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UBS ने बदली अपनी स्ट्रैटेजी, भारत की रेटिंग अपग्रेड, लेकिन इस कारण चीन लग रहा अधिक बेहतर

India or China: अमेरिकी टैरिफ के चलते दुनिया भर में काफी बदलाव दिख रहे हैं। ऐसे में ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने भी उभरते बाजारों को लेकर अपनी स्ट्रैटेजी में बदलाव किया है जिसमें चीन पर दांव बढ़ाया है। जानिए चीन पर ब्रोकरेज क्यों अधिक फिदा है, भारत क्यों पिछड़ रहा है और यूबीएस की बदली हुई स्ट्रैटेजी क्या है?

अपडेटेड Apr 24, 2025 पर 3:17 PM
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India or China: वैश्विक ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के कई पैरामीटर पर भारत खरा उतर रहा है जैसे कि बाहरी देशों पर कम निर्भरता, वैश्विक सुस्ती के बीच भी कंपनियों की स्थिर कमाई और कच्चे चेल की कीमतों में गिरावट से सपोर्ट।

India or China: वैश्विक ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के कई पैरामीटर पर भारत खरा उतर रहा है जैसे कि बाहरी देशों पर कम निर्भरता, वैश्विक सुस्ती के बीच भी कंपनियों की स्थिर कमाई और कच्चे चेल की कीमतों में गिरावट से सपोर्ट। इसके बावजूद यूबीएस का मानना है कि नियर टर्म में निवेश के लिए भारत आकर्षण कुछ कम हुआ है। यह बदलाव यूबीएस की वैश्विक रणनीतिक टीम की रणनीति का हिस्सा जो अब अनिश्चित वैश्विक माहौल में रक्षात्मक और घरेलू-आधारित बाजारों को प्राथमिकता दे रही है। यूबीएस के मुताबिक रेपो रेट में कटौती और खपत को सरकार का सपोर्ट पॉजिटिव कदम है लेकिन उभरते बाजारों में सबसे बढ़िया रिस्क-रिवार्ड मौका चीन में है। यूबीएस के मुताबिक चीन में बेहतर रक्षात्मक स्थिति, कम वैल्यूएशन और राहत या घरेलू आवक से तेजी के चलते अच्छा मौका बन रहा है।

इस कारण पिछड़ रहा भारत

यूबीएस के मुताबिक चार अहम वजहों से भारत पर उसका रुझान चीन से फीका है। कमाई के कमजोर आउटलुक, नीतियों को लेकर अनिश्चितता, सप्लाई चेन की दिक्कतें और वैल्यूएशन से जुड़ी चिंताओं के चलते चीन के मुकाबले भारत पर यूबीएस का रुझान फीका है। यूबीएस का कहना है कि भारतीय शेयरों का वैल्यूएशन अभी भी हिस्टोरिकल एवरेज से काफी ऊपर है तो मौजूदा लेवल से तेजी की गुंजाइश कम है


बाकी देशों की क्या है स्थिति?

यूबीएस की बदली स्ट्रैटेजी में सबसे अधिक फायदा इंडोनेशिया को मिला है। यूबीएस का कहना है कि वैल्यूएशन के महामारी के समय के निचले स्तर तक आने और मार्केट सेटअप के घरेलू और डिफेंसिव थीम की तरफ झुके होने के चलते यह निवेश का सुरक्षित विकल्प देता है। हालिया चुनावों के बाद इंडोनेशिया में स्थिर माहौल की उम्मीद ने इंडोनेशियाई मार्केट को लेकर माहौल और पॉजिटिव किया है।

वहीं दूसरी तरफ यूबीएस ने वैश्विक कारोबारी लेन-देन की दिक्कतों और अमेरिका से जुड़ी वित्तीय अस्थिरता के हाई रिस्क के चलते हॉन्गकॉन्ग को डाउनग्रेड कर न्यूट्रल कर दिया है। यूबीएस ने हॉन्गकॉन्ग में हाई डिविडेंड यील्ड पर निर्भरता को लेकर भी सतर्क किया है क्योंकि ईपीएस के भारी उतार-चढ़ाव के दौरान इस खासियत का कोई फायदा नहीं रह जाता है। यूबीएस ने दक्षिण अफ्रीका को भी डाउनग्रेड कर न्यूट्रल कर दिया है। पिछले साल चुनाव के बाद दक्षिण अफ्रीका के मार्केट में जोरदार तेजी आई थी लेकिन अब राजनीतिक स्थिरता और वैश्विक कारोबारी जगत पर निर्भरता से जुड़ी चिंताओं ते चलते इसकी रेटिंग में कटौती हुई है।

क्या है यूबीएस की बदली हुई स्ट्रैटेजी?

उभरते बाजारों को लेकर यूबीएस की स्ट्रैटेजी दो ही थीम पर है-रक्षात्मक और घरेलू मार्केट पर निर्भरता। यूबीएस अब ऐसे मार्केट पर दांव लगा रही है जिसकी निर्यात और वैश्विक जीडीपी पर निर्भरता कम है। डिविडेंड और वैल्यूएशन को लेकर स्थिरता हो और कच्चे तेल के भाव में गिरावट से फायदा मिले। सेक्टरवाइज बात करें तो यूबीएस के मुताबिक मौजूदा हालात में स्टेपल्स, रिटेल, बैंक, यूटिलिटीज और आईटी सर्विसेज वैश्विक झटकों से सुरक्षित हैं।

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