Sugar Stocks: शुगर स्टॉक्स पर सरकारी नीतियों का अच्छा-खासा दखल होता है। इसके चलते एक कारोबारी दिन पहले 6 दिसंबर को इनमें भारी बिकवाली दिखी और शेयर 11 फीसदी तक टूट गए। आज भी ये 3 फीसदी टूट गए। इनमें बिकवाली का दबाव इसलिए दिखा क्योंकि घरेलू मार्केट में चीनी की शॉर्टेज को थामने के लिए सरकार ने गन्ने से एथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी है। बुधवार 6 दिसंबर को सबसे अधिक गिरावट उत्तम शुगर में रही। इसके बाद अवध शुगर, मगध शुगर, बलरामपुर चीनी, त्रिवेणी इंजीनियरिंग और बजाज हिंदुस्तान शुगर में गिरावट रही। आज भी इनमें तेज बिकवाली दिख रही है।
डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन रिकॉर्ड ऑफ डिसीजंस के मुताबिक अब तेल कंपनियां गन्ने के जूस और बी-हैवी गुड़ से एथेनॉल नहीं ले सकेंगे और यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इसका नोटिफिकेशन 5 दिसंबर की तारीख में जारी हुआ है। हालांकि सी-हैवी गुड़ से एथेनॉल पर कोई रोक नहीं है। सरकार ने गन्ने से एथेनॉल बनाने पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि इस बार खराब मानसून के चलते गन्ने की फसल प्रभावित हुई है। इसके चलते दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश को निर्यात पर रोक की मियाद 31 अक्टूबर तक बढ़ाना पड़ा था।
एथेनॉल प्रोडक्शन पर नियंत्रण से Sugar Stocks को झटका क्यों
फिजडम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा के मुताबिक सरकार ने एथेनॉल प्रोडक्शन पर लिमिट लगा दिया है जिससे चीनी का उत्पादन बढ़ेगा लेकिन मार्जिन एथेनॉल में अच्छा है। पिछली कुछ तिमाहियों में एथेनॉल के चलते चीनी कंपनियों का मार्जिन बढ़ा था। एथेनॉल प्रोडक्शन के चलते ही कुछ समय पहले तक शुगर स्टॉक्स में तेजी दिखी थी लेकिन अब जब इस पर नियंत्रण हो रहा है तो इस पर दबाव दिख रहा है। एथेनॉल प्रोडक्शन में सुस्ती आएगी तो तेल कंपनियों की तरफ से खरीद भी सुस्त होगी और इसका झटका मार्जिन पर दिखेगा। कुछ शुगर कंपनियां तो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा एथेनॉल प्रोडक्शन से ही पाती हैं। जैसे कि प्राज इंडस्ट्रीज (Praj Industries) की घरेलू एथेनॉल प्रोडक्शन में 60-65 फीसदी हिस्सेदारी है और सितंबर तिमाही में इसने 75 फीसदी कमाई बॉयो-एनर्जी सेगमेंट से ही की थी।
बलरामपुर चीनी (Balrampur Chini) की बात करें तो अभी हाल ही में इसने अपनी एथेनॉल प्रोडक्शन की क्षमता 50 फीसदी बढ़ा ली और यह इस सीजन नवंबर से अप्रैल के बीच करीब 30 करोड़ लीटर पर पहुंच गई। श्री रेणुका शुगर्स (Shree Renuka Sugars) ने सितंबर छमाही में 6.6 करोड़ लीटर एथेनॉल तैयार किया था और इसका मानना है कि एथेनॉल की कंपनी के रेवेन्यू में 40 फीसदी हिस्सेदारी हो सकती है।
Ethenol क्यों है इतना अहम
शुगर कंपनियां तेजी से एथेनॉल की तरफ भाग रही हैं तो इसकी वजह भी है। तेल कंपनियों की तरफ से इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। यह मांग इसलिए बढ़ रही है क्योंकि सरकार ने 2025 तक ट्रांसपोर्ट फ्यूल में 20 फीसदी ब्लेडिंग टारगेट रखा है। अगर सरकार एथेनॉल के प्रोडक्शन पर लिमिट लगाती है तो यह टारगेट हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। अब सरकार के लिमिट लगाने से शुगर इंडस्ट्री को झटका लगा है क्योंकि पिछले पांच साल में प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कंपनियों ने भारी-भरकम निवेश किया है।
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