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ट्रकों में एसी केबिन अनिवार्य बना देने से इन कंपनियों के शेयरों को लगेंगे पंख, 1 महीने में 22% उछले Subros के शेयर

ट्र्कों में एसी फिटमेंट रेशियो अभी 23 फीसदी है। इसका मतलब है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ऐसे ट्रक 23 फीसदी थी, जिनके केबिन में एसी की सुविधा है। यह पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मुकाबले 9 फीसदी ज्यादा है। सरकार के एसी को अनिवार्य बना देने से इस डेटा के 100 फीसदी पहुंच जाने का अनुमान है

अपडेटेड Dec 12, 2023 पर 1:15 PM
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कमर्शियल व्हीकल (जैसे ट्रक) में एसी लगाने का मार्केट वित्त वर्ष 2025-26 तक बढ़कर 400-500 करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है।
     
     
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    Ministry of Road Transport and Highways (MoRTH) ने ट्रकों में एयर कंडिशन केबिन को अनिवार्य बना दिया है। 1 अक्टूबर, 2025 से यह फैसला लागू हो जाएगा। यह फैसला ट्रक ड्राइवर्स को ध्यान में रखकर लिया गया है। इससे ड्राइवर्स को गाड़ी चलाने में आसान होगी और उसकी सुरक्षा भी बढ़ेगी। सरकार के इस फैसले का एयर कंडिशन बनाने वाली कंपनियों पर सीधा असर पड़ेगा। उनके लिए कारोबारी मौके बढ़ेंगे। ऐसी कंपनियों में Subros Ltd शामिल है। यह ऑटो एंसिलरी कंपनी है, जो पैसेंजर कारों के लिए एयर कंडिशनिंग सिस्टम बनाती है। पैसेंजर व्हीकल एसी सेगमेंट में इसकी 42 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। यह Tata Motors, M&M और Maruti Suzuki जैसी दिग्गज कंपनियों को अपनी सेवाएं देती है। कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में भी इसकी अच्छी बाजार हिस्सेदारी है। एसी और ब्लोअर्स में इसकी 51 फीसदी हिस्सेदारी है।

    कुछ साल में मार्केट आकार 400-500 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान

    ट्रक के केबिन में एसी सिस्टम अनिवार्य बनाने का फायदा Subros Ltd को सबसे ज्यादा होगा। इस फैसले से कंपनी के लिए बाजार का विस्तार होगा। इससे पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट पर कंपनी की निर्भरता में कमी आएगी। अभी सुब्रोस के रेवेन्यू में इस सेगमेंट की 65 फीसदी हिस्सेदारी है। कमर्शियल व्हीकल (जैसे ट्रक) में एसी लगाने का मार्केट वित्त वर्ष 2025-26 तक बढ़कर 400-500 करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है। FY24 की दूसरी तिमाही के नतीजों के बारे में बताने के दौरान Subros ने कहा था कि वह ट्रक में लगाए जाने वाले एसी सिस्टम के स्पेशिफिकेशंस पर चर्चा कर रही है।


    अभी एसी फिटमेंट रेशियो सिर्फ 23 फीसदी

    Subros के मैनेजमेंट ने बताया है कि एसी फिटमेंट रेशियो अभी 23 फीसदी है। इसका मतलब है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ऐसे ट्रक 23 फीसदी थी, जिनके केबिन में एसी की सुविधा है। यह पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मुकाबले 9 फीसदी ज्यादा है। सरकार के एसी को अनिवार्य बना देने से इस डेटा के 100 फीसदी पहुंच जाने का अनुमान है। हालांकि, इस नियम को लागू करने में एक दिक्कत यह है कि इससे ट्रक की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इससे उसकी कीमत भी बढ़ेगी। इसका असर थोड़े समय के लिए ट्रकों की डिमांड पर दिख सकता है। लेकिन, जिस तरह से माइनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर सरकार ने फोकस बढ़ाया है, उससे लंबी अवधि में ट्रकों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

    इन कंपनियों को भी होगा फायदा

    Amber Enterprises दूसरी कंपनी है, जिसे ट्रकों के केबिन में एसी अनिवार्य बनाने के फैसले से फायदा होगा। कंज्यूमर ड्यूरेबल सेगमेंट में ग्रोथ स्थिर होने की वजह से कंपनी रेलवे और मोबिलिटी जैसे नए क्षेत्रों में कारोबारी मौकों की तलाश में है। ऐसे में ट्रकों में एसी की सुविधा अनिवार्य हो जाने से कंपनी को काफी फायदा हो सकता है। पैसेंजर व्हीकल की डिमांड बढ़ने के साथ ही सरकार के नए रेगुलेशन की वजह से रेफ्रिजरेंट गैस प्रोड्यूसर्स के लिए घरेलू बाजार का विस्तार हुआ है। हाल में सरकार ने रेफ्रिजरेंट के साथ एयर कंडिशनर की कंप्लिटली बिल्ट यूनिट्स (CBU) के आयात पर रोक लगा दी है। सरकार ने एसी के देश में ही उत्पादन के लिए PLI स्कीम का दायरा बढ़ाया है। ट्रकों में एसी को अनिवार्य बना देने से रेफ्रिजरेंट गैसेज के मार्केट का विस्तार होगा।

    इन कंपनियों पर भी पड़ेगा असर

    इस फील्ड में ऐसी दो कंपनियां हैं जिन्हें इसका फायदा हो सकता है। ये हैं SRF और Navin Fluorine। ऑटोमोबाइल एसी के लिए पसंदीदा रेफ्रिजरेंट गैस HFC 134A है। इसे Foloron 134A और Mafron 134A ट्रेडमार्क के साथ बेचा जाता है। इस गैस में जीरो ओजोन-डिप्लेशन पोटेंशियल (ODP) होता है और यह स्ट्रेस्टोस्फेरिक ओजोन लेयर को नुकसान नहीं पहुंचाती है। ऐसी रिफ्रेजरेंट गैसे की मांग बढ़ने से इंडियन कंपनियों को फायदा होगा।

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