Ujjivan SFB के शेयरों का प्रदर्शन पिछले एक साल में शानदार रहा है। इसमें बैंक की एसेट क्वालिटी में इम्प्रूवमेंट का बड़ा हाथ है। इसकी वजह से बैंक को बैड लोन के लिए ज्यादा प्रोविजनिंग करने की जरूरत नहीं पड़ी, जिससे उसका प्रॉफिट बढ़ा। अब बैंक की सेहत अच्छी नजर आ रही है। इसमें आर्थिक हालात में आई बेहतरी का भी हाथ है। सवाल है कि क्या इस स्टॉक में निवेश करने का यह सही वक्त है? इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक के परफॉर्मेंस को करीब से देखना होगा। इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में बैंक का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट 30 फीसदी बढ़ा है। इससे पता चलता है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर की तीसरी तिमाही से ग्रोथ अच्छी बनी हुई है।
25,326 करोड़ रुपये की बुक साइज ग्रोथ में मददगार
उज्जीवन एसएफबी की माइक्रोफाइनेंस बुक की ग्रोथ 37 फीसदी रही है, जो नॉन-माइक्रोफाइनेंस बुक की 16 फीसदी ग्रोथ से काफी ज्यादा है। डिस्बर्समेंट के मोर्चे पर नॉन-माइक्रोफाइनेंस की ग्रोथ 44 फीसदी रही, जिसमें हाउसिंग सेक्टर के लोन का बड़ा हाथ है। एक क्षेत्र जिसमें बैंक का प्रदर्शन सुस्त है, वह है MSME सेगमेंट। इसकी वजह यह है कि इस सेगमेंट में एसेट क्वालिटी के मसले हैं। कलेक्शन एफिशियंसी भी कमजोर है। हालांकि, कुल 25,326 करोड़ रुपये के बुक साइज को देखते हुए ग्रोथ को लेकर तब तक किसी तरह की चिंता नहीं होनी चाहिए, जब तक बुनियादी आर्थिक माहौल बेहतर बना हुआ है।
इंटरेस्ट बढ़ने से मार्जिन में सुधार
बढ़ते इंटरेस्ट रेट के माहौल में डिपॉजिट ग्रोथ में टर्म डिपॉजिट का हाथ रहा है। हालांकि, फंडिंग कॉस्ट लगातार बढ़ रही है। अतिरिक्त कैश के इस्तेमाल की कोशिशों से ग्रोथ को सपोर्ट मिल रहा है। दो चरणों में इंटरेस्ट रेट में हुई बढ़ोतरी के साथ बैंक के इंटरेस्ट मार्जिन में इम्प्रूवमेंट देखने को मिला है। बैंक को 2021 में एसेट क्वालिटी के मामले में बड़े चैलेंज का सामना करना पड़ा था। अब वह दौर बीत चुका है। पिछले क्वार्टर में 182 करोड़ रुपये का स्लिपेज देखने को मिला।
रिस्ट्रक्चर्ड बुक में बड़ी गिरावट
अच्छी रिकवरी के साथ राइट-ऑफ की वजह से ग्रॉस एनपीए 20 बेसिस प्वाइंट्स घटकर 2.4 फीसदी पर आ गया। अब पोर्टफोलियो एट रिस्क 3.8 फीसदी है, जिससे पता चलता है कि बकाया बुक जो अभी एनपीए का हिस्सा नहीं बना है 1.4 फीसदी है। इसे ज्यादा नहीं कहा जा सकता। बैंक का प्रोविजन कवरेज 98 फीसदी है। यह अच्छा है। रिस्ट्रक्चर्ड बुक में बड़ी कमी आई है। यह 182 करोड़ रुपये रह गया है। सभी तरह के स्ट्रेस बुक को मिलाने पर यह 4 फीसदी आता है, जो दो साल पहले के 31 फीसदी से काफी कम है।
कुल डिपॉजिट में रिटेल और कासा की 66 फीसदी हिस्सेदारी
डिपॉजिट बढ़ाने की बैंक की कोशिश के अच्छे नतीजे आए हैं। खासकर रिटेल डिपॉजिट बढ़ाने से इसे फायदा हुआ है। ओवरऑल डिपॉजिट में साल दर साल आधार पर 45 फीसदी ग्रोथ रही है। लेकिन, रिटेल टर्म डिपॉजिट की ग्रोथ 71 फीसदी रही है, जो काफी ज्यादा है। कुल डिपॉजिट में रिटेल और कासा की हिस्सेदारी करीब 66 फीसदी है। यह बैंक का फोकस एरिया होना चाहिए। इससे भविष्य में ग्रोथ और मुनाफा अच्छे लेवल पर बनाए रखने में मदद मिलेगी।