Adani Group Stocks: अदाणी ग्रुप की कंपनियों के लिए आज मिला-जुला दिन रहा है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अदाणी की पॉवर कंपनी Adani Power के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं दूसरी तरफ अदाणी की पोर्ट कंपनी Adani Ports and Special Economic Zone की रेटिंग में ICRA ने कटौती की है। इक्रा ने अदाणी पोर्ट्स के आउटलुक को स्टेबल से निगेटिव कर दिया है। अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की बात करें तो इसके 10 में से 6 स्टॉक्स अपर सर्किट पर पहुंच गए हैं। अदाणी पोर्ट्स आज करीब तीन फीसदी मजबूत हुए हैं जबकि अदाणी पॉवर अपर सर्किट पर है।
Adani Ports की रेटिंग में कटौती क्यों
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिर पड़े। ग्रुप की फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी में गिरावट के चलते इक्रा ने इसके आउटलुक में बदलाव कर स्टेबल से निगेटिव कर दिया है। इक्रा के मुताबिक ग्रुप की मजबूत फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी और कम दर पर अधिक अवधि का उधार लेकर अपने कर्ज के बड़े हिस्से को रिफाइनेंस करने का अदाणी पोर्ट्स का ट्रैक रिकॉर्ड, इसकी मजबूती थी। इसमें से ज्यादार उधार विदेशी डेट कैपिटल मार्केट से हासिल किया गया। अब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के चलते इस पर निगेटिव असर पड़ा।
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अदाणी की कंपनियों पर अब रेगुलेटरी/लीगल स्क्रूटनी का रिस्क बढ़ा है। इसके चलते अदाणी पोर्ट्स की क्रेडिट क्वालिटी पर निगरानी रहेगी। हालांकि इक्रा के मुताबिक कंपनी की लिक्विडिटी प्रोफाइल मजबूत बनी रहेगी। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स वॉल्यूम चेन में महत्वपूर्ण पोर्ट एसेट्स और स्ट्रैटजिक एसेट्स के अधिग्रहण के चलते कंपनी का बिजनेस प्रोफाइल भी मजबूत हुआ है।
Adani Power को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। MSEDCL ने अदाणी पॉवर के पक्ष में अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी के फैसले को चुनौती दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में भी फैसला अदाणी पॉवर के पक्ष में आया। वर्ष 2008 में MSEDCL ने अदाणी पॉवर महाराष्ट्र के साथ लॉन्ग टर्म पॉवर पर्चेज एग्रीमेंट्स साइन किया।
इस एग्रीमेंट के क्लॉज के मुताबिक अगर कोल डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी में कोई बदलाव होता है तो मंथली टैरिफ पेमेंट में बदलाव के रूप में मुआवजा मिलेगा। इसके बाद 2013 में बदलाव के आधार पर कंपनी ने मुआवजे की मांग की तो MSEDCL ने अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी में याचिका दायर की और फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई। MSEDCL ने 2021 में दो याचिकाएं दायर की थी।