निजी सेक्टर के दिग्गज बैंक Yes Bank के शेयरों का लॉक-इन पीरियड आज SBI के लिए समाप्त हो गया। एसबीआई की तरफ से भारी बिकवाली के अनुमान के चलते आज यह बीएसई पर रेड जोन में फिसला था लेकिन फिर रिकवरी के साथ-साथ ग्रीन जोन में बंद हुआ। तीन साल पहले यस बैंक को बचाने के लिए रीकंस्ट्रक्शन स्कीम के तहत 100 से अधिक शेयरों से अधिक की होल्डिंग पर 75 फीसदी शेयरों को तीन साल के लिए लॉक कर दिया गया। एसबीआई और निजी सेक्टर के कुछ बैंकों ने इसमें पैसे डाले थे जिसमें से एसबीआई का लॉक इन आज खत्म हो गया है और बाकी बैंकों के लिए लॉक इन अगले सोमवार को खुलेगा।
तीन साल में बैंक ने काफी कुछ रिकवरी की है, अपनी बैलेंस शीट सुधारी है। इसके बावजूद अधिकतर एनालिस्ट्स इसे सेल या अंडरपरफॉर्म रेटिंग दी है। आज इंट्रा-डे में यह 16.35 रुपये के भाव तक फिसल गया था लेकिन फिर यह रिकवर होकर 17.22 रुपये के भाव तक पहुंच गया। दिन के आखिरी में यह 0.18 फीसदी मजबूत होकर 16.89 रुपये (Yes Bank Share Price) बंद हुआ।
Yes Bank पर इनका पड़ेगा असर आने वाले दिनों में
तीन साल पहले Yes Bank को बचाने के लिए आठ फाइनेंशियल एंटिटीज ने 10 रुपये के भाव पर 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे बैंक की पूंजी बढ़ी और इसने अपने बैलेंस शीट को सुधारना शुरू कर दिया। हालांकि अब 75 फीसदी शेयरों के लॉक-इन पीरियड की समाप्ति पर बिकवाली की आशंका बनी हुई है।
रॉयटर्स ने 2 मार्च को जानकारी दी थी कि लॉक-इन पीरियड खत्म होने पर एसबीआई अपनी हिस्सेदारी घटा सकता है। Ashika Stock Broking में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च हेड आशुतोष मिश्र के मुताबिक फिलहाल यस बैंक में निवेश से जुड़ा फैसला लेना काफी मुश्किल है। आने वाले महीनों में इसने काफी भारी बिकवाली भी दिख सकती है।
यस बैंक के लिए एक और मुश्किल एडीशनल टियर-1 बॉन्ड्स से जुड़ा एक मामला है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। तीन साल पहले बैंक के रीकंस्ट्रक्शन स्कीम के तहत इस बॉन्ड की वैल्यू जीरो कर दी गई थी। बॉन्डहोल्डर्स इस मामले को लेकर जब बॉम्बे हाईकोर्ट लेकर गए तो फैसला यस बैंक के खिलाफ आया। इसके बाद यस बैंक इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट लेकर चला गया।
इस मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को है। फिलहाल बॉन्ड के राइट ऑफ पर स्टे लगा हुआ है जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाया हुआ था। इस मामले का जो भी फैसला आएगा, वह बहुत प्रभाव डालेगा। अगर कोर्ट बॉन्डहोल्डर्स को पैसे देने का फैसला सुनाता है तो यस बैंक को 8400 करोड़ रुपये का झटका लगेगा।
मार्केट एक्सपर्ट्स का क्या है रुझान
एनालिस्ट्स के मुताबिक लॉक-इन पीरियड समाप्त होने और एटी-1 बॉन्ड्स के मामले में कोर्ट के फैसले का असर शॉर्ट टर्म का है। ऐसे में 3-5 साल के लिए निवेशक क्या करें, इसे लेकर भी मार्केट एनालिस्ट्स निगेटिव हैं। यस बैंक के रिस्क्यू प्लान के महज तीन तिमाही के भीतर यह मुनाफे में आ गया। दिसंबर 2022 तिमाही में लोन बुक की 10 फीसदी ग्रोथ और डिपॉजिट में भी तेज उछाल के चलते इसकी वित्तीय सेहत बेहतर दिख रही है। दिसंबर 2022 तिमाही में बैंक ने 8046 करोड़ रुपये के बैड लोन को एक एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) को बेच दिया जिसके चलते इसका ग्रॉस बैड लोन रेश्यो तेजी से गिरकर 2 फीसदी पर आ गया।
हालांकि एमकाय ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के बैंकिंग एनालिस्ट आनंद दामा का मानना है कि बैंक की दिक्कतें कम हो रही हैं लेकिन RoA और RoE को देखें तो वैल्यूएशन खास नहीं है। ऐसे में उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में यस बैंक की बजाय आरबीएल बैंक और इंडसइंड बैंक में पैसे लगाने की सलाह दे रहे हैं। अधिकतर ब्रोकरेज ने यस बैंक को सेल रेटिंग दी है।
कितनी है बैंकों की हिस्सेदारी
दिसंबर 2022 तिमाही के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक एसबीआई के पास यस बैंक के 7,51,66,66,000 इक्विटी शेयर हैं जो 26.14 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर है। वहीं 28,86,27,680 शेयरों के साथ आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की एक फीसदी, एक्सिस बैंक की 45,22,10,458 शेयरों के साथ 1.57 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक की 75,00,59,900 शेयरों के साथ 2.61 फीसदी हिस्सेदारी है। एलआईसी के पास इसके 1,24,83,65,988 शेयर हैं जो 4.34 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर है। यस बैंक के 100 फीसदी शेयर पब्लिक के पास हैं यानी कि प्रमोटर्स के पास कोई शेयर नहीं हैं।
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