Stock Markets: भारतीय शेयर बाजारों ने आज 18 मार्च को जबरदस्त वापसी की। सेंसेक्स में 1100 से भी अधिक की उछाल देखने को मिली, जिससे रिटेल निवेशकों को राहत की सांस लेने का मौका मिला। इससे पहले पिछले 5 महीनों से शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी थी। निवेशकों के पोर्टफोलियो इस दौरान लाल रंग में डूब गए थे। ऐसे में निवेशकों के मन में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि शेयर बाजार की यह तेजी कितनी टिकाऊ है। क्या उन्हें इस रिकवरी का फायदा उठाकर मुनाफा बुक कर लेना चाहिए, या उन्हें होल्ड करना चाहिए, या फिर उन्हें अपना निवेश दोगुना कर शेयर बाजार की अगली रैली की तैयारी करनी चाहिए।
इससे पहले कि आप कोई कदम उठाएं, यह समझना ज़रूरी है कि यह करेक्शन पिछले शेयर बाजार के पिछले बड़े गिरावटों से अलग था। इस बार शेयर मार्केट किसी बड़े नकारात्मक घटना के चलते नहीं, बल्कि कंपनियों की कमजोर कमाई की चिंताओं के कारण गिरा था।
शेयर मार्केट का सेंटीमेंट हमेशा "जोश और निराशा" के बीच झूलता रहता है। जब मार्केट चढ़ता है, तो लोग इसमें कहानी ढूंढते हैं, और जब गिरता है, तो कहते हैं कि "हमें पहले से पता था"। लेकिन आखिरकार सच्चाई यही है कि, लंबे समय में कंपनियों का मुनाफा ही शेयर का भाव बढ़ाता है और बाकी सभी फैक्टर्स पीछे छूट जाते हैं।
तो अब निवेशकों को क्या करना चाहिए? अगर आपके पोर्टफोलियो में गिरावट आई है और आप यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्या कदम उठाना सही रहेगा, तो इन 7 अहम बातों पर ध्यान दें—
1. शेयर मार्केट में बॉटम बनने का मतलब आपके पोर्टफोलियो का बॉटम नहीं होता
कई निवेशकों को लगता है कि जब शेयर बाजार गिरकर संभल जाता है, तो उनके स्टॉक्स ने भी अपना बॉटम यानी निचला स्तर छू लिया होगी। लेकिन यह जरूरी नहीं है। हालिया करेक्शन में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 20% तक टूट गए थे, लेकिन इसके बावजूद इस सेगमेंट के कई स्टॉक्स अभी भी महंगे बने हुए हैं।
सितंबर 2024 में NSE 500 इंडेक्स के केवल 24% स्टॉक्स का P/E अनुपात 25x से कम था। आज यह आंकड़ा 32% तक बढ़ गया है, लेकिन अभी भी 68% स्टॉक्स 25x से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं। 50x P/E से ऊपर ट्रेड करने वाले स्टॉक्स की संख्या 48% से घटकर 34% हो गई है, लेकिन यह अभी भी सस्ता नहीं माना जा सकता। यानी, कई स्टॉक्स अभी भी ज्यादा महंगे हैं, और आगे और गिरावट आ सकती है।
2. शेयर बाजार की हर तेजी में उसके लीडर भी बदल जाते हैं
शेयर बाजार के हर बुल रैली की अगुआई अक्सर अलग सेक्टर करता है। कोरोना महामारी के बाद PSU, रेलवे, डिफेंस, पावर और कैपिटल गुड्स सेक्टर उछले, लेकिन उनमें भी सेक्टर रोटेशन होता रहा। अगर आप सिर्फ उन्हीं स्टॉक्स पर दांव लगा रहे हैं, जो पिछले बुल रन में चमके थे, तो यह एक गलत रणनीति हो सकती है। वैल्यूएशन के साथ ग्रोथ संभावनाओं पर भी फोकस करें।
