सरकारी कंपनियों के बोनस, डिविडेंड और स्टॉक स्प्लिट से जुड़े नियमों में आठ साल के बाद बड़ा बदलाव हुआ है। सरकार ने मार्केट की परिस्थितियों से मेल के लिए वर्ष 2016 के बाद पहली बार सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs) के कैपिटल रीस्ट्रक्चरिंग से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत अब इक्विटी शेयरों का बायबैक वही पीएसयू कर सकेंगी जिनका नेटवर्थ कम से कम 3 हजार करोड़ रुपये हो। इससे पहले यह लिमिट 2 हजार करोड़ रुपये थी। इसके अलावा कैश रिजर्व की जरूरतों को भी 1000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
Bonus Shares और Stock Split के लिए भी बदले नियम
सिर्फ शेयर बायबैक ही नहीं, बल्कि सरकारी कंपनियों को बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट करने के भी नियम बदल गए हैं। बोनस शेयर जारी करने के लिए पीएसयू के रिजर्व और सरप्लस की जरूरतों को पेड अप इक्विटी कैपिटल के 10 गुने से बढ़ाकर 20 गुना कर दिया गया है। स्टॉक स्प्लिट के लिए अब उनका मार्केट प्राइस इक्विटी शेयर की फेस वैल्यू से 150 गुना अधिक होना चाहिए जबकि 2016 में इसे 50 गुना पर तय किया गया था। इसके अलावा दो स्टॉक स्प्लिट के बीच का गैप तीन साल है यानी कि एक बार स्टॉक स्प्लिट के बाद अगली बार तीन साल बाद ही हो सकेगा।
Mazagon Dock के शेयर हो रहे स्प्लिट तो NMDC बांट रही बोनस शेयर
अब पीएसयू के लेटेस्ट फैसले की बात करें तो मझगांव डॉक ने हाल ही में शेयरों को तोड़ने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले शेयर 5-5 रुपये की फेस वैल्यू वाले दो शेयरों में टूटेंगे। इसके अलावा एनएनडीसी ने सितंबर तिमाही के नतीजे के साथ-साथ बोनस इश्यू का भी ऐलान किया। यह एक शेयर पर दो फ्री शेयर बांटेगी। वर्ष 2008 के बाद पहली बार यह कंपनी बोनस शेयर बांटने जा रही है।