घरेलू शेयर बाजारों में 7 अप्रैल को जबरदस्त गिरावट है। निवेशकों के लिए आज का दिन 'ब्लैक मंडे' साबित हो रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी में दोपहर के कारोबार में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट दिखी। ग्लोबल मार्केट्स में मचे कोहराम का असर घरेलू शेयर बाजारों में भी धड़ाधड़ बिकवाली के तौर पर दिख रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने और चीन की जवाबी कार्रवाई से ट्रेड वॉर गहराने का डर पैदा हो गया है। दुनिया भर में आर्थिक वृद्धि प्रभावित होने के डर से निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है।
निफ्टी 50 इंडेक्स की बात करें तो शुरुआती कारोबार में यह 1,160.8 अंक या 5.06 प्रतिशत फिसलकर 21,743.65 पर रहा। दोपहर के कारोबार में निफ्टी 1,038.95 अंक या 4.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 21,865.50 पर कारोबार करने लगा। निफ्टी की 7 अप्रैल की परफॉरमेंस, 4 जून 2024 के बाद से इस इंडेक्स की सबसे खराब सिंगल डे परफॉरमेंस है। पिछले साल 4 जून को देश में लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे। उस दिन निफ्टी 6% गिरकर 21,281 के लो पर पहुंच गया था, जो कि वर्तमान में इसका 52-सप्ताह का निचला स्तर है।
भले ही सोमवार को निफ्टी की परफॉरमेंस बेहद खराब है लेकिन फिर भी यह इस इंडेक्स की सबसे खराब सिंगल डे परफॉरमेंस नहीं है। निफ्टी50 के अब तक की सबसे खराब सिंगल डे परफॉरमेंस कुछ इस तरह हैं...
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लगने से ठीक एक दिन पहले, निफ्टी ने अपना सबसे खराब दिन देखा। उस दिन इसमें 13% तक की गिरावट आई। फिर अगले दिन यह इंडेक्स और गिरकर 7,511 के निचले स्तर पर पहुंच गया।
निफ्टी 50 ने दूसरी बार अपना सबसे खराब दिन दो दशक पहले, 2004 में देखा था। 17 मई 2004 को यह इंडेक्स 12% गिरा था। यह गिरावट उस दिन आई थी, जिस दिन साल 2004 के लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित किए गए थे। बीजेपी के जीतने की बाजार की उम्मीदों के उलट, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, और गठबंधन सरकार बनाई।
अक्टूबर 2008 में जब ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस अपने पीक पर था तो 24 अक्टूबर को निफ्टी 50 ने केवल एक ही दिन में 12% से अधिक टूटा था। इसी दिन भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने अर्ध-वार्षिक इकोनॉमिक पॉलिसी रिव्यू की घोषणा की थी और पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था। लेकिन आरबीआई ने अपने जीडीपी ग्रोथ लक्ष्य को 8% से घटाकर 7.5—8% कर दिया था।
साल 2008 की शुरुआत में अमेरिका में मंदी की आशंकाएं बढ़ रही थीं। इसके चलते विदेशी फंड भारतीय इक्विटी से अपना पैसा निकाल रहे थे। नतीजतन भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में गिरावट के कारण निफ्टी 50 इंडेक्स उस दिन 8.7% गिरा।
1997 गठबंधन सरकारों का युग था। इसी साल तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने "ड्रीम बजट" पेश किया था। इसके ठीक एक महीने बाद, 31 मार्च 1997 को निफ्टी ने एक ही दिन में 8.5% की जबरदस्त गिरावट देखी। यह गिरावट तब आई, जब कांग्रेस पार्टी ने सत्तारूढ़ संयुक्त मोर्चा सरकार से सपोर्ट वापस ले लिया। इससे देश एक बार फिर राजनीतिक संकट में फंस गया।