मोतीलाल ओसवाल की वेल्थ क्रिएशन स्टडी में डिफेंस और कैपिटल गुड्स कंपनियां सबसे आगे, बैंकिंग और फाइनेंस भी टॉप लिस्ट में

मोतीलाल ओसवाल की वेल्थ क्रिएशन स्टडी में डिफेंस और कैपिटल गुड्स कंपनियां सबसे आगे रहीं हैं। बैंकिंग और फाइनेंस कंपनियां भी टॉप लिस्ट में शामिल रही हैं। इस दौरान जिन कंपनियों ने अच्छा परफॉर्म किया है, उनमें से कई से आने वाले सालों में भी अच्छी-खासी वेल्थ क्रिएशन की उम्मीद है

अपडेटेड Dec 12, 2025 पर 2:19 PM
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मोतीलाल ओसवाल की राय है कि भारत एक “मल्टी-ट्रिलियन डॉलर (MTD) मौके” में जा रहा है। इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइनेंशियल्स, कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी और कैपिटल स्पेंडिंग से जुड़ी इंडस्ट्रीज़ जैसे सेक्टर्स में लंबे समय तक मजबूत ग्रोथ की संभावना है

मोतीलाल ओसवाल की 30वीं सालाना वेल्थ क्रिएशन स्टडी में 2020-25 में वेल्थ क्रिएट करने वाली कंपनियां में डिफेंस और कैपिटल गुड्स कंपनियां सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाली कंपनियां रहीं हैं। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर ने भी वेल्थ क्रिएशन में सबसे बड़ा योगदान देने की अपनी पोजीशन बनाए रखी है। 11 दिसंबर को मुंबई में जारी रिपोर्ट में बताया गया कि इस अवधि में टॉप 100 कंपनियों द्वारा बनाई गई कुल वेल्थ 148 लाख करोड़ रुपये के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई।

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डिफेंस कई परफॉर्मेंस कैटेगरीज में रहा सबसे आगे


हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) दो कैटेगरी में रैंकिंग में सबसे आगे रहा है। यह स्टॉक लगातार बना रहने वाला वेल्थ क्रिएटर (पिछले पांच सालों में हर साल निफ्टी टोटल रिटर्न इंडेक्स से बेहतर परफॉर्म करते हुए) और बेस्ट ऑल-राउंड वेल्थ क्रिएटर के तौर पर उभरा है। इस अवधि में इसने सालाना 75 फीसदी रिटर्न दिया है। दूसरे जाने-माने डिफेंस PSU में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) शामिल हैं। इन्होंने 5 साथ की अवधि में 70 फीसदी और 66 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है।

अडानी पावर, BSE, परसिस्टेंट सिस्टम्स और रेल विकास निगम ने कराई खूब कमाई

डिफेंस सेक्टर के बाहर,ऑल-राउंड वेल्थ क्रिएटर्स की टॉप परफॉर्मर्स लिस्ट में अडानी पावर, BSE, परसिस्टेंट सिस्टम्स, रेल विकास निगम, इंडियन बैंक, वरुण बेवरेजेज, ट्रेंट और जिंदल स्टील शामिल हैं। इससे संकेत मिलता है कि एनर्जी, फाइनेंशियल सर्विसेज़, टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर और कंज्यूमर गुड्स जैसे सेक्टर्स में मजबूत वेल्थ क्रिएशन हुआ है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार वेल्थ क्रिएशन चैलेंजिंग है, टॉप 100 कंपनियों में से सिर्फ 13 ही पांच साल के टाइम फ्रेम में हर साल बेहतर परफॉर्म कर पाई हैं।

लार्सन एंड टूब्रो टॉप 10 वेल्थ क्रिएटरों में रही

कैपिटल गुड्स कंपनियों ने भी अच्छी कमाई करवाई है। लार्सन एंड टूब्रो टॉप 10 वेल्थ क्रिएटरों में रही है। 2020-25 के दौरान इसके मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में 3.97 लाख करोड़ रुपए की बढ़त हुई है। यह सेक्टर सबसे फास्ट वेल्थ क्रिएटर्स की लिस्ट में भी शामिल रहा। इस सेक्टर में GE वर्नोवा T&D ने 85 फीसदी सालाना और डिक्सन टेक्नोलॉजीज़ ने 79 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। स्टडी में कहा गया है कि कैपिटल गुड्स/इंजीनियरिंग जैसे साइक्लिकल सेक्टर "पांच साल पहले की तुलना में वेल्थ क्रिएशन में काफ़ी ज़्यादा आगे रहे हैं। कैपिटल गुड्स/इंजीनियरिंग सेक्टर ने 2020-25 के दौरान 13,974 अरब रुपये की वेल्थ क्रिएट की।

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पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में हुई जोरदार ग्रोथ

मोतीलाल ओसवाल की 30वीं सालाना वेल्थ क्रिएशन स्टडी में पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में हुई जोरदार ग्रोथ को भी हाईलाइट किया गया है। इसमें बताया गया है कि 2020-25 में बनी कुल वेल्थ में PSUs का हिस्सा 25% था। इसमें 7 सरकारी कंपनियों में हुए प्रॉफ़िट टर्नअराउंड से अच्छी मदद मिली। खास तौर पर, टॉप 10 ऑल-राउंड वेल्थ क्रिएटरों में से चार PSUs कंपनियां रहीं (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और HAL सहित)।

बैंकिंग और फाइनेंस लगातार दूसरी स्टडी में सबसे ज़्यादा पैसा बनाने वाले सेक्टर रहे

दूसरे सेक्टरों की बात करें तो बैंकिंग और फाइनेंस लगातार दूसरी स्टडी में सबसे ज़्यादा पैसा बनाने वाले सेक्टर बने रहे। 5 साल की अवधि में इन सेक्टरों ने 36,534 अरब रुपये का वेल्थ क्रिएशन किया है जो किसी भी दूसरे सेक्टर से ज़्यादा है। इसकी वजह मज़बूत क्रेडिट ग्रोथ और बेहतर मुनाफा(खासकर PSU बैंकों में) है।

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भारत में मल्टी-ट्रिलियन डॉलर (MTD)कमाई के मौके

मोतीलाल ओसवाल की राय है कि भारत एक “मल्टी-ट्रिलियन डॉलर (MTD) मौके” में जा रहा है। इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइनेंशियल्स, कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी और कैपिटल स्पेंडिंग से जुड़ी इंडस्ट्रीज़ जैसे सेक्टर्स में लंबे समय तक मजबूत ग्रोथ की संभावना है। इस दौरान अच्छा परफॉर्म करने वाली कई कंपनियों से आने वाले सालों में भी अच्छी-खासी कमाई होने की उम्मीद है। MTD थीम इस बात पर ज़ोर देती है कि आने वाले दशकों में भारत की इकोनॉमिक और कॉर्पोरेट ग्रोथ वेल्थ क्रिएशन में मदद कर सकती है। बाजार को बढ़ते फाइनेंशियलाइजेशन, बढ़ती इक्विटी ओनरशिप और मज़बूत कॉर्पोरेट प्रॉफिटेबिलिटी जैसे स्ट्रक्चरल फैक्टर्स से फायदा होगा।

 

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