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Smallcaps की थम गई गिरावट? एक्सपर्ट का ये है कैलकुलेशन

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों की शानदार कमाई कराई थी लेकिन फिर तेज करेक्शन से निवेशक घबड़ा गए थे। मार्च के सेकंड हाफ में फिर खरीदारी का रुझान लौटा तो निवेशकों के चेहरे पर खुशी लौटी। हालांकि घरेलू ब्रोकरेज फर्म HDFC सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल रिसर्च हेड वरुण लोहचाब का मानना है कि हालिया करेक्शन के बावजूद अभी भी आगे हरियाली नहीं दिख रही है

अपडेटेड Apr 01, 2024 पर 11:04 AM
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निफ्टी मिडकैप 100 अभी अपने ऐतिहासिक वैल्यूशन से करीब 120 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 करीब 144 फीसदी पर है यानी कि इनमें गिरावट दिख सकती है।

स्मॉलकैप में मार्च के सेकंड हाफ में फिर खरीदारी का रुझान लौटा तो निवेशकों के चेहरे पर खुशी लौटी। हालांकि घरेलू ब्रोकरेज फर्म HDFC सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल रिसर्च हेड वरुण लोहचाब (Varun Lohchab) का मानना है कि हालिया करेक्शन के बावजूद अभी भी आगे हरियाली नहीं दिख रही है। उनका मानना है कि स्मॉलकैप मे में एक फिर गिरावट का रुझान देखने को मिल सकता है। मनीकंट्रोल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मिडकैप थोड़े-बहुत ओवरवैल्यूएड हैं लेतिन स्मॉलकैप के कुछ सेगमेंट्स तो अपने फंडामेंटल्स से काफी आगे हैं यानी स्मॉलकैप में एक बार फिर बड़ी गिरावट दिख सकती है।

कितना ओवरवैल्यू है स्मॉलकैप और मिडकैप

वरुण के मुताबिक ब्रोडर मार्केट में अभी भी कुछ कांटे बिछे हैं। निफ्टी मिडकैप 100 अभी अपने ऐतिहासिक वैल्यूशन से करीब 120 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 करीब 144 फीसदी पर है यानी कि इनमें गिरावट दिख सकती है। ऐसे में वरुण का मानना है कि स्मॉलकैप में आगे तेज गिरावट दिख सकती है।


RBI के अनुमान से सुस्त रह सकती है इकनॉमिक ग्रोथ

ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 की जीडीपी 6.2 फीसदी से 6.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकता है। यह RBI के अनुमान से काफी कम है जिसने 7 फीसदी की ग्रोथ रेट प्रोजेक्ट किया है। वरुण के मुताबिक वैश्विक मंदी, शहरी मांग में कुछ कमी और पिछले वर्ष की तुलना में सरकारी पूंजीगत व्यय में धीमी बढ़ोतरी से इस पर असर दिख सकता है। वहीं दूसरी तरफ मानसून के सामान्य होने और मुद्रास्फीति के स्थिर लेवल, वित्त वर्ष 2024 की तुलना में निर्यात के बेहतर प्रदर्शन और निजी निवेश में तेजी के दम पर गांवों में मांग बढ़ सकती है।

आईटी कंपनियों पर अभी भी दिख सकता है दबाव

पिछले वित्त वर्ष 2024 के आखिरी तिमाही की बात करें तो वरुण का मानना है कि BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस), सीमेंट, फार्मा और मेटल्स सेक्टर्स की स्थिति बेहतर दिख सकती है लेकिन केमिकल, पावर और होम इंप्रूवमेंट सेक्टर्स की कंपनियों के नतीजे निराश कर सकते हैं। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में कंपनियों की कमाई 52 फीसदी, दूसरी तिमाही में 34 फीसदी, तीसरी तिमाही में 20 फीसदी की दर से बढ़ी और अब चौथी तिमाही में इसके 22 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है।

आईटी कंपनियों के बात करें तो मार्च तिमाही में इनकी कमाई कमजोर बनी रहेगी। हालांकि इस साल की दूसरी छमाही जुलाई-दिसंबर 2024 में दरों में कटौती और अमेरिका में महंगाई दर में सुस्ती से कंपनियां तकनीक पर खर्च बढ़ा सकती हैं और इससे आईटी कंपनियों को सपोर्ट मिल सकता है। यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए पॉजिटिव होगा तो वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में इनकी स्थिति में सुधार दिख सकता है।

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