Vodafone Idea का शेयर 6% लुढ़का, छुआ 52 वीक का फ्रेश लो; सरकार से एक नोटिस की खबर से जबरदस्त सेलिंग

Vodafone Idea Share Price: वोडाफोन आइडिया का शेयर पिछले 1 महीने में 31 प्रतिशत लुढ़का है। एक सप्ताह के अंदर शेयर की कीमत 11 प्रतिशत गिरी है। कंपनी में जुलाई 2024 तक प्रमोटर्स के पास 37 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। अप्रैल-जून 2024 तिमाही में कंपनी का घाटा सालाना आधार पर कम होकर 6,432.1 करोड़ रुपये हो गया

अपडेटेड Oct 07, 2024 पर 4:36 PM
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वोडाफोन आइडिया के शेयर के लिए लोअर प्राइस बैंड 8.82 रुपये है।

Vodafone Idea Stock Price: टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के शेयरों में 7 अक्टूबर को बिकवाली का तगड़ा दबाव दिखा और शेयर की कीमत इंट्राडे में 9 प्रतिशत लुढ़क गई। शेयर ने बीएसई पर 52 सप्ताह का निचला स्तर देखा। बाद में गिरावट 6 प्रतिशत पर सिमट गई। ऐसी खबर है कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने पिछले स्पेक्ट्रम नीलामी बकाया को कवर करने के लिए जरूरी बैंक गारंटी का भुगतान न करने पर कंपनी को नोटिस जारी किया है।

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वोडाफोन आइडिया 2022 से पहले आयोजित स्पेक्ट्रम नीलामी से स्पेक्ट्रम बकाया के लिए समय पर जरूरी बैंक गारंटी नहीं दे पाई। इसके चलते यह नोटिस जारी किया गया। मनीकंट्रोल इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं कर सका।

वोडाफोन आइडिया का शेयर बीएसई पर सुबह पिछले बंद भाव पर ही खुला। इसके बाद शेयर 9 प्रतिशत नीचे आया और 8.91 रुपये का लो टच किया। यह शेयर का 52 सप्ताह का निचला स्तर भी है। कारोबार खत्म होने पर शेयर 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट के साथ 9.17 रुपये पर सेटल हुआ। वोडाफोन आइडिया के शेयर के लिए लोअर प्राइस बैंड 8.82 रुपये है।


मोरेटोरियम खत्म होने से एक साल पहले जमा करनी है बैंक गारंटी

रिपोर्ट के अनुसार, स्पेक्ट्रम नीलामी बकाया पर वोडाफोन आइडिया का मोरेटोरियम सितंबर 2025 में समाप्त होने वाला है। इसका मतलब है कि कंपनी को इन बकाया को कवर करने के लिए कम से कम एक साल पहले बैंक गारंटी जमा करनी होगी। यह गारंटी अलग-अलग नीलामी के लिए अलग-अलग चरणों में जमा की जानी थी। पहली किस्त 20 सितंबर को जमा किए जाने की उम्मीद थी। वोडाफोन आइडिया ने पहले दूरसंचार विभाग को लेटर लिखकर बैंक गारंटी जमा करने से छूट मांगी थी।

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टेलिकॉम कंपनियों को 2022 के बाद से नीलामी में खरीदे गए एयरवेव्स के लिए गारंटी देने की जरूरत नहीं है। लेकिन पहले के नियमों के अनुसार कंपनियों को एक वार्षिक किस्त के बराबर बैंक गारंटी जमा करनी होती थी।

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