छोटी-बड़ी हर तरह की कंपनियों को टैक्स नोटिस भेजे जा रहे हैं। IPO सब्सक्रिप्शंस के डेटा सुर्खियों में हैं। लग्जरी हाउसिंग मार्केट में बूम जारी है। यही हाल स्मॉलकैप स्टॉक्स का है। Cipla के शेयरों में 7 फीसदी गिरावट आई। इसकी वजह US FDA से जुड़ी खबर है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर ने पीतमपुरा प्लांट में डेटा इंटिग्रिटी के कुछ खास मसलों पर सवाल उठाए हैं। इस मसले के निपटारा में समय लग सकता है। Delta Advisors के निमेश मेहता ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया है कि Advair और Spiriva ऐसे प्रोडक्ट्स हैं, जिनके इस प्लांट से लॉन्च होने की संभावना थी। अब कंपनी के इनहेलर पोर्टफोलियो को लेकर थोड़ी दिक्कत हो सकती है। कुछ हफ्ते पहले तक यह चर्चा थी कि प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे। कंपनी ने इसका खंडन इस महीने की शुरुआत में कर दी थी। लेकिन, शेयरों में तेजी जारी है। 23 नवंबर को आई गिरावट से यह संकेत मिलता है अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर के कमद से हिस्सेदारी बेचने का मामला सुस्त पड़ सकता है।
घरेलू पेटकेम कंपनियों पर काले बादल मंडरा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि चीन में कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ रही हैं। चीन दुनिया में पेटकेम का सबसे बड़ा उत्पादक और कंज्यूमर है। 2023 में पेटकेम मार्जिन कमजोर रहा है। प्रभुदास लीलाधार एनालिस्ट्स का मानना है कि मार्जिन में कमी अगले साल भी देखने को मिल सकती है।
जीएसटी नहीं चुकाने पर कंपनी को 400 करोड़ रुपये का नोटिस मिलने के बाद यह शेयर 2 फीसदी टूटा था। यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि दूसरी तिमाही में जोमैटो ने 36 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया है। इसके बाद से इस स्टॉक को लेकर सेंटिमेंट पॉजिटिव हुआ है। पिछले छह महीनों में इस स्टॉक की कीमत दोगुनी हो गई है। अब स्विगी के भी आईपीओ आने की भी चर्चा हो रही है। यह जोमैटो के बुल्स के लिए बड़ी चिंता होगी। इसकी वजह यह है कि निवेशकों को फूड डिलीवरी स्पेस पर दांव लगाने के लिए विकल्प उपलब्ध होंगे।
23 नवंबर को इस स्टॉक में 1 फीसदी मजबूती आई। इस महीने यह स्टॉक 8 फीसदी चढ़ चुका है। मॉर्गन स्टेनली इस स्टॉक पर न्यूट्रल है। हालांकि, डोमिनोज अब भी कई पैमानों पर अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले मजबूत दिख रही है। हालांकि, मॉर्गन की एक चिंता इस बात को लेकर है कि बाहर खाना खाने या बाहर खाना खाने के लोगों की आदत में बदलाव आ रहा है।
मार्केट में यह आम सोच है कि बैंकों से एनबीएफसी को दिए जाने वाले लोन पर रिस्क वेट बढ़ा देने से बुनियादी स्तर पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। कई लोग RBI के इस कदम की तारीफ कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे बड़ी प्रॉब्लम शुरू होने से पहले ही कंज्यूमर लोन की तेज रफ्तार पर ब्रेक लगेगा। लेकिन, चीजे इतनी आसान नहीं हैं। NBFC का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था FIDC ने RBI को लेटर लिखा है। इसमें रिस्क-वेट के नियमों में बदलाव करने को कहा गया है।