जारी रहेगी।
इंडियामार्ट इंटरमेश के शेयरों में 21 अक्टूबर को 16 फीसदी गिरावट आई। कारोबार के अंत में शेयर 2,508 रुपये पर बंद हुए। बुल्स का कहना है कि IndiaMART Intermesh का बिजनेस मॉडल अच्छा है। नई सेल्स, सर्विस और मार्केटिंग हेड से कंपनी की ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। गोल्ड और प्लैटिनम सेगमेंट में एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) बढ़ा है। कंपनी कस्टमर एक्सपीरियंस बढ़ाने के लिए निवेश कर रही है। उधर, बेयर्स का कहना है कि सब्सक्राइबर एडिशन में सुस्ती दिखी है। आगे कुछ ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ने की उम्मीद है। तीसरी तिमाही में एंप्लॉयीज की सैलरी बढ़ाने का असर कंपनी के मार्जिन पर पड़ सकता है।
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ग्रेविटा इंडिया का शेयर 21 अक्टूबर को 3.5 फीसदी गिरकर 2,425 रुपये पर बंद हुआ। नोवुमा के इस शेयर को खरीदने की सलाह के बावजूद इसमें गिरावट आई। नोवुमा का मानना है कि इंडिया में ऑर्गेनाइज्ड रिसाइक्लर्स के लिए बैटरी स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ेगी। बेयर्स का कहना है कि कैपेक्स प्लान की कमिशनिंग में देर का असर FY27 के अनुमानित ईपीएस पर 9 फीसदी तक पड़ सकता है। मौजूदा सेगमेंट में GRAV रिसाइकल्ड लीड मार्केट में शिफ्ट पर फोकस कर रही है। इस शिफ्ट से कैपेसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ेगी। इससे FY24-27 के दौरान वॉल्यूम की CAGR 34 फीसदी रह सकती है।