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यूएस फेड ने पॉलिसी रेट में की 0.25% की बढ़त, जानिए बाजार पर क्या होगा इसका असर

मनीकंट्रोल ने 2021 अब तक से होने वाली फेड बैठकों के फैसलों का S&P 500 और Nifty 50 पर पड़ने वाले असर पर एक रिसर्च किया है। इससे निकल कर आया है कि ये दोनों इंडेक्स फेड बैठकों के फैसलों से प्रभावित तो होते हैं लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा और लंबा नहीं होता। ऐसे में ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग रणनीति में फेड के रेट डिसीजन को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देते

अपडेटेड May 04, 2023 पर 8:46 AM
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फेड रेट के फैसले का बाजार पर शॉर्ट टर्म असर होगा और शुरुआती उतार-चढ़ाव के बाद निफ्टी बड़े ट्रेंड की दिशा में आगे बढ़ेगा

भारतीय बाजार पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों के फैसले के प्रभाव को लेकर ट्रेडर काफी हद तक उदासीन लग रहे हैं। हालांकि वे स्वीकार करते हैं कि बाजार में इसकी वजह से तत्काल कुछ रिएक्शन देखने को मिल सकता है। लेकिन उनका ये भी मानना कि इससे कोई ऐसा बदलाव नहीं होगा जिससे उनको अपनी निवेश रणनीतियों में कोई बदलाव करना पड़े।

जानिए क्या कहते हैं पिछले अनुभव

यूएस फेड दर के फैसले के प्रति भारतीय ट्रेडर्स की उदासीनता उनके अनुभव पर आधारित है। आमतौर पर ये देखने को मिलता है कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के बाद अमेरिकी बाजार आमतौर पर बड़े पैमाने पर रिएक्ट करता है। लेकिन भारतीय बाजार आंख मूंदकर अमेरिकी बाजार का अनुसरण नहीं करते हैं।


मनीकंट्रोल ने 2021 अब तक से होने वाली फेड बैठकों के फैसलों का S&P 500 और Nifty 50 पर पड़ने वाले असर पर एक रिसर्च किया है। इससे निकल कर आया है कि ये दोनों इंडेक्स फेड बैठकों के फैसलों से प्रभावित तो होते हैं लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा और लंबा नहीं होता। ऐसे में ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग रणनीति में फेड के रेट डिसीजन को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देते।

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जानकारों की राय

एक टेक्निकल एनालिस्ट और डेरिवेटिव ट्रेडर मिलन वैष्णव का कहना है कि वह ट्रेड करने के लिए चार्ट की स्टडी पर कड़ाई से निर्भर करते हैं। लेकिन वे ये भी मानते हैं कि ब्याज दर पर लिया जाने वाला निर्णय उन कारकों में से एक है जो ट्रेड के परिणाम को प्रभावित कर सकता है। ये प्रभाव पॉजिटिव और निगेटिव कुछ भी हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान वे ट्रेडिंग को दौरान जोखिम से बचने को लिए हायर और हायर टाइम फ्रेम चार्ट के आधार पर पोजीशन लेते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वे आज ट्रेडिंग के लिए स्ट्रैडल रणनीति अपनाएंगे जिसे एक न्यूट्रल रणनीति माना जाता है।

बताते चलें की स्ट्रैंगल रणनीति एक ऑप्शन रणनीति है। इसके तहत दो ऑप्शन की खरीद या बिक्री की जाती है। इसमें होल्डर को प्राइस एक्शन के मुताबिक नफा होता है। वहीं, स्ट्रैडल रणनीति के तहत एक ही स्ट्राइक प्राइस वाले पुट और कॉल ऑप्शन की खरीद और बिक्री की जाती है।

सॉवरेन ग्लोबल के अनुज दीक्षित का कहना है कि फेड रेट के फैसले का बाजार पर शॉर्ट टर्म असर होगा और शुरुआती उतार-चढ़ाव के बाद निफ्टी बड़े ट्रेंड की दिशा में आगे बढ़ेगा, जो इसके ऊपर की ओर जाने का संकेत कर रहा है।

 

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