Stock Market: मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच अब किस करवट बैठेगा शेयर बाजार? क्या जारी रैली को लगेगा ग्रहण? एक्सपर्ट्स की राय
Stock Market: एक्सपर्ट्स का कहना है कि डोमेस्टिक लिक्विडिटी ही है जो बाजारों को चला रही है। उनका कहना है कि अगर जापान के नए प्रधानमंत्री ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं तो फॉरेन फ्लो भी प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्थिति चिंताजनक हो गई है, ऐसे में निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए
BSE सेंसेक्स की बात करें तो यह एक अक्टूबर को 84,266.29 अंक पर बंद हुआ है।
Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में लगातार मजबूत रैली देखने को मिली है। BSE सेंसेक्स की बात करें तो यह एक अक्टूबर को 84,266.29 अंक पर बंद हुआ है। दूसरी ओर, निफ्टी 50 की बात करें तो यह 25796.90 के लेवल पर पहुंच गया है। अब सवाल यह है कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच क्या भारतीय शेयर बाजार की यह रैली आगे भी जारी रहेगी? एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों के लिए सतर्क रहने और बहुत रिस्क न लेने का समय आ गया है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि कई ऐसे फैक्टर्स हैं जिससे शेयर बाजार में जारी रैली कौ ग्रहण लग सकता है। इन रिस्क फैक्टर्स में ईरान-इजराइल युद्ध, कच्चे तेल की कीमतें, चीन का प्रोत्साहन पैकेज और जापान में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना शामिल हैं।
डोमेस्टिक लिक्विडिटी है हालिया रैली की वजह: एक्सपर्ट्स
एक्सपर्ट्स इस बात पर एकमत हैं कि भारतीय बाजारों में हाल ही में जो तेजी आई है, वह मुख्य रूप से डोमेस्टिक लिक्विडिटी के कारण है, जबकि फंडामेंटल बातें बहुत पीछे रह गई हैं, जिसने बहुत ही नाजुक हालात बनाया है। उनका कहना है कि मिडिल ईस्ट में जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव और चीन पर नए सिरे से फोकस करने से भारतीय बाजारों के लिए खेल खराब हो सकता है।
बाजार के दिग्गज शंकर शर्मा कहते हैं, "भारतीय बाजारों ने अपनी उम्मीद से कहीं अधिक तेजी दिखाई है और अब इसमें ठंडक का दौर आएगा। यह पिछले एक साल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक था, लेकिन ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि यह दौड़ में अकेला था।" उन्होंने आगे कहा, “अब चीन भी मैदान में उतर चुका है और यह दो घोड़ों वाली दौड़ है। चीन इस वजह के कारण भी आगे निकल सकता है कि उसके पास लंबे समय तक मंदी का बाजार रहा है। हालांकि भारतीय बाजार स्ट्रक्चरली मजबूत हैं, लेकिन यह बहुत अग्रेसिव होने का समय नहीं है।”
बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही मौजूदा कैलेंडर ईयर में करीब 16 फीसदी ऊपर हैं और चीन, ब्रिटेन, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस और कोरिया सहित कई अन्य बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार अगर पिछले एक साल को ध्यान में रखा जाए तो भारतीय बेंचमार्क की रैंकिंग में सुधार हुआ है क्योंकि केवल अमेरिका और ताइवान ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
'भारतीय बाजार के लिए कई रेड फ्लैग'
इंडिपेंडेंट मार्केट एनालिस्ट अंबरीश बालिगा कहते हैं, "यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि सेंटीमेंट किस तरह प्रभावित होंगी, क्योंकि भारतीय बाजार केवल लिक्विडिटी और सेंटीमेंट के कारण ही आगे बढ़ रहे हैं, जबकि फंडामेंटल बहुत पीछे छूट गए हैं। वर्तमान में बहुत सारे रेड फ्लैग हैं और कोई भी चिंता बड़ा रूप ले सकती है और इसलिए निवेशकों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर अगर लिक्विडिटी खत्म होने लगती है, तो बहुत बड़ा करेक्शन हो सकता है, क्योंकि अर्निंग, जीएसटी कलेक्शन, मैन्युफैक्चरिंग PMI अभी सपोर्टिव नहीं हैं।" दिलचस्प बात यह है कि सितंबर में फॉरेन फ्लो में भारी उछाल देखा गया है। सितंबर में FPI की शुद्ध खरीद लगभग 7 अरब डॉलर आंकी गई थी, वहीं अगस्त में यह 900 मिलियन डॉलर से कम थी।
लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि डोमेस्टिक लिक्विडिटी ही है जो बाजारों को चला रही है। बालिगा कहते हैं, "अगर जापान के नए प्रधानमंत्री ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं तो फॉरेन फ्लो भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि इससे कैरी ट्रेड पर फिर से असर पड़ेगा, जो बदले में भारत सहित ग्लोबल लेवल पर विदेशी निवेश को प्रभावित करेगा।"
अधिकांश एक्सपर्ट्स ने सावधानी बरतने की दी सलाह
इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्थिति चिंताजनक हो गई है और अधिकांश एक्सपर्ट्स सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। जाने-माने निवेशक विजय केडिया कहते हैं, "मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव के कारण स्थिति निश्चित रूप से थोड़ी मुश्किल हो गई है क्योंकि अब अधिक देश इसमें शामिल हो रहे हैं।" केडिया कहते हैं, "यह अब लिक्विडिटी बनाम फंडामेंटल का खेल है और निवेशकों को बहुत ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहिए क्योंकि मिलेजुले संकेत मिल रहे हैं। निवेशकों को अब केवल लॉन्ग टर्म वाले शेयरों पर फोकस करना चाहिए।"
ज्यादातर रिटेल निवेशकों के पोर्टफोलियो घाटे में क्यों?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बेंचमार्क भले ही नई ऊंचाइयों को छू रहे हों, लेकिन ब्रॉडर मार्केट में कोई समान वृद्धि नहीं हुई है, जिसके चलते कई निवेशकों के पोर्टफोलियो अभी भी घाटे में हैं या उनका प्रदर्शन काफी कमजोर है। बलिगा कहते हैं, "बेंचमार्क सूचकांक के ऊंचाइयों पर होने के बावजूद अधिकांश रिटेल पोर्टफोलियो घाटे में हैं, क्योंकि पहले जो शेयर चलन में थे, उनमें से कई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।" साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में इन्फॉर्मेशन पर प्रतिक्रिया और सूचनाओं की गति बढ़ने के कारण अस्थिरता निश्चित रूप से बढ़ेगी।
हालांकि, एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल स्टोरी अभी भी बरकरार है और निवेशकों को लॉन्ग टर्म वाले शेयरों पर भी नजर रखनी चाहिए। बलिगा कहते हैं, "भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन अब और तब के बीच इसमें बड़ी तेजी और गिरावट आ सकती है और निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।" इसी मामले में केडिया कहते हैं कि वर्तमान में निवेशकों को केवल लॉन्ग टर्म वाले शेयरों पर ही फोकस करना चाहिए।
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