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अमेरिका में मंदी का खतरा, क्या करें भारतीय निवेशक? जानिए एक्सपर्ट की राय

अमेरिका में टैरिफ वॉर के चलते मंदी की आशंका गहरा गई है। डॉव जोंस और नैस्डैक में भारी गिरावट आई है और भारत में भी Nifty 1.5% लुढ़का है। आइए स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट से जानते हैं कि अब निवेशकों को किन सेक्टर में निवेश करना चाहिए और किनसे दूरी बनानी चाहिए।

अपडेटेड Apr 06, 2025 पर 6:29 PM
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शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।

US Recession: अमेरिका में टैरिफ वॉर के कारण मंदी की आशंका बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत भारत और चीन समेत कई देशों पर भारी आयात शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इसके जवाब में चीन ने भी 10 अप्रैल से अमेरिकी सामानों पर 34% टैक्स लगाने की घोषणा की है।

इनके सबके चलते आर्थिक अनिश्चितता काफी बढ़ गई है। इससे दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। अमेरिकी शेयर बाजार भी क्रैश हो गए। डॉव जोंस 2,200 अंक गिरा और नैस्डैक 2022 के बाद पहली बार बियर मार्केट में आ गया। JPMorgan ने अब 2025 के लिए अमेरिका की GDP वृद्धि दर को घटाकर -0.3% कर दिया है, जो पहले 1.3% थी।

भारत में भी इसका असर दिखा। शुक्रवार को Nifty 1.5% गिरकर 22,904.45 पर बंद हुआ। मेटल, फार्मा और एनर्जी सेक्टर पर खासा दबाव रहा। आइए आर्थिक अनिश्चितता और मंदी के खतरे के बीच भारतीय निवेशकों को किस तरह की स्ट्रैटजी अपनानी चाहिए।


भारतीय निवेशकों को क्या करना चाहिए?

शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है। VSRK Capital के स्वप्निल अग्रवाल के मुताबिक, अभी IT और मेटल सेक्टर से दूरी बनाना बेहतर होगा। क्योंकि ये अमेरिकी बाजार से सीधे प्रभावित होते हैं। इसके बजाय FMCG, फार्मा और फाइनेंस जैसे सेक्टरों में निवेश करना समझदारी होगी। ये घरेलू मांग पर आधारित हैं और इनका प्रदर्शन भी फिलहाल बेहतर है।

उन्होंने SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश को सबसे बेहतर विकल्प बताया। उनका कहना है कि मौजूदा अस्थिरता के दौर में SIP लंबी अवधि में संतुलित रिटर्न देने का सबसे अच्छा जरिया है।

एक्सपर्ट की निवेशकों को क्या सलाह है?

Geojit Investments के रिसर्च हेड विनोद नायर का भी कहना है कि IT और मेटल जैसे एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड सेक्टर इस समय दबाव में हैं, और आने वाले समय में और भी दबाव आ सकता है।

वहीं, Baroda BNP Paribas Mutual Fund के जितेंद्र श्रीराम के मुताबिक, टैरिफ्स का भले ही तुरंत सीधा असर न दिखे, लेकिन अमेरिका में धीमी ग्रोथ का असर भारतीय कंपनियों पर जरूर पड़ेगा। खासकर IT सेवाओं पर, जो अमेरिका की डिस्क्रेशनरी स्पेंडिंग से जुड़ी होती हैं।

उनका मानना है कि घरेलू बाजार पर केंद्रित सेक्टरों में निवेश करना इस समय अधिक सुरक्षित रहेगा। वहीं, केमकल, टेक्सटाइल और फिशरीज जैसे सेक्टर में दबाव बढ़ सकता है।

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