Stock Markets: जब इंडियन मार्केट रिकवरी दिखा रहा था तभी ट्रंप ने साधा निशाना, बाजार ने गंवा दी ज्यादातर बढ़त
ट्रंप के हाल के दोनों झटकों से पहले MSCI India इंडेक्स लगातार तीन हफ्तों तक चढ़ा था। इस दौरान इसमें 4 फीसदी से ज्यादा उछाल आया था। यह मई के बाद से तेजी का सबसे लंबा सिलसिला था। ट्रंप के दोनों फैसलों का असर विदेशी निवेशकों पर भी पड़ा है
लगातार छह सालों तक चढ़ने के बाद 2025 में इंडियन शेयरों की चाल सुस्त पड़ गई है।
यह साल इंडियन स्टॉक मार्केट्स के लिए काफी खराब रहा है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दो बड़े झटकों का हाथ है। जब इंडियन मार्केट्स में रिकवरी दिख रही थी तभी ये झटके लगे। एच-1बी वीजा पर फीस बढ़ने के ऐलान के बाद से इंडिया एमएससीआई इंडेक्स लगातार 5 सत्रों में गिरा है। एच-1बी वीजा फीसद बढ़ने से 280 अरब डॉलर की इडिया की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को बड़ी मुश्किल पैदा हो गई है। दूसरा, ट्रंप ने पेटेंटेड दवाओं के इंपोर्ट पर 100 फीसदी टैरिफ लगा दिया। इस फैसले का असर 26 सितंबर को इंडियन फार्मा कंपनियों के शेयरों पर दिखा।
फॉरेन फंडों ने फिर से इंडियन मार्केट्स में शुरू की बिकवाली
Donald Trump के हाल के दोनों झटकों से पहले MSCI India इंडेक्स लगातार तीन हफ्तों तक चढ़ा था। इस दौरान इसमें 4 फीसदी से ज्यादा उछाल आया था। यह मई के बाद से तेजी का सबसे लंबा सिलसिला था। ट्रंप के दोनों फैसलों का असर विदेशी निवेशकों पर भी पड़ा है। पहले से ही इंडिया पर ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ से सेंटिमेंट कमजोर है। इस टैरिफ का असर भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी पड़ा है। फॉरेन फंडों ने दो हफ्ते खरीदारी के बाद फिर से इंडियन मार्केट्स में बिकवाली शुरू कर दी है।
इंडिया की जगह फॉरेन इनवेस्टर्स ग्रोथ मोमेंटम वाले मार्केट्स में निवेश कर रहे
ज्यूरिख में जीएएम इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर जियान शी कोर्टेसी ने कहा, "अमेरिका-इंडिया के बीच बढ़ते टेंशन ने बाजार पर अतिरिक्त दबाव बनाया है। इससे जुड़ी खबरों के बाद इनवेस्टर्स इंडिया की जगह ऐसे मार्केट्स में इनवेस्ट करना चाहते हैं जिसमें स्ट्रॉन्ग मोमेंटम दिख रहा है। इनमें चीन और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।"
लगातार छह सालों तक शानदार रिटर्न के बाद इंडियन मार्केट्स की रफ्तार सुस्त
लगातार छह सालों तक चढ़ने के बाद 2025 में इंडियन शेयरों की चाल सुस्त पड़ गई है। इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार घटने और कंपनियों की अर्निंग्स ज्यादा नहीं बढ़ने से शेयरों की चमक फीकी पड़ गई है। इस साल MSCI India इंडेक्स करीब 2 फीसदी चढ़ा है। 2021-2024 के दौरान शानदार प्रदर्शन के बाद इंडियन मार्केट दूसरे एशियाई मार्केट्स के मुकाबले पिछड़ता दिख रहा है।
जीएसटी रेट्स घटने से निवेशकों को हालात बदलने की उम्मीद
निवेशकों को जीएसटी रेट्स में कमी से उम्मीदें हैं। जीएसटी के नए रेट्स 22 सितंबर से लागू हो गए है। बताया जाता है कि इससे कंजम्प्शन में उछाल आएगा। इधर, आरबीआई का फोकस ग्रोथ पर बना हुआ है। अमेरिका से फिर से ट्रेड डील को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। इसके पॉजिटिव नतीजें आने की उम्मीद है। ट्रंप ने भी इंडिया को अपना महत्वपूर्ण पार्नटर बताया है।
इस हफ्ते MSCI India Index 3 फीसदी गिरा
इस हफ्ते MSCI India Index में 3 फीसदी गिरावट आई। यह फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा गिरावट है। इंडियन मार्केट का आईटी इंडेक्स पांच सत्रों में 7.9 फीसदी गिरा है। यह अप्रैल के बाद से सबसे ज्यादा गिरावट है। MSCI India Index में टेक्नोलॉजी कंपनियों की करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी है। यह तीसरी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है।
विदेश से इंडिया आने वाले पैसे पर भी पड़ेगा असर
अमेरिका के एच-1बी वीजा का 70 फीसदी फायदा इंडिया ने उठाया है। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि वीजा फीस बढ़ने से विदेश से भारत आने वाले पैसे पर भी असर पड़ेगा। इससे डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव और बढ़ेगा। पहले से ही डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है। इंडियन करेंसी एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गई है। इस हफ्ते भी इंडियन करेंसी पर दबाव देखने को मिला।
इंडियन मार्केट्स का प्रदर्शन कमजोर बना रह सकता है
गेवकेल रिसर्च के एनालिस्ट्स उदित सिकंद और टॉम मिलर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "इंडियन शेयरों का प्रदर्शन कमजोर बना रहेगा। 50 फीसदी टैरिफ लागू रहने पर इंडिया की ग्रोथ पर भी असर पड़ सकता है।" विदेशी फंडों ने 2025 में इंडियन मार्केट्स में 16 अरब डॉलर की बिकवाली की है। यह 2022 में 17 अरब डॉलर की बिकवाली के बाद दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली है। अगर घरेलू संस्थागत निवेशकों का सपोर्ट नहीं मिला होता तो इंडियन मार्केट्स में और बड़ी गिरावट आई होती।
एचएसबीसी को इंडियन मार्केट्स में हालात बदलने की उम्मीद
हालांकि, कुछ एनालिस्ट्स को इंडियन मार्केट्स के बेहदर प्रदर्शन की उम्मीद है। इनमें एचएसबीसी होल्डिंग्स शामिल है। एचएसबीसी के एनालिस्ट्स की एक टीम ने इंडियन स्टॉक्स पर अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर ओवरवेट कर दिया। उनका मानना है कि इंडिया में कंपनियों की अर्निंग्स में थोड़ी और गिरावट आ सकती है, लेकिन वैल्यूएशन को लेकर अब चिंता नहीं रह गई है। सरकार की पॉलिसी स्टॉक मार्केट्स के लिए पॉजिटिव दिख रही है।