टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने अपने DVR शेयरों को ऑर्डिनरी (साधारण) शेयरों में बदलने का फैसला किया है। कंपनी ने मंगलवार 25 जुलाई को जून तिमाही के नतीजों के साथ इसका ऐलान किया। बता दें कि DVR शेयरों को "'A' ऑर्डिनरी शेयर" भी कहते हैं। कंपनी ने बताया कि उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 'A' ऑर्डिनरी शेयरों को रद्द करने और शेयरधारकों को प्रत्येक 10 'A' साधारण शेयरों के बदले में 7 ऑर्डिनरी शेयर जारी करने की योजना को मंजूरी दे दी है। 'A' ऑर्डिनरी शेयरों में वोटिंग राइट्स सामान्य शेयरों का सिर्फ 1/10 हिस्सा होता है। हालांकि डिविडेंड में वे करीब 5% अधिक राशि के हकदार होते हैं।
ये शेयर बीएसई और एनएसई पर टाटा मोटर्स DVR के रूप में सूचीबद्ध हैं। हालांकि इस योजना के बाद इन शेयरों को एक्सचेंजों से हटा दिया जाएगा। टाटा मोटर्स ने 'A' ऑर्डिनरी शेयरों यानी DVR शेयरों को पहली बार 2008 में जारी किया था। इसके बाद 2010 में एक QIP और 2015 में राइट्स इश्यू के जरिए इन शेयरों को फिर जारी किया गया था।
नियमों में बदलाव के चलते तब से अलग-अलग वोटिंग अधिकारों चलते ऐसे शेयरों को जारी करने बैन कर दिया है और टाटा मोटर्स इस तरह के शेयरों को जारी करने वाली इकलौती सूचीबद्ध कंपनी बनी हुई है।
फिलहाल टाटा मोटर्स DVR के शेयर, टाटा मोटर्स के शेयरों की तुलना में करीब 43 प्रतिशत कम भाव पर कारोबार कर रहे हैं। टाटा मोटर्स का डीवीआर मंगलवार को 4.29 फीसदी बढ़कर 373 रुपये के भाव पर बंद हुआ। वहीं टाटा मोटर्स के शेयर करीब 2 फीसदी की तेजी के साथ 641.80 रुपये के भाव पर बंद हुए।
टाटा मोटर्स ने कहा कि इस योजना से उसके कुल इक्विटी शेयरों में 4.2 प्रतिशत की कमी आएगी, जिससे यह सभी शेयरधारकों के लिए अधिक वैल्यू बनाने वााला विकल्प हो जाएगा।
डीवीआर का मतलब होता है डिफ्रेंशियल वोटिंग राइट्स। यह भी एक आम शेयर की तरह ही होता है, लेकिन शेयरधारक को इसमें वोटिंग का अधिकार कम होता है। वोटिंग राइट्स कम होने के चलते कंपनी बिना वोटिंग राइट्स खोए इन शेयरों को जारी कर रकम जुटा सकती है। इससे कंपनी को फंडिंग मिलने में आसानी होती है। साथ ही उसे ओपन ऑफर या जबरन खरीद का डर नहीं होता है। हालांकि वोटिंग राइट्स खोने के बदले में इन शेयरधारकों को आम शेयरों से 5% अधिक डिविडेंड मिलता है।