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Vodafone Idea का शेयर हुआ क्रैश, वापस आया AGR बकाये का भूत, बेच देना चाहिए शेयर?

Vodafone Idea Shares: टेलीकॉम कंपनियों के सामने एक बार फिर से AGR बकाया का भूत खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक फैसले से इन कंपनियों की लगभग बची-खुची आखिरी उम्मीद भी तोड़ दी। इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान में रहीं वोडाफोन आइडिया और इंडस टावर्स। फैसला आने के एक घंटे के अंदर ही वोडाफोन आइडिया की मार्केट वैल्यू करीब 13,500 करोड़ रुपये घट गई थी

Moneycontrol Newsअपडेटेड Sep 19, 2024 पर 10:49 PM
Vodafone Idea का शेयर हुआ क्रैश, वापस आया AGR बकाये का भूत, बेच देना चाहिए शेयर?
Vodafone Idea Shares: सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल तक का समय दिया है

Vodafone Idea Shares: टेलीकॉम कंपनियों के सामने एक बार फिर से AGR बकाया का भूत खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक फैसले से इन कंपनियों की लगभग बची-खुची आखिरी उम्मीद भी तोड़ दी। इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान में रहीं वोडाफोन आइडिया और इंडस टावर्स। फैसला आने के एक घंटे के अंदर ही वोडाफोन आइडिया की मार्केट वैल्यू करीब 13,500 करोड़ रुपये घट गई थी। कारोबार के अंत में इसका शेयर 19% गिरकर साढ़े 10 रुपये के पास बंद हुआ। यह पिछले ढाई साल यानी जनवरी 2022 के बाद से अबतक वोडाफोन आइडिया के शेयर में आई सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं इंडस टावर्स के शेयर में भी 4 जून के बाद की सबसे बड़ी गिरावट आई और यह लगभग 9 फीसदी नीचे लुढ़ककर बंद हुआ। आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ऐसा क्या था और ये AGR बकाया का पूरा मामला क्या है? वोडाफोन आइडिया के शेयर में अब आगे क्या उम्मीद है? आइए जानते हैं

AGR बकाया क्या होता है?

सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ये AGR बकाया क्या है। सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बीच में इसे लेकर 1999 से विवाद चल रहा है। AGR का मतलब होता है 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू'। यह टेलीकॉम कंपनियों की कुल आय का हिस्सा है। यह 2 तरह से होती है। पहली- टेलीकॉम सर्विस से आने वाली आय, जिसमें कॉल, एसएमएस और इंटरनेट डेटा से होने वाली आय शामिल होती है। दूसरा है गैर-टेलीकॉम आय। जैसे कंपनी ने बैंक में कोई पैसा जमा किया है, उस पर ब्याज आ रहा है या अपनी कोई बिल्डिंग किराए पर दी है, उससे जो आय रही है। यह सब गैर-टेलीकॉम आय होती है।

सरकार ने इन दोनों आय को मिलाकर टेलीकॉम कंपनियों से उसके आधार पर लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज लेने का फैसला किया। और यही से विवाद की शुरुआत हुई। टेलीकॉम कंपनियां सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय पर ही पैसा देना चाहती थी। जबकि सरकार चाहती थी कि पूरी आय पर फीस वसूली जाए। बाद में मामला कोर्ट में गया और इसपर सालों तक सुनवाई।

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