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Swiggy Listing Strategy: जोमैटो या स्विगी, किसमें लगाएं पैसे? ब्रोकरेजेज का ये है रुझान

Swiggy Listing Strategy: तीन साल में आईपीओ निवेशकों के पैसों को तीन गुना से अधिक करने वाले जोमैटो में पैसे लगाएं या अब इसकी कॉम्पटीटर स्विगी के लिस्ट होने के बाद इसमें लगाएं, इसे लेकर ब्रोकरेज का रुझान स्पष्ट है। वहीं स्विगी को लेकर कुछ का मानना है कि इसमें पैसे लगा सकते हैं तो कुछ का मानना है कि मौजूदा लेवल से यह काफी नीचे जा सकता है

अपडेटेड Nov 13, 2024 पर 4:06 PM
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Swiggy or Zomato: स्विगी आईपीओ की लिस्टिंग से पहले ही एनालिस्ट्स ने इसे लेकर अपना नजरिया पेश कर दिया था। जेएम फाइनेंशियल का कहना है कि यह हाइपरलोकल डिलीवरी प्लेटफॉर्म की दिग्गज कंपनी बनी रहेगी और इस मामले में इससे आगे सिर्फ जोमैटो रह सकती है।

Swiggy Listing Strategy: ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी के शेयरों की आज एनएसई पर करीब 7% प्रीमियम पर लिस्टिंग हुई। हालांकि लिस्टिंग के बाद यह फिसल गया। अब आगे इसकी चाल कैसी रहेगी, इसे लेकर एक्सपर्ट्स का रुझान मिला-जुला है। एक तरह बुल केस में स्विगी के शेयरों के 20 फीसदी ऊपर जाने और बेयर केस में 16 फीसदी नीचे फिसलने का अनुमान है। आज NSE पर यह 464.00 रुपये के भाव पर बंद हुआ जोकि स्विगी के इश्यू प्राइस 390 रुपये से 18.97 फीसदी अपसाइड है। एनएसई पर यह 420 रुपये पर लिस्ट हुआ था।

Swiggy को लेकर क्या है ब्रोकरेजेज का रुझान?

स्विगी आईपीओ की लिस्टिंग से पहले ही एनालिस्ट्स ने इसे लेकर अपना नजरिया पेश कर दिया था। जेएम फाइनेंशियल का कहना है कि यह हाइपरलोकल डिलीवरी प्लेटफॉर्म की दिग्गज कंपनी बनी रहेगी और इस मामले में इससे आगे सिर्फ जोमैटो रह सकती है। ब्रोकरेज ने 470 रुपये के टारगेट प्राइस पर इसकी कवरेज शुरू की है। यह टारगेट इश्यू प्राइस से करीब 20 फीसदी अपसाइड है। हालांकि इस अपसाइड के बावजूद ब्रोकरेज की पसंद स्विगी की बजाय जोमैटो है क्योंकि इसकी कई अहम सेगमेंट्स में लीडरशिप है और इसके काम पूरा करने की गति अच्छी रही है। जेएम फाइनेंशियल ने दोनों में जोमैटो को अधिक वेटेज देने की सलाह दी है।


वहीं दूसरी तरफ मैक्वायरी ने 325 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ इसे अंडरपरफॉर्म रेटिंग दी है जोकि इश्यू प्राइस से करीब 16 फीसदी डाउनसाइड है। ब्रोकरेज का कहना है कि क्विक कॉमर्स काफी कॉप्लेक्स बिजनेस है और इकनॉमिक प्रॉफिट टिकाऊ है। मैक्वायरी का कहना है कि इसका कोर रेवेन्यू सालाना 23 फीसदी की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान तो है लेकिन ग्रुप ईबीआईटी लेवल पर ब्रेकइवन की स्थिति वित्त वर्ष 2028 में ही बन रही है।

वहीं दूसरी तरफ जोमैटो को लेकर भी एनालिस्ट्स का रुझान मिला-जुला है। मॉर्गन स्टैनले का मामना है कि अगले तीन से चार साल में यह दोगुना हो सकता है तो दूसरी तरफ मैक्वायरी का मानना है कि क्विक कॉमर्स की अनिश्तितता के चलते मौजूदा लेवल से यह आधा हो सकता है।

Zomato की लिस्टिंग पर कितना हुआ था मुनाफा

करीब तीन साल पहले जोमैटो के 9,375.00 करोड़ रुपये के आईपीओ के तहत 76 रुपये के भाव पर शेयर जारी हुए थे। 23 जुलाई 2021 को बीएसई पर यह 115 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ था यानी कि निवेशकों को 51 फीसदी का लिस्टिंग गेन मिला था। इंट्रा-डे में यह 138.00 रुपये की ऊंचाई और 114.00 रुपये के निचले स्तर का सफर तय किया था और दिन के आखिरी में 125.85 रुपये पर बंद हुआ था यानी कि पहले कारोबारी दिन की समाप्ति पर आईपीओ निवेशक 65 फीसदी से अधिक मुनाफे में थे। अब यह 260 रुपये के करीब है और 24 सितंबर 2024 को 298.20 रुपये की रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा था।

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