मार्च महीने में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में 126 फीसदी का उछाल देखने को मिला। वहीं इसी अवधि में दो पहिया वाहनों में 85 फीसदी की बिक्री बढ़ोतरी देखने को मिली। प्रतिशत के आधार पर ये आंकड़े बड़े इसलिए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि पिछले साल का बेस बुहत छोटा था।
हालांकि ये आंकड़े इसी साल के जनवरी और फरवरी महीने से भी ज्यादा हैं। यहां हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि मार्च महीने में बिक्री ऑटों में इतनी तेजी क्यों दिखी । सबसे पहले यह जान लेते हैं कि इस हफ्ते ऑटो सेक्टर की अहम खबरें क्या हैं।
कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से ऑटो कंपनियां एक बार फिर कीमतें बढ़ा रही हैं। ये कीमत बढ़ोतरी 1 अप्रैल से लागू हो चुकी है। ये 4 महीने में की गई दूसरी बढ़ोतरी है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा के बोर्ड ने महिंद्रा इलेक्ट्रिक के कंसोलिडेशन को दी मंजूरी
महिंद्रा एंड महिंद्रा के बोर्ड ने महिंद्रा इलेक्ट्रिक के कंसोलिडेशन को मंजूरी दे दी है। Mahindra Electric Mobility का महिंद्रा एंड महिंद्रा में कंसोलिडेशन किया जाएगा। EV सेगमेंट में पैर जमाने के लिए कंपनी ने यह निर्णय लिया है।
टू-व्हीलर्स की शानदार बिक्री
मार्च महीने में 8 में से 6 दो पहिया कंपनियों की कुल बिक्री 1,475,937 यूनिट रही। जो सालाना आधार पर 85 फीसदी की ग्रोथ दर्शाता है। बता दें कि पिछले साल इन कंपनियों की कुल बिक्री 798,085 यूनिट थी। बता दें कि इन 8 कंपनियों के पास ही 90 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है।
पैसेंजर कारों की बिक्री भी रिकॉर्ड हाई पर
मार्च के महीने में पैसेंजर कारों की बिक्री भी रिकॉर्ड हाई पर रही। भारतीय बाजार में 14 कार मेकर्स में से 11 कार बनाने वाली कंपनियां ऐसी हैं जिनके पास घरेलू कार बाजार का 99 फीसदी हिस्सा है। मार्च में इन कंपनियों की कुल बिक्री में सालना आधार पर 126 फीसदी की बढ़त देखने को मिली और यह 315946 यूनिट पर पहुंच गई। जो कि मार्च 2002 में 139761 यूनिट थी।
ऑटो डिमांड में जोश भरने वाले कारक
इसका जवाब तो ऑटो कंपनियों के पास भी नहीं हैं। त्योहारी सीजन के बीतने के 5 महीने बाद भी कार SUV और दो पहिया वाहनों की मांग में गिरावट देखने को नहीं मिल रही हैं। मांग इतनी ज्यादा है कि ऑटो कंपनियां पूरा नहीं कर पा रही हैं। ऑटो कंपनियां पूरी क्षमता के साथ काम कर रही हैं। हालात ये हैं कि नवंबर से अब तक ऑटो कंपनियों ने 3 बार कीमतें बढ़ाई हैं। इस अवधि में कीमतों में निम्नतम 3 फीसदी तक की बढ़त देखने को मिली है । इससे भी मांग पर असर नहीं पड़ रहा है।
इसकी वजह ये है कि कंपनियां लगातार नए मॉडल लॉन्च कर रही हैं, जिसको लेकर बाजार में आकर्षण देखने को मिल रहा है। ब्याज दरें काफी कम हैं। इसके अलावा फाइनेंस कंपनियां अच्छे-अच्छे ऑफर भी दे रही हैं। लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बचने के लिए प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर फोकस कर रहे हैं। इसकी वजह कोरोना है। ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी फॉर्म इनकम की वजह से भी डिमांड बढ़ती दिखी है। ट्रैक्टर्स की रिकार्ड बिक्री किसानों की बढ़ती इनकम की ओर संकेत कर रही है।