Budget 2025: सरकार को ऐसे वक्त यूनियन बजट पेश करने जा रही है, जब जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ गई है और वैश्विक स्थितियां अनिश्चित हैं। इससे भी बड़ी बात यह कि बीते चार महीनों से स्टॉक मार्केट में गिरावट जारी है। इससे निवेशकों को काफी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में स्टॉक मार्केट इनवेस्टर्स की नजरें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पर हैं। उन्हें उम्मीद है कि वित्तमंत्री ऐस ऐलान करेंगी, जो स्टॉक मार्केट का मूड बदल सकते हैं। सवाल है कि क्या निवेशकों को यूनियन बजट आने से पहले शेयरों में निवेश करना चाहिए?
बीते एक महीने में मिडकैप-स्मॉलकैप में ज्यादा गिरावट
बाजार के प्रमुख सूचकांक सितंबर 2024 के अपने ऑल-टाइम हाई से काफी गिर चुके हैं। पिछले कुछ हफ्तों में गिरावट बढ़ी है। Sensex और Nifty के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में ज्यादा गिरावट आई है। इसमें विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली का बड़ा हाथ है। इंडिया में ग्रोथ सुस्त पड़ती दिख रही है। उधर, अमेरिका डॉलर में मजबूती का रुख है। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड भी बढ़ी है। नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसीज को लेकर अनिश्चितता है। इसका असर FIIs पर पड़ा है।
सरकार का फोकस फिस्कल कंसॉलिडेशन पर बना रहेगा
उम्मीद है कि बजट में सरकार की पॉलिसी में कोई बुनियादी बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। बजट को लेकर मार्केट में भी बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलेगी। अगर सरकार का फोकस फिस्कल कंसॉलिडेशन पर घटता है तो मार्केट में गिरावट दिख सकती है। लेकिन, इसकी उम्मीद कम है। इस बात की ज्यादा उम्मीद है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का टारगेट 4.5 फीसदी रखेगी। हालांकि, सरकार पर कंजम्प्श बढ़ाने का दबाव है। इसके लिए बजट में बड़े कदम दिख सकते है।
पूंजीगत खर्च का टारगेट 10 फीसदी बढ़ सकता है
सरकार को इस वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च कम रहने से थोड़ी राहत मिल सकती है। FY25 के लिए सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। अप्रैल से नवंबर के बीच सरकार का पूंजीगत खर्च सिर्फ 5.1 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह तय टारगेट का 46 फीसदी है। इसलिए FY25 में सरकार का पूंजीगत खर्च करीब 10 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। ऐसे में 1 फरवरी को सरकार के FY26 के पूंजीगत खर्च में 10 फीसदी वृद्धि करने की ज्यादा उम्मीद है।
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मजबूत फंडामेंटल वाले में स्टॉक्स में निवेश का मौका
स्टॉक मार्केट को कैपिटल गेंस टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं होने की उम्मीद है। बैंकिंग सेक्टर फिक्स्ड डिपॉजिट के इंटरेस्ट पर टैक्स में राहत की मांग कर रहा है। उधर, म्यूचुअल फंड इडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार डेट म्यूचुअल फंड्स पर फिर से इंडेक्सेशन बेनेफिट शुरू करेगी। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि बजट में होने वाले ऐलान से अगर मार्केट पर पॉजिटिव असर नहीं पड़ता है तो निगेटिव असर भी नहीं पड़ेगा। जब मार्केट की वैल्यूएशन सही लेवल पर आ रही है तब निवेशकों को अच्छी रिसर्च के साथ मजबूत कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए।