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शॉर्ट टर्म में करेक्शन की संभावना से इंकार नहीं लेकिन मिडियम टर्म में बाजार में दिखेगी जोरदार तेजी: आनंद राठी

पिछले कुछ सालों के दौरान इन्वेस्टमेंट आधारित सेक्टरों ने खपत आधारित सेक्टरों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। मध्यम अवधि के नजरिए से देखें तो इन्वेस्टमेंट पर आधारित सेक्टर अभी भी अच्छे नजर आ रहे हैं। हालांकि अगर फंड की लागत बढ़ती है और कॉरपोरेट इन्वेस्टमेंट में सुस्ती आती है तो नियर टर्म में इस सेक्टर पर कुछ दबाव देखने को मिल सकता है

अपडेटेड Jun 04, 2023 पर 12:28 PM
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चालू वित्त वर्ष की शुरुआत के बाद से आई बड़ी रैली के बावजूद, अधिकांश अहम इंडेक्स के वैल्यूएशन पिछले पांच सालों के औसत से कम हैं। वहीं, ये अपने लंबी अवधि के औसत से थोड़े ही ज्यादा हैं। ऐसे में भारतीय इक्विटी बाजार बहुत सस्ता तो नहीं है लेकिन ये बहुत महंगा भी नहीं है

आनंद राठी ग्रुप के चेयरमैन आनंद राठी का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 मिड और स्माल कैप शेयरों का होगा। इस अवधि में इनका प्रदर्शन लार्ज कैप की तुलना में बेहतर होगा। मनीकंट्रोल के साथ हुई बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2024 की तुलना में जीडीपी में संभावित सुस्ती के बावजूद कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। इक्विटी मार्केट का 53 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले आनंद राठी का कहना है कि इनकम में हल्की ग्रोथ के बावजूद उपभोक्ताओं की तरफ आने वाली मांग में तेजी आएगी। इसकी वजह कम बचत दर हो सकती है। 1994 में आनंद राठी ग्रुप की स्थापना करने वाले आनंद राठी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024 में ग्रामीण क्षेत्रों की डिमांड में भी सुधार देखने को मिलेगा। अब इसमें और ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है। पिछले साल की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की डिमांड में सुधार आएगा।

मध्यम अवधि के नजरिए से इन्वेस्टमेंट पर आधारित सेक्टर अच्छे 

उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में लिस्टेड कंपनियों की अर्निंग में थोड़ी सुस्ती देखने को मिल सकती है। लेकिन किसी भी सेक्टर में बहुत ज्यादा दबाव दिखने की संभावना नहीं है। पिछले कुछ सालों के दौरान इन्वेस्टमेंट आधारित सेक्टरों ने खपत आधारित सेक्टरों की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। मध्यम अवधि के नजरिए से देखें तो इन्वेस्टमेंट पर आधारित सेक्टर अभी भी अच्छे नजर आ रहे हैं। हालांकि अगर फंड की लागत बढ़ती है और कॉरपोरेट इन्वेस्टमेंट में सुस्ती आती है तो नियर टर्म में इस सेक्टर पर कुछ दबाव देखने को मिल सकता है। लेकिन मध्यम अवधि के नजरिए से इन्वेस्टमेंट पर आधारित सेक्टर अच्छे दिख रहे हैं।


क्या आपको आरबीआई की पॉलिसी मीटिंग में कुछ सरप्राइज दिखने की संभावना है? इसका जवाब देते हुए आनंद राठी ने कहा कि आरबीआई अपनी जून की बैठक में ब्याज दरों में विराम को बनाए रख सकता है। इसके अलावा जीडीपी के अनुमान में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है। हालांकि वित्त वर्ष 2024 के महंगाई के अनुमान में कमी हो सकती है।

क्या आप वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में बेहतर ग्रोथ की उम्मीद करते हैं? इस सवाल के जबाव में आनंद राठी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 के साथ वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही की ग्रोथ रेट उम्मीद से बेहतर थी। कुछ एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2024 के भारत के ग्रोथ अनुमान में बढ़ोतरी भी की है। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की GDP ग्रोथ 6.2 फीसदी। ये वित्त वर्ष 2023 की जीडीपी ग्रोथ दर से 100 बेसिस प्वाइंट यानी 1 फीसदी कम हो सकती है।

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विदेशी निवेश भी भारतीय इक्विटी मार्केट पर मेहरबान

क्या आपको लगता है कि बाजार बॉटम आउट हो गया है और अब अगले चरण की तेजी के लिए तैयार है? इस पर आनंद राठी ने कहा कि ये ध्यान रखने की बात है कि काफी उतार-चढ़ाव के बावजूद निफ्टी 50 ने अक्टूबर 2021 के मध्य में एक नया हाई बनाया और उसके बाद नवंबर 2022 तक कोई नया हाई बनता नहीं नजर आया।

दिसंबर 2022 की शुरुआत में एक बार फिर नया हाई बनाने के बाद बाजार काफी हद तक करेक्शन के मोड में रहा। नतीजतन, अक्टूबर 2021 के मध्य से बाजार काफी हद तक सपाट रहा। हालांकि इस दौरान काफी वोलैटिलिटी देखने को मिली है। इसके साथ ही, हाल के दिनों में भारतीय कंपनियों के मैक्रोइकॉनॉमिक और कॉर्पोरेट फंडामेंटल दोनों में सुधार हुआ है। इक्विटी बाजार की ओर घरेलू पैसे का प्रवाह भी अच्छा बना हुआ है। वहीं, 2022 के दौरान काफी बिकवाली करने के बाद विदेशी निवेश भी भारतीय इक्विटी मार्केट पर मेहरबान नजर आ रहे हैं।

चालू वित्त वर्ष की शुरुआत के बाद से आई बड़ी रैली के बावजूद, अधिकांश अहम इंडेक्स के वैल्यूएशन पिछले पांच सालों के औसत से कम हैं। वहीं, ये अपने लंबी अवधि के औसत से थोड़े ही ज्यादा हैं। ऐसे में भारतीय इक्विटी बाजार बहुत सस्ता तो नहीं है लेकिन ये बहुत महंगा भी नहीं है।

निकट अवधि में मामूली करेक्शन की संभावना इंकार नहीं

इसके अलावा भारतीय इक्विटी बाजार लगभग दो वर्षों से कंसोलीडेशन मोड में है। इक्विटी बाजार के सभी तीन मिड- टर्म ड्राइवर (फंडामेंटल, लिक्विडिटी और वैल्यूशन) अच्छे नजर आ रहे हैं। ऐसे में मध्यम अवधि के नजरिए से भारतीय शेयर बाजार में रैली की प्रबल संभावना देखने को मिल रहा। हालांकि, हाल में आई जोरदार रैली और इक्विटी बाजार की आम तौर पर अस्थिर प्रकृति को देखते हुए निकट अवधि में मामूली करेक्शन की संभावना इंकार नहीं किया जा सकता।

 

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