कई बार पारखी भी असल हीरे की पहचान करने में चूक जाते हैं। यह बात स्टॉक मार्केट में भी लागू होती है। हम बात कर रहे हैं Chennai Petroleum Corporation की। स्टॉक मार्केट्स के बड़े एक्सपर्ट्स भी शेयरों की दुनिया के इस हीरे को पहचान करने में चूक गए। इस साल मार्च के अंत में इस स्मॉलकैप फर्म में म्यूचुअल फंडों की सिर्फ 0.80 फीसदी हिस्सेदारी थी। उनके पास इस कंपनी के सिर्फ 28.20 करोड़ शेयर थे। सिर्फ दो फंड हाउसेज का इस स्टॉक में निवेश हैं। इनमें ITI MF और ICICI Pru MF शामिल हैं। मजेदार बात यह है कि नई फाइनेंशियल ईयर शुरू होने यानी अप्रैल में इन दोनों फंडों ने भी इस स्टॉक से अपने पैसे निकाल लिए। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस के डेटा पर आधारित है।
अप्रैल से इस स्टॉक ने बदली चाल
Chennai Petroleum Corporation (CPCL) देश की सबसे बड़ी ऑयल रिटेलिंग कंपनी IOC की सब्सडियरी है। अप्रैल में CPCL उन चार कंपनियों में शामिल थी, जिनमें से म्यूचुअल फंडों ने अपने पूरे पैसे निकाल लिए थे। यहीं से इस स्टॉक ने कमाल दिखाना शुरू किया। अचानक इसकी कीमतें बढ़ने लगीं। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में इस स्टॉक की कीमत दोगुनी हो गई है। BSE Oil and Gas Index में CPCL का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। 14 सितंबर को 11:36 बजे सीपीसीएल के स्टॉक का प्राइस 530.25 रुपये पर था। 12 सितंबर को इस स्टॉक का क्लोजिंग प्राइस 535.90 रुपये था, जो इसका 52 हफ्ते का हाई है।
श्रीराम एमएफ ने मई में निवेश किया
इस साल मई में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का ध्यान इस स्टॉक पर तब गया, जब Shriram Mutual Fund ने इसमें 0.01 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। इसकी कीमत 31 लाख रुपये थी। अगले महीने ICICI Pru MF ने CPCL में 0.05 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी। इसकी कीमत 2.81 करोड़ रुपये थी। अब कई एनालिस्ट्स ने भी इस स्टॉक में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है।
ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन 15 डॉलर रहने का अनुमान
Elara Securities के सीनियर वीपी गगन दीक्षित ने कहा, "शुरू में मेरा अनुमान था कि घटते रिफाइनिंग मार्जिन का असर सीपीसीएल पर पड़ेगा। लेकिन, अब डिमांड मजबूत बने रहने के बीच सीपीसीएल का ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (GRM) बढ़कर दूसरी तिमाही में 15 डॉलर प्रति बैरल पहुंच जाने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह 11 डॉलर था।" रिफाइनिंग कंपनियों की कमाई के लिए जीआरएम बहुत अहम है।
ऑयल एंड गैस सेक्टर का आउटलुक बदला है
एलारा की सीपीसीएल के स्टॉक को बेचने की सलाह है। लेकिन दीक्षित बताते हैं कि अगर इसका जीआरएम दो तिमाही तक 15 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बना रहता है तो इस स्टॉक की रेटिंग में बदलाव होना तय है। उन्होंने कहा, "यह भी ध्यान में रखना होगा कि इस फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में ऑयल एंड गैस सेक्टर के लिए सेंटिमेंट निगेटिव था। इसकी वजह यह थी कि OPEC के सप्लाई घटाने का असर क्रूड ऑयल की कीमतों पर दिख रही थी। लेकिन, रूस और चीन से सप्लाई की वजह से स्थिति कुछ हद तक सामान्य हुई है।"
सरकारी कंपनियों को लेकर सावधानी बरत रहे एनालिस्ट्स
एनालिस्ट्स सरकारी ऑयल कंपनियों को लेकर सावधानी बरत रहे हैं। इसकी वजह यह है कि क्रूड ऑयल की कीमत 92 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गई है। इससे उनके मार्केटिंग मार्जिन पर दबाव बढ़ जाएगा। हालांकि, इस मामले में चेन्नई पेट्रोलियम एक अपवाद है, क्योंकि एलपीजी, मोटर स्पिरिट, एटीएफ और हाई स्पीड डीजल जैसे उसके उत्पादों की मार्केटिंग IOC करती है। CPCL सीधे तौर पर सिर्फ स्पेशियलिटी प्रोडक्ट्स बनाती है, जिसमें Paraffin Wax, Mineral Turpentine Oil, hexane और पेट्रोकेमिकल फीडस्टॉक्स शामिल हैं।