Share Market Falls: क्या शेयर बाजार में करेक्शन के जोन में चला गया है? सेंसेक्स और निफ्टी ने 27 सितंबर को अपना ऑल-टाइम हाई बनाया था और तब से यह करीब 10 फीसदी तक नीचे आ गए हैं। इसके बावजूद मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार में अभी बॉटम नहीं बना है और अभी यहां से 10 फीसदी तक की और गिरावट आ सकती है। इस सबके बीच कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी है। शेयर बाजार की अब आगे कैसी चाल रहेगी और एक्सपर्ट्स का इस पर क्या कहना है, आइए जानते हैं-
शेयर बाजार में आज 13 नवंबर को गिरावट और तेज हो गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 1 फीसदी से अधिक लुढ़क लगातार 5वें दिन लाल निशान में बंद हुए। निफ्टी ने तो कारोबार के दौरान अपना 200 दिनों का डेली मूविंग एवरेज तोड़ दिया। मिडकैप और स्मॉलकैप में भी कोई राहत नहीं दिखी और दोनों इंडेक्स ढाई से 3 फीसदी तक लुढ़ककर बंद हुए।
ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी के संदीप भाटिया का मानना है कि अगले 3 से 6 महीनों के दौरान निफ्टी 50 इंडेक्स में 10% की और गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में कोविड के बाद जो तेजी का दौर देखने को मिला था, वो अब तेजी का दौर अब पीछे छूट गया है और शेयर बाजार अब नॉर्मल की तरफ बढ़ रहा है। भाटिया ने कहा कि उन्हें लगता है कि बाजार में अभी और गिरावट देखा जाना बाकी है। मुमकिन है कि इंडेक्स में अभी और 10 पर्सेंट की गिरावट आए। उनका कहना था कि पिछले कुछ समय से वह बाजार को लेकर काफी सतर्क हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।'
शेयर बाजार में क्यों आ रही गिरावट?
अब सवाल है कि आखिरी बाजार में गिरावट आ क्यों रही है, तो इसके पीछे कई रीजन है। सबसे बड़ा रीजन हैं कंपनियों के खराब तिमाही नतीजे। JM फाइनेंशियल ने बताया कि उसके कवरेज वाली 121 कंपनियों के तिमाही नतीजे अब तक खराब रहे हैं। कई कंपनियों ने अपने चार साल से भी अधिक समय का सबसे खराब नतीजा दिया है। SMC ग्लोबल सिक्योरिटीज के सौरभ जैन का फीके तिमाही नतीजों के चलते निवेशकों के बीच घबराहट बढ़ गई है और जिससे वैल्यूएशन को सपोर्ट मिलना अब बंद हो गया है।
भाटिया ने भी कहा कि सिर्फ कंपनियों के नतीजे ही निराशाजनक नहीं हैं, बल्कि निश्चित तौर पर हमारे वैल्यूएशंस भी काफी ज्यादा हैं। खासतौर मिडकैप और स्मॉलकैप अभी भी काफी महंगा है। यह बाजार में बेयर्स गैंग को हावी होने का मौका दे रहा है। इसके अलावा महंगाई दर एक बार फिर 6 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है। इससे RBI पर ब्याज दरें नहीं घटाने का दबाव आ गया है। FII की बिकवाली की दिक्कत बनी ही हुई है। इस महीने अब तक FII करीब 25,180 करोड़ की शुद्ध बिकवाली कर चुके हैं।
अमेरिकी मार्केट्स पर रहेगी नजर
भाटिया ने कहा कि आने वाले समय (2025) में असली खेल अमेरिकी बाजार में देखने को मिलेगा। लिहाजा, अगर 2025 में डॉलर में मजबूती रहती है, तो निश्चित तौर पर इसका असर भारत समेत तमाम उभरते हुए बाजारों पर पड़ेगा। ऐसे में मेरे हिसाब से अगले 3-6 महीनों में बाजार में 10 पर्सेंट तक का करेक्शन देखने को मिल सकता है।
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