Nifty-50 में शामिल इन 2 शेयरों को एनालिस्ट्स ने दी सिर्फ 'BUY' रेटिंग, इन वजहों से तेजी का अनुमान
मनीकंट्रोल के फरवरी एनालिस्ट ट्रैकर में, निफ्टी-50 में शामिल दो शेयर 100 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर रहे। ये शेयर हैं- अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports & SEZ) और हिंडाल्को (Hindalco)। अडानी पोर्ट्स पर 21 'BUY (खरीदें)' रेटिंग हैं। वहीं हिंडाल्को के पास 24 हैं। दोनों शेयरों पर कोई भी सेल या होल्ड की रेटिंग नहीं हैं
मनीकंट्रोल के फरवरी एनालिस्ट ट्रैकर में, निफ्टी-50 में शामिल दो शेयर 100 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर रहे। ये शेयर हैं- अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports & SEZ) और हिंडाल्को (Hindalco)। अडानी पोर्ट्स पर 21 'BUY (खरीदें)' रेटिंग हैं। वहीं हिंडाल्को के पास 24 हैं। दोनों शेयरों पर कोई भी सेल या होल्ड की रेटिंग नहीं हैं। हैरानी की बात यह है कि अडानी पोर्ट्स के साथ-साथ हिंडाल्को को लेकर भी हाल में कई नकारात्मक खबरें आई हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी ग्रुप पर 'स्टॉक की कीमतों में छेड़छाड़' और 'अकाउंटिंग फ्रॉड' का आरोप लगाने के बाद अडानी पोर्ट्स के शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
वहीं हिंडाल्को के शुद्ध मुनाफे में दिसंबर तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 63 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की थी। जबकि इसकी बिक्री मामूली 6 प्रतिशत बढ़ी थी। कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन भी लगातार नीचे की ओर रहा है। जून तिमाही में यह 15 प्रतिशत था, जो दिसंबर में घटकर 7 प्रतिशत पर आ गया। नोवेलिस और कैसर एल्युमिनियम के मैनेजमेंट के बयानों ने भी निकट अवधि के दबावों और बेवरेज कैन की मांग में कमजोरी पर जोर डाला है।
इसके बावजूद इन शेयरों में तेजी की क्या वजह है? आइए कुछ प्रमुख वजहों पर नजर डालतें हैं:
महत्वाकांक्षी योजनाएं: कंपनी 2030 तक भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी कंपनी बनना चाहती है। इसके लिए वह सभी लॉजिस्टिक सेगमेंट में अपनी क्षमताओं को मजबूत करना चाहती है। इसमें पोर्ट, वेयरहाउसिंग, लास्ट-माइल डिलीवरी आदि शामिल हैं।
कैपेक्स और कैश फ्लो: अपने टारगेट को पूरा करने के लिए मैनेजमेंट को कंपनी में पैसा डालना होगा। जेएम फाइनेंशियल्स का अनुमान है कि अडानी पोर्ट्स वित्त वर्ष 2025 में कुल 26,100 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग कैश फ्लो पैदा करेगा, और इसके कैपिटल एक्सपेंडिटर 12,000 करोड़ रुपये का होगा और इस तरह 14,000 करोड़ रुपये का फ्री कैश फ्लो होगा।
यह इसके कर्ज से जुड़ी देनदारियों की तुलना में काफी अधिक है। इस तरह वित्त वर्ष 2025 तक कंपनी का नेट डेट-टू-EBITDA रेशियो कम होकर 2.1 गुना तक आने की उम्मीद है, जो फिलहाल 3.4 गुना है।
अधिग्रहण के मौके: कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) के लिए एक सफल बोली लगाने से कंपनी का कर्ज का स्तर बढ़ सकता है। हालांकि मैनेजमेंट का कहना है कि कंपनी इसके लिए वॉर चेस्ट बना रही है। ICICI सिक्योरिटी के मुताबिक, कंटेनर ट्रेन ऑपरेटर (CTO) बिजनेस में कॉनकोर के पास 67 प्रतिशत मार्केट शेयर है।
एनालिस्ट्स की स्टॉक पर अगले 12 महीने के लिए औसत टारगेट प्राइस 802 रुपये है, जो इसके मौजूदा बाजार भाव से करीब 16 प्रतिशत अधिक है।
LMI एल्युमीनियम की अधिक कीमतें: विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन के अनुसार, LMI (लंदन मेटल एक्सचेंज) कीमतों में तेजी के साथ यह शेयर भी तेजी के साथ कारोबार कर सकता गै। LMI एल्युमीनियम की हाजिर कीमतें हाल में 2,350-2,450 डॉलर प्रति टन पर स्थिर रही हैं।
एंटिक स्टॉक ब्रोकिंग रिपोर्ट के अनुसार, "एनर्जी की कीमतों में उछाल करीब 50 प्रतिशत यूरोपीय स्मेल्टर बंद हो चुके हैं। इसके चलते 2023 में पूरी दुनिया में एल्युमीनियम के उत्पादन में कमी रहने की उम्मीद है। इससे कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।"
कैपेक्स और विस्तार योजनाएं: कंपनी ने अगले पांच सालों में 8 अरब डॉलर के कैपिटल एक्सपेंडिटर की योजना बनाई है। कंपनी के विस्तार योजनाओं में उत्कल एल्युमिनियम प्लांट की क्षमता को 2.8 मीट्रिक टन और कुल एल्युमिनियम क्षमता को 4 मीट्रिक टन तक ले जाना शामिल है। कंपनी अपने वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स से जुड़ी उत्पादन क्षमता को 65 प्रतिशत बढ़ाकर 580 किलो टन करने की भी योजना बना रही है।
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने हालिया रिपोर्ट में कहा है, 'कैप्टिव कोयला खदानों को जोड़ने से भविष्य में कंपनी की लागत घटेगी।'
एनालिस्ट्स की स्टॉक पर अगले 12 महीने के लिए औसत टारगेट प्राइस 533 रुपये है, जो इसके मौजूदा बाजार भाव से करीब 28.4 प्रतिशत अधिक है।