Tata Motors Shares: टाटा मोटर्स के शेयरों में आज 7 अप्रैल को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। कंपनी के शेयर 10 फीसदी से अधिक टूटकर 530 रुपये के स्तर पर पहुंच गए। यह इसका पिछले 2 सालों का सबसे निचला स्तर है। इसके साथ ही आज यह निफ्टी पर सबसे अधिक गिरावट वाला शेयर बन गया। इस गिरावट के पीछे का कारण इसकी सहयोगी कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) के एक ऐलान को माना जा रहा है। जगुआर लैंड रोवर ने अमेरिका को वाहनों की शिपमेंट अस्थायी रूप से रोकने का ऐलान किया। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऑटोमोबाइल इंपोर्ट पर 25% टैरिफ लगाने के बाद लिया गया है।
JLR ने कहा- रणनीति पर कर रहे विचार
जगुआर लैंड रोवर ने अपने बयान में कहा कि अप्रैल महीने से अमेरिका को एक्सपोर्ट अस्थायी रूप से रोका जा रहा है, ताकि ट्रंप के नए टैरिफ को लेकर रणनीति तैयार की जा सके। कंपनी 25% टैरिफ का समाधान निकालने पर विचार कर रही है।
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने 4 अप्रैल को Tata Motors की रेटिंग को ‘हाई-कंविक्शन आउटपरफॉर्म’ से घटाकर ‘आउटपरफॉर्म’ कर दिया है। साथ ही शेयर का टारगेट प्राइस भी 930 रुपये से घटाकर 765 रुपये कर दिया गया है।
CLSA ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण वित्त वर्ष 2026 तक JLR की बिक्री में सालाना आधार पर 14% की गिरावट आ सकती है। JLR की EBIT मार्जिन वित्त वर्ष 2025 के 9% से घटकर FY26/27 में 7% तक आ सकती है। हालांकि, EBITDA में 15% की गिरावट के बावजूद फ्री कैश फ्लो पॉजिटिव रहने की उम्मीद है।
अमेरिकी बाजार JLR के लिए बेहद अहम
वित्त वर्ष 2024 में JLR ने दुनियाभर में 4 लाख से ज्यादा वाहन बेचे, जिनमें से 23% बिक्री अकेले अमेरिका में हुई। कंपनी की रेवेन्यू का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है।
Fisdom के रिसर्च हेड निरव कारकेरा ने कहा, “JLR के पास मार्जिन बचाने और अपने तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सीमित विकल्प हैं। कंपनी कीमतें बढ़ा सकती है और लागत में कटौती कर सकती है, लेकिन इन कदमों का असर जल्द नजर नहीं आएगा। इसलिए आने वाले समय में इसके रेवेन्यू और मुनाफे पर असर पड़ना तय माना जा रहा है।”
पिछले एक साल में 45% गिरावट
सुबह 11 बजे के करीब, टाटा मोटर्स के शेयर एनएसई पर 8.38 फीसदी की गिरावट के साथ 562.40 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे। कारोबार के दौरान यह गिरकर 530.70 रुपये के स्तर तक चला गया था। टाटा मोटर्स के शेयर पिछले एक साल से दबाव में हैं और इस दौरान इनकी कीमत में 45% से अधिक की गिरावट आ चुकी है। इसके मुकाबले, Nifty 50 इंडेक्स इस दौरान महज 3% गिरा है।
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