3. खराब शेयरों में न फंसे
कई निवेशक एक खराब स्टॉक को सिर्फ इसलिए पकड़े रहते हैं क्योंकि उन्होंने उसे ऊंची कीमत पर खरीदा था। यह सबसे बड़ी गलती होती है। निवेशकों को लगता है कि यह स्टॉक एक दिन वापसी करेगा और यही सोच उन्हें नुकसान पहुंचाती है। शेयर मार्केट को आपके खरीद हुए भाव से कोई मतलब नहीं है। अगर कोई स्टॉक ग्रोथ नहीं दिखा रहा, या फिर अभी भी महंगा है, तो उसे छोड़ दें और बेहतर विकल्पों पर ध्यान दें। कमजोर स्टॉक्स से बाहर निकलने में देर न करें। "अच्छे पैसे को बुरे शयेरों के पीछे मत लगाइए"।
4. बड़ी गिरावट का मतलब शेयर सस्ता होना नहीं होता है
कई निवेशकों को लगता है कि अगर कोई स्टॉक 50% गिर गया है, तो यह "सस्ता" हो गया है। लेकिन ऐसा हमेशा सही नहीं होता। स्टॉक्स गिरने के पीछे एक से अधिक कारण होसकतें है, जैसे खराब बिजनेस, या फिर ज्यादा वैल्यूएशन। 50% गिरावट का मतलब यह नहीं कि स्टॉक सस्ता हो गया है। याद रखें, 50% गिरने के बाद, किसी स्टॉक को अपनी पुरानी कीमत पर लौटने के लिए 100% बढ़ना पड़ेगा। सिर्फ "गिरी हुई कीमत" के आधार पर निवेश न करें—बल्कि स्टॉक की फंडामेंटल वैल्यू देखें।
5. पेनी स्टॉक्स से बचें, "सस्ता" मतलब अच्छा नहीं होता है
निवेशकों को लगता है कि ₹10-₹20 में ट्रेड होने वाले स्टॉक्स सस्ते हैं। लेकिन सस्ता और सस्ते भाव में मिलना, दोनों में अंतर होता है। वोडाफोन आइडिया, सुजलॉन जैसे स्टॉक्स रिटेल निवेशकों के फेवरेट हैं, लेकिन फंडामेंटल्स के आधार पर वे कमजोर हैं। कम कीमत के लालच में खराब क्वालिटी के स्टॉक्स न खरीदें।
6. समय पर पोर्टफोलियो सुधारें
इक्विटी निवेश में 5 साल का समय अच्छा माना जाता है, लेकिन सिर्फ लंबी अवधि अच्छे रिटर्न की गारंटी नहीं देती। खराब स्टॉक को सिर्फ लंबे समय तक पकड़े रहने से वह अच्छा नहीं बन जाता। गलत जगह निवेश करने वालों को घाटा होता ही है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हर गलती अपने रास्ते में सुधार करने का मौका भी है। ऐसे में निवेश कर भूलें नहीं, बल्कि समय समय पर अफने पोर्टफोलिसो को बैलेंस करें। सिर्फ उम्मीद रखना, कोई रणनीति नहीं होती!
7. कैश होल्ड करना भी एक पोजिशन होती है, हर समय निवेश करना जरूरी नहीं
अगर आप ओवरवैल्यूड स्टॉक से बाहर निकल चुके हैं, तो नकदी को फिर से लगाने में जल्दबाजी न करें। जैसा कि बेंजामिन ग्राहम ने कहा था—"शेयर मार्केट हर दिन आपको डील्स ऑफर करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि आप हर बार उन्हें स्वीकार करें।" कभी-कभी, सबसे अच्छा कदम कैश को होल्ड करना और आकर्षक मौकों का इंतजार करना होता है। अगर आपके इंतजार करने का धैर्य है, तो शेयर मार्केट आपको हमेशा एंट्री के लिए नए मौके देगा।