जापान का सॉफ्टबैंक 2026 से भारत में वापसी करेगा। यह फिर से भारतीय कंपनियों या स्टार्टअप्स में निवेश शुरू करेगा। सॉफ्टबैंक इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर सुमेर जुनेजा का कहना है कि कंपनी को भरोसा है कि वह कैपिटल लगाएगी। उन्होंने साफ किया कि फर्म का भारत के अगले ग्रोथ साइकिल से बाहर रहने का कोई इरादा नहीं है। मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में जुनेजा ने कहा, “हम पक्का गेम से बाहर नहीं रहना चाहते।” अगर एक्टिव रहने के लिए जरूरी हुआ तो कंपनी छोटे निवेश करने के लिए तैयार है।
पिछले 3 सालों में सॉफ्टबैंक के निवेश वाली 8 भारतीय कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट हुई हैं। लेटेस्ट मीशो है। लेकिन इस दौरान इसने भारत में नए निवेश करने से दूरी बनाए रखी है। पिछले दो सालों में फिनटेक कंपनी जसपे के अलावा सॉफ्टबैंक ने कोई नई डील साइन नहीं की।
एग्जिट मोड में नहीं है सॉफ्टबैंक
जुनेजा के मुताबिक, कंपनी भारतीय बाजार से एग्जिट मोड में नहीं है। वह AI से जुड़ी थीम में निवेश करना शुरू करेगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या सॉफ्टबैंक आने वाले महीनों में और डील्स साइन करेगा, तो उन्होंने कहा, “हां, हम करेंगे। हमारे पास एक अच्छी पाइपलाइन है। इसलिए, हमें भरोसा है कि हम 2026 में कैपिटल लगाएंगे।” आगे कहा, “पिछले 12 महीनों में, अच्छे फाउंडर्स और कंपनियों की पाइपलाइन और भी मजबूत होती गई है। जिन एंटरप्रेन्योर्स से हम अभी मिल रहे हैं, वे हाई क्वालिटी वाले हैं।”
जुनेजा के मुताबिक, “हम भारत में निवेश करना जारी रखना चाहते हैं। हम पक्का गेम से बाहर नहीं होना चाहते। अब, अगर इसका मतलब है कि हमें 2.5 करोड़ डॉलर की डील करनी है, तो हम करेंगे। अगर इसका मतलब है कि हमें 2 करोड़ डॉलर की डील करनी है, तो हम करेंगे। लेकिन हम मार्केट से बाहर नहीं रहेंगे।”
AI पर रहेगा ज्यादातर फोकस
आगे चलकर सॉफ्टबैंक ज्यादातर उन स्टार्टअप्स पर फोकस करेगा, जो AI से जुड़े हैं। AI कंज्यूमर कंपनियां, AI ऐप्स, AI वीडियो एडिटिंग कंपनियां और हेल्थकेयर जैसे एंटरप्राइज के साथ काम करने वाली B2B AI कंपनियां, कुछ ऐसे सेक्टर हैं जो सॉफ्टबैंक को उत्साहित करते हैं।
कम कैपिटल जुटा रहे हैं स्टार्टअप्स
जुनेजा ने यह भी कहा कि फाउंडर्स फंड जुटाने को लेकर ज्यादा समझदार हो गए हैं। 2023 के समय में निवेशकों ने जिस बचत की मांग की थी, उसका नतीजा यह हुआ कि कंपनियों ने फंडिंग के कम राउंड किए और कम हिस्सेदारी बेची। स्टार्टअप्स भी कम कैपिटल जुटा रहे हैं क्योंकि वे जल्दी पब्लिक होने का ऑप्शन चुन रहे हैं और शुरुआती निवेशकों को लिक्विडिटी उपलब्ध करा रहे हैं। जुनेजा ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप IPOs का मतलब यह भी है कि सॉफ्टबैंक जैसे बड़े निवेशक असल में IPO मार्केट के साथ भी मुकाबला कर रहे हैं।