Auto Stocks Fall: गाड़ियां और गाड़ियों के पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में आज बिकवाली का भारी दबाव दिख रहा है। इसके चलते निफ्टी का ऑटो इंडेक्स यानी Nifty Auto करीब तीन फीसदी टूट गया। इन शेयरों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऑटोमोबाइल्स पर 25 फीसदी के रेसिप्रोकल टैक्स लगाने के फैसले से झटका लगा है। टाटा म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका को भारत करीब 680 करोड़ डॉलर के ऑटोमोबाइल्स और ऑटो कंपोनेंट्स का निर्यात करता है और टैरिफ के ऐलान से कीमतों पर असर दिख सकता है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ अमेरिकी एक्सपोजर वाले ऑटो स्टॉक्स ही फिसले हैं बल्कि घरेलू मार्केट में फोकस वाले स्टॉक्स भी लाल हैं। मारुति सुजुकी के शेयर 2 फीसदी से अधिक टूट गए तो महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर करीब 2 फीसदी फिसले हैं। निफ्टी ऑटो इंडेक्स आज शुरुआती कारोबार में करीब 3 फीसदी टूटा है। इसके अलावा ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिशन और समवर्धन मदरसन के भी शेयर 5-5 फीसदी टूट गए हैं।
Bharat Forge पर क्यों है दबाव?
भारत फोर्ज (Bharat Forge) के शेयर करीब 9 फीसदी टूटकर करीब एक महीने के निचले स्तर पर आ गए। इसके शेयरों में बिकवाली का यह दबाव इसलिए दिखा क्योंकि इसका एक्सपोजर अमेरिका मार्केट में काफी है। इसके क्लास 8 ट्रक के लिए अमेरिकी मार्केट काफी अहम है। हाल ही में कंपनी के सीएमडी बाबा कल्याणी ने हाल ही में कहा था कि इसके कुल निर्यात का करीब 20 फीसदी हिस्सा अमेरिका का है तो ऐसे में अमेरिकी टैरिफ का इसके रेवेन्यू पर असर दिख सकता है। एसीटी रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक लगातार चौथी तिमाही में नॉर्थ अमेरिकन क्लॉस 8 ट्रक के ऑर्डर्स में गिरावट आई।
Tata Motors पर क्यों है दबाव?
टाटा मोटर्स की बात करें तो इसके शेयर 5 फीसदी से अधिक टूट गए। इसके शेयरों पर दबाव इसलिए बना क्योंकि इसकी सब्सिडरी जगुआर लैंड रोवर (JLR) के लिए अमेरिकी मार्केट काफी अहम है और वित्त वर्ष 2024 में इसने जो 4 लाख यूनिट्स दुनिया भर में बेची थी, उसमें से करीब 23 फीसदी सिर्फ अमेरिका में ही बिकी थी। फिज्डम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा का कहना है कि मार्जिन बनाए रखने और गाइडेंस को लेकर कंपनी के पास विकल्प सीमित हैं तो यह कीमतों में बढ़ोतरी और लागत को कम से कम रखने की कोशिश करेगी लेकिन इन स्ट्रैटेजीज से तुरंत रिजल्ट नहीं मिलेगा और नियर टर्म में तो रेवेन्यू और मुनाफे, दोनों को झटका लगेगा। मनीकंट्रोल से बातचीत में मोतीलाल ओसवाल के रिसर्च और वेल्थ मैनेजमेंट प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि टैरिफ के हिसाब से अगर जेएलआर आनुपातिक रूप से कीमतें बढ़ाती है, तो रेवेन्यू पर असर कम पड़ेगा लेकिन अगर ऊंची कीमतों के चलते मांग गिरती है, तो सेल्स वॉल्यूम और मार्जिन, दोनों पर असर पड़ेगा।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
निवेश समाधान कंपनी Dezerv के को-फाउंडर वैभव पोरवाल ने का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में चुनिंदा स्टॉक्स में ही तेजी देखने को मिल सकती है तो ऐसे में निवेश के लिए सावधानीपूर्वक शेयर चुनें। वैभव के मुताबिक इस समय पैसिव अप्रोच के मुकाबले एक्टिव मैनेजमेंट स्ट्रैटेजीज अधिक कारगर साबित हो सकती है। च्वाइस वेल्थ के निकुंज सराफ का कहना है कि भारतीय निर्यात पर 26% अमेरिकी टैरिफ से नियर टर्म में चुनौतियां दिख सकती है और इसका ऑटोमोबाइल, कपड़ा और जेम्स एंड ज्वैलरी पर निगेटिव असर दिख सकता है।